तालिबान के समूह की अफगानी लष्कर के साथ मेल-जोल – अमरिकी रेडियो चैनल का दावा  

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काबुल – अफगानिस्तान की सर्कार ने तालिबान के सामने चर्चा का प्रस्ताव रखा था। तालिबान के आतंकवादी नेताओं ने इस प्रस्ताव को ठुकराया है और अफगानिस्तान में हमले तीव्र किए थे। लेकिन तालिबान के कुछ समूह अपने नेताओं के विरोधात जाकर अफगानी सरकार के साथ हाथ मिला रहे हैं। लगभग ७५ तालिबानी आतंकवादियों ने अफगानी लष्कर के साथ सहकार्य करने का निर्णय लिया है और इसके आगे वह अफगानिस्तान के संघर्ष में सरकार के पक्ष में लड़ने वाले हैं।

एक अमरिकी रेडियो चैनल ने इस मामले में खबर प्रसिद्ध की है। पिछले सत्र सालों से अमरिका नाटो और अफगानी लष्कर के साथ संघर्ष करने करने वाले ‘नानगरहार’ प्रान्त की अफगानी सरकार के साथ सुलह करने खबर इस रेडियो चैनल ने दी है। पाकिस्तान की सीमा के पास स्थित ‘बाटी कोट’ जिले के ७५ सशत्र आतंकवादियों ने दो दिनों पहले मुख्य प्रवाह में आने का अफगान सरकार का प्रस्ताव स्वीकार किया।

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अफगानी सरकार के वरिष्ठ लष्करी अधिकारी की उपस्थिति में इन आतंकवादियों ने इसके आगे अफगानिस्तान की सुरक्षा में योगदान देने के लिए मान्य किया है। इसके लिए अफगानी जनता की तरह सर्व अधिकार दिए जाएंगे, ऐसी जानकारी तालिबानी आतंकवादियों ने अमरिकी रेडियो चैनल को दी है। उसीके साथ ही जिन आतंकवादियों को सुरक्षा मुहीम में शामिल नहीं होना है, उनको उनके गाँव में रोजगार उपलब्ध कराके दिया जाएगा, ऐसा भी तालिबानी कमांडर ने कहा है।

नानगरहार प्रान्त गवर्नर ‘हयातुल्लाह हयात’ ने भी शरण आए आतंकवादियों के साथ अफगानी जनता की तरह बर्ताव किया जाएगा, ऐसा कहां है। ‘बाटी कोट’ के तालिबानी आतंकवादियों का शरण आना यह अफगानिस्तान की सरकार के लिए बहुत बड़ी सफलता मानी जा रही है। अब तक ‘बाटी कोट’ के बहुतांश इलाके पर तालिबान का वर्चस्व था। लेकिन इतनी बड़ी संख्या में आतंकवादी मुख्य प्रवाह में शामिल होने की वजह से बाटी कोट आतंकवादियों से लग भाग आजादी मिलने का दावा किया जा रहा है।

पिछले हफ्ते तालिबान ने अफगानिस्तान के दक्षिण में स्थित प्रान्त में बड़े पैमाने पर हमले किए थे। यह हमले करके तालिबान ने अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अशरफ गणी ने दी शांति चर्चा के प्रस्ताव को ठुकराया था। गनी सरकार अमरिका के हाथ की कठपुतली होने का आरोप करके इस सरकार के साथ किसी भी तरह की चर्चा संभव नहीं है, ऐसा तालिबान ने कहा था। उसीके साथ ही अफगानिस्तान का कोई भी समूह इस चर्चा में शामिल न हो, ऐसी धमकी दी थी। लेकिन नानगरहार प्रान्त के तालिबानी आतंकवादियों ने अपने नेताओं को चुनौती देकर मुख्य परवह में आने क्व प्रस्ताव को स्वीकार किया है। वर्तमान में इसके बहुत बड़े परिणाम अफगानिस्तान में नहीं दिखाई देंगे. लेकिन आने वाले समय में तालिबान की एकता पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।

तालिबान मतलब एकछत्री अमल आतंकवादी संगठन न होकर वह आतंकवादी गुटों का समूह है। इसमें दस आतंकवादियों के गुटों से लेकर हक्कानी नेटवर्क जैसे हजारो आतंकवादियों के समावेश वाले गुटों का भी समावेश है। ऐसे समूहों में वर्चस्व पाने के लिए प्रतियोगिता और दुश्मनी की भावना इसका लाभ उठाने की तैयारी अफगानिस्तान की सरकार ने की है। और इसके पीछे अमरिका की योजना होने की कड़ी संभावना है।

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