एससीओ परिषद सफल होगी चीन में नियुक्त भारत के राजदूत का दावा

बीजिंग – चीन में आयोजित होने वाली ‘शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ ऐससीओ परिषद् सफल होगी, ऐसा विश्वास चीन में स्थित भारत के राजदूत गौतम बंबावले ने व्यक्त किया है। भारत के साथ पाकिस्तान को भी एससीओ का सदस्य मिलने के बाद आयोजित हो रही यह पहली परिषद है। इसकी वजह से चीन में आयोजित किए जाने वाले इस परिषद की तरफ विश्लेषकों का ध्यान लगा हुआ है।

एससीओ परिषद

चीन, रशिया और भारत यह एससीओ के महत्वपूर्ण सदस्य देश होने की घोषणा रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने की है। भारत ने अमरिका के दबाव के बाद भी रशिया के साथ लष्करी सहयोग कायम रखने की घोषणा की है और उस पृष्ठभूमि पर एससीओ का महत्व अधिक बढ़ा है। चीन और रशिया ने पहल करके निर्माण किए इस गट के सामने अमरिका के एकाधिकारशाही को चुनौती देने का उद्देश्य था। हालही में अमरिका अन्य देशों पर आर्थिक एवं राजनीतिक प्रतिबंध जारी कर रहा है और अपने बचावात्मक आर्थिक कारणों की वजह से प्रमुख देशों से नाराजगी प्राप्त कर रहा है।

विशेष रूप से अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने रशिया एवं ईरान पर जारी किया आर्थिक प्रतिबंध और यूरोपीय देशों से निर्यात होनेवाले पोलाद एवं एल्युमिनियम पर कर बढाने से जागतिक स्तर पर चिंता बढ़ती जा रही है। इन आर्थिक प्रतिबंधों का पालन न करने वाले देशों को भी उसका झटका लग सकता है, ऐसा अमरिका से सूचित किया जा रहा है। साथ ही स्थानीय रोजगार प्रदान करने वाले अमरिका ने स्वीकारी हुई धारणा भारत के आईटी क्षेत्र को झटका दे सकती है। इसकी वजह से जागतिक वित्त व्यवस्था को खतरा निर्माण होने का दावा भी किया जा रहा है।

ऐसी परिस्थिति में एससीओ की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकती है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। चीन में भारत के राजदूत गौतम बंबावले ने इस परिषद का महत्व नए रुप से रेखांकित किया है। बहुस्तम्भीय दुनिया के दृष्टिकोण एससीओ कि यह बैठक अत्यंत महत्वपूर्ण ठहरेगी ऐसा दावा बंबावले ने किया है। ९ से १० जून के रोज संपन्न होने वाले इस परिषद पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित रहने वाले हैं और इस परिषद में शामिल होने वाले देशों के राष्ट्राध्यक्ष से प्रधानमंत्री मोदी की द्विपक्षीय चर्चा महत्वपूर्ण होगी, ऐसा बंबावले ने कहा है। दौरान चीन ने इस बैठक के बारे में बोलते हुए इस बैठक के सफलता की गवाही दी थी। तथा एससीओ के सदस्य देशों का संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू होने वाला है और सितंबर महीने में होनेवाले इस युद्धाभ्यास में भारत और पाकिस्तान की सेना भी शामिल होने वाली है।

इसकी वजह से भारत और पाकिस्तान में तनाव कम हो सकता है, ऐसा दावा चीन से किया जा रहा है। इससे पहले भी चीन ने भारत और पाकिस्तान में सामंजस्य स्थापित करने के लिए मध्यस्थी करने की तैयारी दिखाई थी। पर भारत ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय प्रश्नों पर तीसरे किसी का भी हस्तक्षेप नहीं मंजूर किया जाएगा, ऐसी ठोस भूमिका ली थी। एससीओ के सहयोग की वजह से भारत और पाकिस्तान के संबंध सुधर सकते हैं, ऐसे संकेत देकर चीन इसके लिए भारत पर दबाव बनाने के लिए और एक बार प्रयत्न कर सकता है, ऐसा चीन ने इस संदर्भ में दिए प्रतिक्रिया की वजह से दिखाई दे रहा है।

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