अफगानिस्तान पर तालिबान की सत्ता पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है – विश्‍लेषक और माध्यमों का दावा

काबुल/इस्लामाबाद – अफगानिस्तान से अमरीका की सेना वापसी के बाद तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा करेगा, ऐसे दावे लगातार किए जा रहे हैं। अफगानिस्तान तालिबान के कब्जे में जाने के बाद उस माध्यम से पाकिस्तान सूत्रसंचालन करने की शुरुआत करेगा, ऐसा भी माना जाता है। लेकिन दरअसल तालिबान की अफगानिस्तान में एकतांत्रिक सत्ता पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी बन सकती है, ऐसा विश्लेषक और माध्यमों का कहना है। तालिबान के निर्माण के लिए हालाँकि पाकिस्तान ने ही पहल की थी, फिर भी हाल में दोनों पक्षों में विशेष मित्रता नहीं रही, ऐसा बताया जाता है।

pak-afghan-talibanअमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने पहल करके अफगानिस्तान से अमरीकी लष्कर वापस बुलाने की गतिविधियाँ कीं थीं। अमरीका और तालिबान में पिछले साल हुए समझौते के अनुसार, अमरीका की सेना मई महीने तक अफगानिस्तान से वापस लौटनेवाली है। उसी समय, तालिबान भी अफगान सरकार के साथ शांतिचर्चा करके आतंकवादी हमले और हिंसाचार रोकेगा, ऐसा तय हुआ है। अमरीका में हुए सत्ता बदलाव के बाद नए राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने सेना वापसी पर पुनर्विचार के संकेत दिए हैं। इस कारण अमरीका की पूरी सेना वापसी फिलहाल अनिश्चित अवस्था में दिख रही है।

ऐसा होने के बावजूद भी, तालिबान का अफगानिस्तान पर संभाव्य कब्जा, यह चर्चा का विषय बना है। अमरीका के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ट्रिशिआ बेकन ने, तालिबान और पाकिस्तान के संबंध कुछ खास अच्छे ना होने की बात पर गौर फरमाया है। पाकिस्तान और तालिबान के हितसंबंध हालाँकि कुछ मात्रा में समान हैं, फिर भी उनमें मित्रता नहीं हुई है, इसका एहसास बेकन ने कराया। पाकिस्तान की सुरक्षा यंत्रणाएँ ‘अफगाण तालिबान’ को नफरत के नजरिये से देखती हैं और तालिबान को भी पाकिस्तान की लगातार होनेवाली दखलअंदाजी पसंद नहीं, ऐसा दावा भी उन्होंने किया ।

pak-afghan-talibanतुर्कीस्थित पश्चिमी विश्‍लेषक रुपर्ट स्टोन ने भी यह जताया है कि तालिबान का अफगानिस्तान पर नियंत्रण पाकिस्तान के लिए कुछ खास फायदेमंद साबित नहीं होगा। अफगानिस्तान की जनता पाकिस्तान को हमेशा शक के नजरिए से देखती है और अफगानी जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए तालिबान पाकिस्तान का वर्चस्व ठुकरा सकता है, ऐसा दावा स्टोन ने किया है। यदि तालिबान सत्ता में आया, तो वे फिर से आतंकवादी गुटों को आश्रय देंगे और ये आतंकवादी गुट पाकिस्तान के लिए पीड़ादायी साबित होंगे, ऐसा भी तुर्कीस्थित विश्‍लेषक ने कहा है।

इससे पहले अफगानिस्तान पर नियंत्रण प्राप्त करनेवाले तालिबान को पाकिस्तान ही एक मुख्य आधार था। लेकिन पिछले दशक भर में तालिबान ने कतार, रशिया, ईरान और अन्य कुछ देशों के साथ राजनीतिक स्तर पर संबंध स्थापित किए हैं। इस कारण पाकिस्तान का तालिबान पर होने वाला प्रभाव भी घटता चला जा रहा है, ऐसा बताया जाता है। आर्थिक स्तर पर भी तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को मुश्किल में डालनेवाला साबित हो सकता है, ऐसा दावा स्टोन ने किया।

pak-afghan-talibanअफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच होने वाली ‘ड्युरांड लाईन’ यह सीमारेखा और पश्तुवंशियों का प्राबल्य होनेवाला क्षेत्र यह भी विवाद का मुद्दा साबित हो सकता है, ऐसा बताया जाता है। पिछले कुछ दिनों में पश्तुवंशियों द्वारा ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ की माँग हो रही हो कर, यह माँग पाकिस्तान का विघटन करनेवाली साबित होगी, ऐसा माना जाता है। ‘पश्तुन तहफूज मुव्हमेंट’ इस संगठन ने पश्तु और बलोचियों को एकसाथ लाकर ‘ग्रेटर अफगाणिस्तान’ की स्थापना की माँग आगे की है। तालिबान ने पाकिस्तान स्थित पश्तुवंशियों के भाग, यह अफगानिस्तान का ही हिस्सा होने के दावे किए हैं। इस कारण यह मुद्दा भी पाकिस्तान और तालिबान के बीच की दरार अधिक बढ़ाने वाला साबित हुआ है।

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