६८ वर्ष बाद एअर इंडिया का ‘कॉकपिट’ फिर से ‘टाटा’ के हाथों में

air-india-tata-1नई दिल्ली – एअर इंडिया को खरीदने के लिए टाटा सन्स ने लगाई बोली सबसे अधिक साबित हुई है और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा की अध्यक्षता के मंत्रिगुट ने टाटा ने लगाई हुई बोली को मंजूरी प्रदान की है। इसकी वजह से अब ६८ वर्ष बाद एअर इंडिया का मालिकाना हक फिर से टाटा समूह को प्राप्त हुआ है। वर्ष १९५३ में भारत सरकार ने एक कानून पारित करके एअर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया था और टाटा समूह ‘एअर इंडिया लिमिटेड’ सरकारी एअरलाईन्स बनी थी। लेकिन, बीते कुछ वर्षों से एअर इंडिया लगातार घाटे में चल रही थी। एअर इंडिया पर ६० हज़ार करोड़ कर्ज़ का भार था। ‘बेलआऊट’ के बावजूद एअर इंडिया को इस संकट से बाहर निकालना नामुमकिन होन से आखिर में सरकार ने ‘एअर इंडिया’ की बिक्री करने का निर्णय किया था। सोशल मीडिया पर ‘वेलकम बैक’ ऐसी प्रतिक्रिया दर्ज़ करके रतन टाटा ने आनंद व्यक्त किया है।

एअर इंडिया को खरीदने के लिए टाटा और स्पासईस जेट के कन्सोर्टियम ने बोली लगाई थी। सरकार ने एअर इंडिया खरीदने के लिए १२,९०६ करोड़ की आधार कीमत तय की थी। इससे अधिक बोली लगाकर एअर इंडिया को कौन खरीदेगा, इस ओर सभी की नज़रें लगीं थी। एअर इंड़िया को खरीदने के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया कुछ दिन पहले ही पूरी हुई थी। बीते हफ्ते में इस बोली के आँकड़े सार्वजनिक किए गए थे। उसी समय एअर इंडिया के मालिकाना हक फिर से टाटा के हाथों में जाएँगे, यह लगभग तय हुआ था। इससे संबंधित खबरें भी प्राप्त हुई थीं। लेकिन, अभी निर्णय नहीं हुआ है और मंत्रिगुट की मंजूरी प्राप्त होने के बाद ही निर्णय का ऐलान होगा, ऐसा खुलासा सरकार ने किया था।

air-india-tata-2टाटा द्वारा लगाई गई बोली सबसे अधिक साबित हुई है और मंत्रिगुट ने इसे मंजूरी प्रदान की, यह ऐलान केंद्र सरकार ने शुक्रवार के दिन किया। टाटा ने एअर इंडिया को खरीदने के लिए कुल १८ हज़ार करोड़ रुपयों की बोली लगाई थी। बोली की यह कीमत स्पाईस जेट ने लगाई हुई बोली से कहीं ज्यादा थी। ऐसे में एअर इंडिया टाटा को सौंपने की प्रक्रिया जल्द ही पूरी हो जाएगी। दिसंबर तक यह प्रक्रिया पूरी होगी, ऐसा संबंधित अफसर ने कहा है। इसके अलावा टाटा द्वारा एअर इंडिया के कुल ६१,५६० करोड़ रुपयों के कर्ज़ में से १५,३०० करोड़ रुपयों के कर्ज़ का भी भुगतान किया जाएगा। और शेष ४२,२६२ करोड़ रुपयों के कर्ज़ का भुगतान सरकार एअर इंडिया असेट होल्डिंग कंपनी के माध्यम से करेगी।

इसके अलावा टाटा को ‘एअर इंडिया’ की बिक्री करते समय सरकार ने कुछ शर्तें भी रखी हैं। इसके अनुसार अगले एक वर्ष तक कंपनी के किसी भी कर्मचारी को बरखास्त नहीं किया जाएगा। एक साल बाद ‘वीआरएस’ की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दी जाएगी या कर्मचारियों को अगले एक वर्ष के लिए काम पर रखने की अनुमति मिलेगी। इसके अलावा टाटा कंपनी अगले पांच वर्षों तक एअर इंडिया के ‘ब्रान्ड’ में बदलाव नहीं कर सकती।

वर्ष २००९ से सरकार ने एअर इंडिया को बचाने के लिए समय समय पर आर्थिक सहायता प्रदान की। इसके तहत सरकार ने एअर इंडिया में तकरीबन १ लाख करोड़ से अधिक निवेश किया। दो बार कंपनी को बेलआऊट दिया गया। लेकिन, घाटे में चल रही एअर इंडिया को लगातार बेलआऊट देने के बजाय यह रकम जनता के कार्यों के लिए खर्च किया जाए, यह विचार आगे आया। इसके बाद सरकार द्वारा एअर इंडिया के विनिवेश का निर्णय किया गया। इसके तहत २०१८ में सरकार ने एअर इंडिया के ७६ प्रतिशत हिस्से की बिक्री करने का निर्णय किया। लेकिन, यह कंपनी खरीदने के लिए किसी भी कंपनी ने पहल नहीं की थी। इसके बाद सरकार ने पूरी कंपनी की बिक्री करने का निर्णय किया। कोरोना के संकट के चलते यह प्रक्रिया स्थगित करनी पड़ी थी और अप्रैल में इसे फिर से शुरू किया गया था।

एअर इंडिया की शुरूआत जहांगिर टाटा (जेआरडी) ने वर्ष १९३२ में ‘टाटा एअरलाईन्स’ के नाम से की थी। आगे वर्ष १९४६ में इस कंपनी का नाम बदलकर ‘एअर इंडिया लिमिटेड’ किया गया। लेकिन, आज़ादी के बाद वर्ष १९५३ में भारत सरकार ने संसद में एअर कॉर्पोरेशन कानून पारित करके एअर इंडिया का राष्ट्रीयकरण करके कंपनी को अपने हाथों में लिया था। इसके बाजूद जेआरडी टाटा ही वर्ष १९७७ तक एअर इंडिया के अध्यक्ष बने रहे। हवाई सेवा क्षेत्र में दोबारा उतरने की इच्छा टाटा समूह की काफी वर्षों से थी। वर्ष १९९४ में रतन टाटा ने सिंगापुर एअरलाईन्स में भागीदारी में उतरने की कोशिश की। लेकिन, तब के नियमों की वजह से वह मुमकिन नहीं हो पाया था। इसके बाद वर्ष २०१३ में टाटा समूह ने सिंगापुर एअरलाईन्स के सहयोग से टाटा एसआयए एअरलाईन्स कंपनी शुरू की। इसके ज़रिये टाटा ने ‘विस्तारा’ नाम से विमान सेवा शुरू की। इस कंपनी के पास फिलहाल ४७ विमान हैं और इस कंपनी के विमान रोज़ाना २०० उड़ानें भरते हैं। साथ ही वर्ष २०१४ में एअर एशिया नामक मलेशियन कंपनी के साथ टाटा ने संयुक्त उपक्रम शुरू किया। एअर एशिया में टाटा का हिस्सा ५१ प्रतिशत है। अब एअर इंडिया भी टाटा के हाथ लगी है।

वेलकम बैकप्रतिक्रिया दर्ज़ करके टाटा ने जताया आनंद

एअर इंडिया के लिए टाटा सन्स की बोली पर मंत्रिगुट ने मुहर लगाने के बाद टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने बिल्कुल चुनिंदा शब्दों में अपना आनंद व्यक्त किया है। इस दौरान रतन टाटा ने एअर इंडिया के विमान के साथ खींचा हुआ जे.आर.डी.टाटा का पुराना फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। साथ ही अपनी प्रतिक्रिया भी दर्ज़ की। जे.आर.डी.टाटा के कार्यकाल में एअर इंडिया एक नामांकित एअरलाईन कंपनी थी। इस एअरलाईन को फिर से प्रतिष्ठा दिलाने का अवसर टाटा समूह को मिला है। जे.आर.डी.टाटा हमारे बीच होते तो निश्चितरूप से आनंदित हुए होते, ऐसा बयान रतन टाटा ने किया है। एअर इंडिया को फिर से खड़ी करने की कोशिश करेंगे, यह गवाही देते हुए रतन टाटा ने ‘वेलकम बैक, एअर इंडिया’, इन शब्दों में अपना आनंद व्यक्त किया है।

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