टू-डू

पिछले छह से आठ महीनों से ऑफिस का काम निरंतर एवं बड़ी ही तेज़ी के साथ बढ़ता ही चला जा रहा था। आये दिन नये-नये काम आते रहते थे। अनेक प्रकार के पसंदीदा कार्य करने का अवसर प्राप्त हो रहा था और उसमें भी बिलकुल नये प्रकार के काम थे, जिससे कौतूहल भी बढ़ रहा था। मन को एक अनोखे आनंद की प्राप्ति हो रही थी। इस कौतूहल के साथ-साथ कुछ हीदिनों में बढ़ते हुए कामों की सूचि बढने लगी। धीरे-धीरे काम का बोझ बढ़ रहा है, इस बात का अहसास भी होने लगा। फिर भी काम के बोझ के समान यह अहसास भी निरंतर बढ़ने लगा। इसके अलावा किस कार्य को सर्वप्रथम प्राधान्य देना चाहिए यह जानकारी होने पर भी काम समयानुसार पूरा होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। ठीक ऐसे ही समय पर ऑफिस में एक छोटे से परन्तु महत्त्वपूर्ण सेमीनार में उपस्थित रहने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ। सेमीनार खत्म हुआ और हमारे साहब अचानक मेरे संबंध में यानी अनियंत्रित रूप में बढ़ते चले जाने वाले काम से संबंधित समस्या के बारे में अचानक बात करने लगे। यह तो वही बात हुई कि ‘अँधा माँगे एक आँख और मिल जाये दोनों आँखें’। और यह उपाय था ‘टू-डू लिस्ट’ का अर्थात करने वाले काम की सूचि से संबंधित। काफी  जटिल लगने वाली इस समस्या का उपाय यदि बिलकुल मामूली लग रहा था, फिर भी वह उपाय हमारे लिए रामबाण साबित हुआ। इस उपाय के बारे में मैं पहले से ही जानता था, परन्तु अब तक उसका अवलंब अपनी इच्छानुसार मैं नहीं कर पाया था।

प्रतिदिन करनेवाला कामों का, दिनभर करने वाले कामों का आरंभ करने से पहले उसे लिख लेना चाहिए। और यदि कोई काम हो जाता है तो उस पर चिह्न बनाते समय जो आनंद प्रतीत होता है वह कहीं अधिक खुशी प्रदान करता है। प्रलंबित काम को उसी तरह रख देना चाहिए। परन्तु यदि कोई कार्य तीन दिन से भी अधिक दिनों तक प्रलंबित रह जाता है तब उसे नियमित कार्यों के अन्तर्गत न रखकर उसके लिए एक अलग सूचि बना लेनी चाहिए। इससे हमारे दैनिक कार्य में काफी बड़े पैमाने पर सकारात्मक बदलाव होता हुआ मुझे जान पड़ा। इन दोनों ही सूचियों को हम किसी ‘वनपेज डायरी’ अथवा ‘व्हाईट बोर्ड’ पर भी लिखकर रख सकते हैं। इसके अलावा यांत्रिक ज्ञान की सहायता से भी बना सकते हैं। अब हम इस यांत्रिक ज्ञान तक पहुँच चुके हैं, तो फिर अपने इस महत्त्वपूर्ण काम की सूची की ठीक प्रकार से व्यवस्था करने हेतु उपयोग में आने वाले अ‍ॅप्स् के प्रति जानकारी हासिल कर लेना उचित होगा; इन्हें ‘टू-डू अ‍ॅप्स’ इस नाम से जाना जाता है। आज के इस लेख में हम केवल विविध प्रकार के ‘टू-डू अ‍ॅप्स’ के नाम एवं उनके बारे में कुछ जानकारी हासिल करने वाले हैं और इसके दूसरे भाग में हम इस में से कुछ आसान एवं उपयुक्त अ‍ॅप्स का उपयोग करके देखेंगे।

1) अ‍ॅस्ट्रीड – हम यदि यह टू-डू संकल्पना का उपयोग पहली बार ही कर रहे हैं अथवा कम्प्यूटर का उपयोग इस कार्य हेतु पहली बार ही कर रहे हैं, तो यह अ‍ॅप अपनी सादगी के कारण हमारे लिए सुयोग्य साबित होगा। इस अ‍ॅप में काफी सुविधाएँ हैं। उनमें से एक है सोशल नेटवर्किंग साईट में से अपने मित्रों के साथ जुड़ने की इसकी क्षमता, यह अपना ध्यान आकर्षित कर लेने वाली एक सुविधा है। इसकी मुफ्त एवं पेड इस प्रकार की दो आवृत्तियाँ हैं।

2) टूडूईट – अपने नाम के ही समान यह भी एक ‘टू डू’ से संबंधित अ‍ॅप्स है। प्रोजेक्ट और उसमें होनेवाले सब प्रोजेक्ट इनके व्यवस्थापन के लिए योग्य तरीके का यह एक अ‍ॅप है। यह अ‍ॅप एचटीएमएल5 इस आधुनिक यांत्रिक ज्ञान पर आधारित होने के कारण अपना काम किसी भी इन्स्टॉलेशन्स के अलावा और भी अधिक जलदगति के साथ किया जा सकता है। इस अ‍ॅप के मुफ्त एवं पेड ऐसे दो प्रकार के संस्करण हैं। इसके अलावा ये दोनों भी अ‍ॅप ऑफ लाईन एवं ऑन लाईन दोनों प्रकार पर अपना काम करते हैं।

3) रिमेम्बर द मिल्क – चारों ओर से कई सारे कार्यों पर नज़र रखते हुए यदि हमें इस ‘टू-डू’ का काम करना है, तब इस अ‍ॅप का उपयोग हम कर सकते हैं। यह अ‍ॅप अन्य अ‍ॅप एवं साईट के साथ ही उदा. जीमेल, स्काईप, आरएसएस, रीडर्स आदि काफी कुछ भली-भाँति संकलित किए जा सकते हैं।

4) टूडलडू – अनेक लोगों के साथ यदि हमें कोई भी कार्य एक संगठन के रूप में करना है, तब अपने टू डू के सूचि के साथ अन्य लोगों के टू डू को एकत्रित करने की ज़रूरत पड़ने पर हमारे लिए ‘टूडलडू’ ज़रूर सुविधाकारक साबित होगा। इस अ‍ॅप की सहायता से हम अपनी सूची के टू डू सूची में अनेक लोगों का समावेश कर सकते हैं। सच में ‘सीमलेस’ इस शब्द के अर्थ में यह अ‍ॅप बिलकुल फिट बैठता है।

5) वन्डरलिस्ट – ‘रिमेम्बर द मिल्क’ के अनेक स्थानों से एवं काफी बातों का ध्यान रखने के लिए इसका उपयोग एवं ‘टूडलडू’ के अनेक लोगों के साथ मिलकर ऐसे ही किसी काम को एक संघ बनाकर करने की सुविधा इन दोनों का एकत्रीकरण अर्थात ‘वन्डरलिस्ट’ नामक अ‍ॅप।

6) वर्कफ्लोई – अनेक बातें अर्थात लगभग सभी बातों को लिखकर रखने की आदत है तब वर्कफ्लोई यह अ‍ॅप हमारे लिए काफी उपयोगी साबित होगा। हमारे काम जो हो चुके हैं और हम उसे अपनी सूची से निकाल चुके होते हैं। उन कामों की सूची भी कई बार किसी संदर्भ आदि के लिए भविष्य में हमें उपयोगी लगती ही है और हमें उनकी ज़रूरत भी पड़ती है। इसके लिए वर्कफ्लोई पुराने एवं निकाल दिए गए कामों को भी ‘आरकाईव्हज्’ अपने इस उपविभाग में जमा करके ज़रूरत पड़ने पर उपलब्ध करवाता है।

ऊपर उल्लेखित किए गए सभी अ‍ॅप्स् अ‍ॅन्ड्रॉईड, ब्लॅकबेरी, अ‍ॅपल आदि ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए उपलब्ध हैं। इन अ‍ॅप्स की अपनी साईट के अलावा ये अ‍ॅप्स हम उन सभी ऑपरेटिंग सिस्टम के अ‍ॅपस्टोर्स में से भी डाऊनलोड करके इन्स्टॉल कर सकते हैं। सारांश, हमने इन सारे अ‍ॅप्स् के बारे में पहले ही कहेनुसार केवल ऊपरी जानकारी हासिल की है। अगले भाग में ये अ‍ॅप्स् हमें उपयोग में कैसे लाये जाते हैं, यह देखना है।

मुझे पूरा विश्‍वास है कि ऊपर उल्लेखित ‘टू डू’ इस पद्धति का उपयोग करके हम अपने कामों का और भी अधिक सरल एवं सुचारु रूप से व्यवस्थापन कर सकते हैं।

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