अफगानिस्तान में ऐतिहासिक धरोहर पर तालिबान का हमला – १८ अफगानी सैनिक ढेर

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरकाबूल – रशिया में अफगानिस्तान के नेता और तालिबान के प्रतिनिधि ने बातचीत करने की खबर सामने आ रही है और इसी बीच तालिबान के आतंकियों ने अफगानिस्तान की सरकार को बडा झटका दिया है| तालिबानी दहशतगर्दों ने हेरात प्रांत के ऐतिहासिक धरोहर के तौर पर पहचाने जा रहे ‘मिनरत ऑफ जाम’ पर हमला किया| इस हमले के दौरान १८ अफगान सैनिक मारे गए है| इस हमले के साथ ही तालिबान के साथ शांतिचर्चा करने की और एक कोशिश नाकामयाब हुई दिखाई दे रही है|

तालिबान ने रशिया की मध्यस्थता के साथ अफगान नेताओं से बातचीत करने की तैयारी दिखाई थी| रशिया की राजधानी मास्को में यह बातचीत होने की खबर है| तालिबान के ओर सेमुल्लाह बरादर अखुंद इस बातचीत में शामिल हुआ था| इससे पहले अफगान सरकार और नेताओं से बातचीत करने से तालिबान ने इन्कार किया था| इस पृष्ठभूमि पर हुई यह बातचीत अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया के लिए सहायक साबित होने के संकेत प्राप्त हो रहे थे| लेकिन, इस संबंधी समाचार प्रसिद्ध हो रहे थे तभी मिनत ऑफ जाम पर तालिबान ने बडा हमला करने का समाचार प्राप्त हुआ है|

युनेस्को ने इस वास्तू को सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया था| इस लिए वहा की सुरक्षा के लिए अफगान सैनिकों को तैनात किया गया था| तालिबान के आतंकियों ने इस जगह पर यकायक हमला किया| इस दौरान तालिबान ने सैनिकों की चौकी को भी लक्ष्य किया| इसके साथ ही शुरू हुई मुठभेड के दौरान हमें पीछे हटना पडा, क्यों की मुठभेड के दौरान ऐतिहासिक धरोहर का नुकसान ना हो, यह उद्देश रहा, यह जानकारी अफगान पुलिस अधिकारी ने दी|

इस मुठभेड में तालिबान ने १८ सैनिकों को ढेर किया| इस वजह से कुछ भी हो पर अफगानस्तान में जारी संघर्ष बंद नही करेंगे, यह संदेशा स्पष्ट तौर पर तालिबान ने दिया है| मास्को में हुई बातचीत में भी तालिबान ने दुसरें देशों की सेना अफगानिस्तान से पीछे हटें बिना शांति स्थापित नही होगी, यह भूमिका अपनाई है| तालिबान को भी शांति चाहिए| लेकिन, जबतक दुसरें देशों के सैनिक अफगानिस्तान छोडते नही, तबतक इस देश में हिंसा होती रहेगी, यह दावा तालिबान के प्रतिनिधिने इस बातचीत के दौरान किया था|

इस दौरान अमरिका ने अफगानिस्तान के लिए नियुक्त किए हुए विशेष प्रतिनिधि झल्मेे खलिलजाद ने तालिबान अफगान सरकार के साथ बातचीत करे, इस लिए कडी कोशिश की थी| तालिबान को इस बातचीत के लिए तैयार करने के लिए अमरिका ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया था| लेकिन, तालिबान को बातचीत करने के लिए विवश करे, इतना प्रभाव पाकिस्तान का नही है, यह बात पाकिस्तान ने स्वीकारी थी| फिर भी तालिबान और अफगान सरकार की बातचीत करवाने के लिए अमरिका ने शुरू की हुई कोशिश अभी बंद नही की है| ऐसी स्थिति में रशिया ने भी अफगान नेताओं के साथ तालिबान की बातचीत करवाने की कोशिश की दिख रही है| लेकिन, तालिबान के दहशतगर्दों ने बुधवार के दिन किए हमले की वजह से अफगानिस्तान में शांति स्थापित होने की संभावना फिर से खतम होती दिख रही है|

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