तालिबान अफ़गानिस्तान के संदर्भ में दिया आश्वासन पूरा करें – भारत के विदेश मंत्री की माँग

न्यूयॉर्क – व्यवहारी रवैय्या अपनाकर दुनिया तालिबान के साथ चर्चा शुरू करें और अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत को मान्यता दें, ऐसी माँग पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसूफ ने भी यह जताया है कि तालिबान को मान्यता दिए बगैर दुनिया के सामने और कोई चारा नहीं है। चीन भी तकरीबन इसी भाषा में, तालिबान को मान्यता देने की आवश्यकता होने की बात अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बता रहा है। ऐसी परिस्थिति में, प्रधानमंत्री मोदी समेत अमरीका के दौरे पर होनेवाले भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान और तालिबान के संदर्भ में भारत की भूमिका स्पष्ट की।

भारत के विदेश मंत्रीअफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए करने नहीं किया जाएगा, ऐसा यकीन तालिबान ने दिलाया था। इस आश्वासन की पूर्ति करने की ज़िम्मेदारी तालिबान पर है। इस उम्मीद को तालिबान ने पूरा करना ही होगा। साथ ही, अफगानिस्तान में सर्वसमावेशक सरकार की स्थापना हों और उसमें सभी अफगानी समाज घटकों का सहभाग हों, यह अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को होनेवाली उम्मीद भी तालिबान ने पूरी करनी चाहिए, ऐसा विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा की पृष्ठभूमि पर, जी-२० देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक को विदेश मंत्री जयशंकर संबोधित कर रहे थे।

अफगानिस्तान में परिस्थिति भयंकर बनी होकर, अफगानी जनता को शीघ्रता से सहायता प्रदान करना अत्यावश्यक बना है। उसके लिए अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय एकजुट करके पहल करें। इस सहायता की आपूर्ति करनेवालों को ठेंठ अफगानी जनता तक पहुँचने की अनुमति होनी चाहिए, ऐसी माँग जयशंकर ने इस समय की। अफगानिस्तान के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध हैं को मास की याद दिला कर जयशंकर ने इस मुश्किल परिस्थिति में भी भारत अफगानी जनता को हर संभव सहायता प्रदान करेगा, यह स्पष्ट किया।

इसी बीच, अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत को मान्यता मिलें, इसके लिए पाकिस्तान और चीन दुनिया को चेतावनियाँ और धमकियाँ दे रहे हैं। लेकिन इन दोनों देशों के निकटतम सहयोगी होनेवाले रशिया और ईरान ये देश भी तालिबान पर पूरा भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं। खुद पाकिस्तान और चीन ने भी अभी तक तालिबान को मान्यता देने की हिम्मत नहीं दिखाई है। वैसा किया, तो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हम अलग-थलग पड़ जायेंगे, ऐसा डर इन देशों को लग रहा है। इस बदनामी के डर से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में उपस्थित रहना टाला, ऐसा कहा जाता है।

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