अफगानिस्तान में तालिबान ने किए हमले में २० जवानों की मौत

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काबुल – तालिबान ने शनिवार को राजधानी काबुल के पास बागलान और हेरात प्रान्त में किए हमलों में २० जवानों की मौत हुई है। उसके बाद रविवार को काबुल में आत्मघाती विस्फोट होने की बात भी सामने आई है। इस विस्फोट में दो व्यक्तियों की मौत हुई है। पिछले कुछ महीनों में अफगानिस्तान में तालिबान के हमले फिरसे तीव्र हुए हैं और नए हमलों से इस बात की पुष्टि हुई है।

शनिवार रात को बागलान में हुए हमले में १० पुलिसों की जान गई है और कई लोग घायल हुए हैं। ‘बागलान-ए-मरकाझी’ इलाके में शनिवार की रात लष्कर और पुलिसों के चेक पोस्टपर हमले किए गए। इस हमले के दौरान तालिबान ने अफगानी लश्करी की पांच चौकियों पर कब्ज़ा करने का दावा सुरक्षा अधिकारियों ने किया है।

इस हमले के बाद पश्चिम अफगानिस्तान के हेरात प्रान्त में भी तालिबान ने हमला करने की जानकारी सामने आई है और उसमें ९ जवान भी मारे गए हैं। यहाँ पर हुई मुठभेड़ में तालिबान के १० आतंकवादियों को मौत के घाट उतारे जाने की जानकारी स्थानीय गवर्नर ने दी है।

पिछले कुछ महीनों में अफगानिस्तान में संघर्ष अधिक तीव्र होता दिखाई दे रहा है। अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले वर्ष अफगानिस्तान नीति घोषित करने के बाद अमरिका ने तालिबान के खिलाफ आक्रामक मुहीम शुरू की थी। माना जाता है कि अमरिका की मुहीम में तालिबान का बड़ा नुकसान हुआ है। लेकिन उसी समय तालिबान ने अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों पर हमले बढाए हैं, ऐसा पिछली कुछ घटनाओं से दिखाई दे रहा है।

काबुल में तालिबान विरोधी नेता ‘अहमद शाह मसूद’ के स्मृतिदिन के अवसर पर आयोजित किए गए कार्यक्रम में आत्मघाती विस्फोट किया गया है। इस विस्फोट में आत्मघाती हमलावर के साथ साथ दो लोगों की जान गई है और १० लोग घायल हुए हैं। इस हमले के पहले एक आत्मघाती हमलावर सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारे जाने की जानकारी पुलिस प्रवक्ता ने दी है।

अफगानिस्तान में तालिबान और आईएस इन आतंकवादी संगठनों से होने वाले हमलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, ऐसा संयुक्त राष्ट्रसंघ की रिपोर्ट से सामने आया था। सन २०१८ में पहले छः महीनों में अफगानिस्तान में हुए आतंकवादी हमलों में मारे गए नागरिकों की संख्या १६०० के ऊपर गई है और पिछले वर्ष की तुलना में उसमें बढ़ोत्तरी हुई है, ऐसा संयुक्त राष्ट्रसंघ ने कहा है ।

दौरान, अफगानिस्तान समस्या और उस देश में चल रही मुहीम के बारे में अमरिका की सरकार अपनी जनता को गुमराह कर रही है, ऐसा दावा अमरिकी दैनिक ने किया है।

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