तालिबान ने अफ़गानिस्तान के १०० से अधिक पूर्व सैनिकों की हत्या की – अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन का आरोप

काबुल – हमारी हुकूमत में सबकुछ ठीकठाक होने का दावा करने वाले तालिबान का क्रूर चेहरा फिर एक बार विश्‍व को दिखाई दिया है| अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबानी आतंकियों ने अफ़गानिस्तान के १०० से अधिक पूर्व सैनिकों की हत्या की है या फिर उन्हें अगवा किया है| यह आरोप लगाकर तालिबान की हुकूमत में कोई भी सुरक्षित ना होने का दावा अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन ने किया| साथ ही तालिबानी आतंकियों ने अफ़गानिस्तान के छह प्रांतों में हज़ारा और उज़बेक अल्पसंख्यांकों को उनके अपने घरों से बाहर निकालकर उनके घरों पर कब्ज़ा करने की जानकारी सामने आ रही है|

मानव अधिकार संगठनभूतपूर्व सरकार में पुलिस या सेना में कार्यरत सैनिक तालिबान की सुरक्षा प्रणाली का हिस्सा बनें, यह ऐलान तालिबान के नेताओं ने कुछ हफ्ते पहले ही किया था| इन पूर्व सैनिकों की जान को खतरा नहीं है, उन्हें दुबारा काम पर दाखिल किया जाएगा, यह वादा तालिबानी नेता ने किया था| लेकिन, तालिबान के आतंकी बिल्कुल इसके विपरीत कर रहे हैं, यह आरोप मानव अधिकार संगठन ने अपनी इस नई रपट में लगाया है|

तालिबान के आतंकी सरकारी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके रात-देर रात पूर्व सैनिक एवं सेना अधिकारियों के घरों पर छापे मारते हैं| तालिबान के नेताओं ने इन सैनिकों को सुरक्षा की गारंटी दी है, फिर भी तालिबान के आतंकी सैनिकों को अगवाह करके उन्हें मार देते हैं| कुछ घटनाओं में अफ़गानिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार के लिए काम करके इन सैनिकों ने सबसे बड़ा और अक्षम्य अपराध किया है, ऐसा तालिबान के स्थानीय कमांडर्स का कहना है, यह दावा इस मानव अधिकार संगठन ने किया|

अगस्त से लेकर अब तक की कार्रवाई में १०० से अधिक पूर्व सैनिकों को तालिबानियों ने मार दिया है या उन्हें अगवा किया है| इन हरकतों की वजह से अफ़गानिस्तान के पूर्व सरकारी अधिकारी, पुलिस और सैनिक असुरक्षित है| कोई भी सैनिक तालिबान की शरण लेने का साहस नहीं कर रहा है, ऐसा इस रपट में कहा गया है| अफ़गान जनता के मन में तालिबान का आतंक बढ़ा है|

अफ़गानिस्तान के अल्पसंख्यांकों में भी इनका खौफ बढ़ने की जानकारी अफ़गान माध्यम ही साझा कर रहे हैं| अफ़गानिस्तान के कंदहार, बघलान, गज़नी, दायकुंड़ी, मैदान और जावज़ान प्रांतों में हज़ारा, उज़बेक और अन्य अल्पसंख्यांकों को तालिबान के आतंकी बेघर कर रहे हैं| इन अल्पसंख्यांकों के घरों पर तालिबानी आतंकियों ने कब्ज़ा किया है और अपने ही देश में हम पर अत्याचार हो रहे हैं, यह आक्रोश अल्पसंख्यांक कर रहे हैं| यह आक्रोश अंतरराष्ट्रीय समूदाय और माध्यमों तक नहीं पहुँचेगा, इसका ध्यान भी तालिबान रख रही है| इस वजह से इसकी तीव्रता अंतरराष्ट्रीय समूदाय तक अब तक पहुंच नहीं पाई है| इस बात का लाभ उठाकर तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हमारी हुकूमत को स्वीकृति प्रदान करें, ऐसी गुहार लगा रही है|

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