आयएस-खोरासन के नेता को मारने का तालिबान ने किया दावा

afghan-isis-khorasan-taliban-2काबुल – अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को चुनौती दे रहे ‘आयएस-खोरासन’ के पूर्व प्रमुख अबु ओमर खोरासनी के मारे जाने का ऐलान तालिबान ने किया है। काबुल पर कब्ज़ा करने के बाद अगले दो दिनों में ही खोरासनी को खत्म करने का दावा तालिबान ने किया। बीते कुछ दिनों से आयएस-खोरासन के आतंकी तालिबान को लक्ष्य कर रहे हैं और दोनों आतंकी संगठनों के बीच संघर्ष होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में तालिबान ने खोरासनी को ढ़ेर करने की खबर प्रसिद्ध करके आयएस को उकसाया है।

अबु ओमर खोरासनी उर्फ ज़िया-उल-हक वर्ष २०१८ से २०१९ के दौरान अफ़गानिस्तान में ‘आयएस-खोरासन’ का प्रमुख था। पाकिस्तान की सीमा के पास कुनार प्रांत में खोरासनी का ड़ेरा था। दो वर्ष पहले अमरिकी सेना ने अफ़गानिस्तान में कार्रवाई करके खोरासनी को गिरफ्तार किया था और उसे काबुल में बने पुल-ए-चरखी नामक सबसे बड़े कारागृह में कैद किया गया था।

बीते महीने तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा करने के बाद बगराम समेत पुल-ए-चरखी, हेल्मंड़, कंदहार के सभी जेलों में कैद  आतंकियों को रिहा किया था। इनमें तालिबान के साथ तेहरिक ए तालिबान एवं आयएस के आतंकियों की भी रिहाई होने की जानकारी सामने आयी थी। तालिबान ने मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों को रिहा करने की वजह से पाकिस्तान के साथ विश्‍वभर के विश्‍लेषकों ने चिंता व्यक्त की थी।

afghan-isis-khorasan-taliban-1लेकिन, आतंकी हिज़बुल्लाह संगठन से जुड़े लेबनीज समाचार चैनल ने जारी किए हुए वृत्त के अनुसार तालिबान ने १७ अगस्त के दिन ही खोरासनी और उसके साथियों को मार दिया है। खोरासनी के मारे जाने की जानकारी सामने आयी तो ‘आयएस’ बड़ी प्रतिक्रिया दर्ज़ कर सकती है, इसी ड़र से तालिबान ने इस खबर को सार्वजनिक नहीं किया था।

लेकिन, अगले कुछ ही दिनों में आयएस के आतंकियों ने काबुल हवाई अड्डे के करीब बड़ा हमला किया। इसमें १७० से अधिक लोग मारे गए थे। इसके अलावा बीते कुछ दिनों से काबुल समेत जलालाबाद, मज़ार-ए-शरीफ में तालिबान की गाड़ियों पर आयएस के हमलों में बढ़ोतरी हुई है। अफ़गानिस्तान में आयएस का प्रभाव ना होने का दावा भी तालिबान कर रही है। लेकिन, जलालाबाद में हुए हमलों के बाद तालिबान और आयएस के बीच अगले दिनों में बड़ा संघर्ष भड़केगा, यह दावा खाड़ी क्षेत्र के माध्यम और विश्‍लेषक कर रहे हैं।

तालिबान ने बीते महीने से अब तक आयएस के तीन बड़े नेताओं को ढ़ेर किया है। पाकिस्तान में मौजूद आयएस के नेता फारूक बेंगलाज़ी के साथ अबु ओबेदुल्ला मुतलाकी को भी मार दिया था। लेकिन, बीते कुछ दिनों में तालिबान ने अफ़गानिस्तान में आयएस की विचारधारा को बढ़ावा दे रहे ३० से अधिक प्रार्थना स्थानों को बंद कर दिया है। लेकिन, इससे आयएस की गतिविधियों पर रोक नहीं लगी है, ऐसा इशारा अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषक दे रहे हैं।

पाकिस्तान की सीमा के करीब नांगरहार, कुनार प्रांत में आयएस का बड़ा प्रभाव है। लेकिन, तालिबान भ्रष्ट हुई है और तालिबान ने सत्ता के लिए अमरीका से हाथ मिलाया है, ऐसा आरोप आयएस के नेता लगा रहे हैं। इस वजह से तालिबान पर खफा हुए चरमपंथी आयएस में शामिल होने की कड़ी संभावना सामने आ रही है। ऐसे प्रकार पहले भी हुए थे, इस ओर यह विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इसकी वजह से अगले दिनों में अफ़गानिस्तान में तालिबान और आयएस के बीच जोरदार संघर्ष शुरू होने के आसार दिखाई दे रहे हैं।

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