लद्दाख की एलएसी पर का तनाव इतनी जल्दी कम होने की संभावना नहीं

नई दिल्ली/बीजिंग – लद्दाख की ‘प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा’ (एलएसी) पर निर्माण हुआ तनाव कम करने के लिए चीन भारत के साथ बातचीत कर रहा है। दोनों देश इसके लिए राजनीतिक तथा लष्करी स्तर पर चर्चा कर रहे हैं, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है। लेकिन असल में चीन लद्दाख की ‘एलएसी’ से पीछे हटने को तैयार नहीं है। इस कारण दोनों देशों के बीच का तनाव इतनी जल्दी कम होने के असार ना होने का यक़ीन भारत के लष्करी अधिकारी दे रहे हैं, ऐसा माध्यमों का कहना है।

‘भारत और चीन एलएसी पर का तनाव कम करने की कोशिश में हैं और इसके लिए राजनीतिक तथा लष्करी स्तर पर दोनों देशों की चर्चा शुरू है’, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा है। लद्दाख की एलएसी तथा उसके नज़दीकी क्षेत्र में चीन ने लगभग ५० हज़ार जवान तैनात किये हैं। भारत ने भी टक्कर की तैनाती करके चीन को प्रत्युत्तर दिया है। इस कारण इस क्षेत्र में युद्ध भड़क सकता है, ऐसी चिंता व्यक्त की जाती है। यह तनाव कम करने के लिए दोनों देशों में चर्चा के आठ दौर हुए हैं। इनमें से आठवाँ दौर ६ नवम्बर को संपन्न हुआ था।

इस चर्चा में से कुछ ख़ास सफलता नहीं मिली है। कुछ हफ़्ते पहले चीन ने भारत की माँग के अनुसार, अपने जवान लद्दाख के पँगॉंग सरोवर क्षेत्र के ‘फिंगर ४’ से ‘फिंगर ८’ तक पीछे लेने की तैयारी दर्शायी थी। लेकिन अब चीन वैसा करने के लिए तैयार नहीं है। क्योंकि चीन के नेतृत्व को यह बात मान्य ना होने का दावा, भारतीय लष्करी अधिकारियों ने किया है। उल्टा, भारत ही पँगॉंग सरोवर के दक्षिणी ओर की अहम पहाड़ियों का कब्ज़ा छोड़ दें, ऐसा अड़ियल आग्रह चीन ने पकड़ा है। लेकिन यदि यहाँ से वापसी करनी है, तो वह दोनों देशों के सैनिकों ने करनी चाहिए, ऐसा भारत ने चीन को सुनाया है।

चीन यदि भारत की यह माँग मान्य करनेवाला नहीं, तो भारत प्रदीर्घ समय के लिए इस क्षेत्र में अपनी सेना तैनात रखने के लिए तैयार है। चीन को इसका एहसास करा दिया जा रहा है। फिलहाल लद्दाख के क्षेत्र में चीन के जवान ठंड़ से परेशान हुए होकर, यहाँ पर हररोज़ नये से जवान तैनात करने पड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, बल्कि चीन के जवानों का मनोधैर्य ढह गया होकर, वे बार बार बीमार पड़ रहे हैं। चीन ने किसी भी प्रकार की तैयारी न करते हुए भारत को इस क्षेत्र में छेड़ने की बड़ी गलती की। उसपर भारत से आनेवाली प्रतिक्रिया का बहुत ही ग़लत अनुमान चीन ने जताया और उसका अंजाम आज चीन भुगत रहा है, ऐसा पश्‍चिमी विश्‍लेषक बता रहे हैं।

इसी बीच, भारत के राजनीतिक नेतृत्व ने पँगॉंग सरोवर की दक्षिणी ओर की अहम पहाड़ियों पर कब्ज़ा करने के आदेश लष्कर को मई महीने में ही दिये थे, ऐसी जानकारी सामने आयी है। लद्दाख की ‘एलएसी’ पर से चीन वापसी करें, ऐसा र बार जताने के बावजूद भी चीन ने उसकी ओर अनदेखा किया था। उसके बाद ‘मुखपरी’, ‘रेझांग ला’, ‘रेचिन ला’, ‘गुरुंग’ तथा इस क्षेत्र के अन्य कुछ अहम पहाड़ियों पर कब्ज़ा करके, अगस्त महीने के अन्त में भारतीय लष्कर ने चीन को जोरदार झटका दिया था। उसकी तैयारी भारत ने मई महीने में ही की थी, यह बात सामने आयी है। वहीं, दूसरी ओर, चीन पूर्वतैयारी न करके, लद्दाख में खुदका मज़ाक बना रहा दिखायी दे रहा है।

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