अमरिका और चीन में शुरु व्यापार युद्ध के दौरान भारत-अमरिका के बीच नए व्यापारी करार की आशंका

नई दिल्ली – अमरिका से चीन, कैनेडा एवं यूरोपीय देशों पर जारी होने वाले करों की वजह से शुरु हुए व्यापार युद्ध की पृष्ठभूमि पर भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार सुरक्षित रखने के लिए अमरिका ने जोरदार गतिविधियां शुरू की है। द्विपक्षीय व्यापार में विवाद के मुद्दे एवं बाधाएं दूर करने के लिए दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के दौरान चर्चा शुरू हुई है। पिछले महीने में अमरिका ने अन्य देशों पर जारी किए प्रतिबंधों का झटका भारत को न लगे इसके लिए अमरिका के संसद ने स्वतंत्र विधेयक मंजूर किया था।

व्यापार युद्ध, व्यापारी करार, डोनाल्ड ट्रम्प, द्विपक्षीय व्यापार, भारत, यूरोपीय महासंघ

सन २०१७ के आंकड़ों के अनुसार भारत एवं अमरिका में द्विपक्षीय व्यापार १२६ अरब डॉलर से अधिक हुआ है और उसमें उत्पादन क्षेत्र का हिस्सा ५९ प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र का हिस्सा ४१ प्रतिशत रहा। अमरिका के साथ व्यापार में भारत को लगभग ३० अरब डॉलर का फायदा हो रहा है और राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अमरिका का नुकसान कम करने के लिए आक्रामक भूमिका अपनाई है। उसके एक भाग के तौर पर राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने मार्च महीने में भारत के पोलाद एवं एल्युमिनियम के आयात पर कर जारी किए थे।

ट्रम्प की इस कार्रवाई को प्रतिउत्तर देते हुए भारत ने भी अमरिका से होनेवाली आयात पर करों की घोषणा की है और उसका कार्यवनन नवंबर महीने तक आगे धकेला गया है। इस पृष्ठभूमि पर दोनों देशों में बने व्यापारी विवाद एवं बाधाएं दूर करने के लिए होनेवाला संभाव्य करार ध्यान केंद्रित करने वाला ठहरा है। अमरिका एवं भारत दोनों देशों से इस पर अधिकृत रूप से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है।

जून महीने से शुरू इस चर्चा में भारत से अमरिका में निर्यात होने वाली कृषि उत्पादन एवं अमरिका से भारत में निर्यात होने वाले आरोग्य विषयक सामग्री जैसे मुद्दे समावेशित होने की बात कही जा रही है। कुछ दिनों पहले अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के साथ व्यापारिक करों के बारे में किए विधान की तरफ ध्यान केंद्रित किया गया था। ट्रम्प ने हाल ही में भारत द्वारा व्यापारी करार के लिए अमरिका के पास प्रस्ताव दिया गया था, ऐसा दावा किया।

पिछले वर्ष से भारतीय वित्त व्यवस्था गतिमान प्रगति कर रही है और ८ प्रतिशत से अधिक विकास दर दर्ज करेगी ऐसा अंदाजा व्यक्त किया जा रहा है। इस गति से बढ़नेवाले वित्त व्यवस्था का लाभ उठाने के लिए अमरिकी कंपनियां उत्सुक होकर भारतीय बाजार में घुसने के लिए तैयार हैं।

पिछले कई वर्षों से भारत एवं अमरिका में राजनीतिक तथा सामरिक स्तर पर सहयोग प्रस्थापित हो रहा है। पर व्यापारी स्तर पर भी अभी दोनों देशों को अपेक्षित गति नहीं मिल रही है, ऐसा वित्ततज्ञ का मत है। इस के लिये दोनों देशों का व्यापारी विवाद जिम्मेदार होने का दावा किया जा रहा है। यह विवाद एवं मतभेद दूर हुए तो भारत-अमरिका व्यापार दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा, ऐसा दावा अमरिका के विश्लेषक कर रहे हैं।

दोनों देशों में वार्षिक व्यापार ५०० अरब डॉलर पर ले जाने का उद्देश्य भारत एवं अमरिका के नेताओं ने सामने रखा था। यह उद्देश्य प्राप्त करने के लिए दोनों देश समझौते की भूमिका अपनाये, ऐसी मांग विश्लेषकों से की जा रही है। इस संदर्भ में दोनों देशों में शुरू चर्चा के दौरान इस मुद्दे पर अत्यंत गंभीरता से देखा जा रहा है, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। फिलहाल अमरिका और चीन में व्यापारी युद्ध भड़का है तथा यूरोपीय महासंघ भी अमरिका के साथ व्यापार युद्ध शुरू होने के संकेत दे रहा है। ऐसी परिस्थिति में बहुत बड़ा बाज़ार होनेवाले भारत के साथ व्यापार सहयोग प्रस्थापित करके अमरिका अपने वित्त व्यवस्था को बढावा देने का प्रयत्न कर रहा है।

पिछले कुछ महीनों से अमरिका-भारत व्यापार को गति मिली है और भारत ने अमरिका से ईंधन की खरीदारी शुरू की है। आने वाले समय में दोनों देशों में ईंधन व्यवहार बड़े तादाद में बढ़ेगा ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.