भारत के राजनीतिक अधिकारियों से सबक सीखें – पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का अपने राजदूतों को ताना

इस्लामाबाद – भारत की प्रशंसा करके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने पाकिस्तान के राजदूतों को खरी-खरी सुनाई। भारत के राजदूत दूसरे देशों में से निवेश प्राप्त करते हैं और विदेश में स्थित भारतीयों को सम्मान देकर, उनके लिए आवश्यक सहायता भी करते हैं। यह कैसे किया जाता है इसका सबक भारत के राजदूतों से सीखें, ऐसी नसीहत इम्रान खान ने अपने राजदूतों को दी। इसकी गूंजें पाकिस्तान के माध्यमों में सुनाई दीं हैं। वरिष्ठ राजनीतिक अधिकारियों ने इस पर नाराजगी जाहिर की। सार्वजनिक तौर पर की यह आलोचना, पाकिस्तान के राजनीतिक अधिकारियों का अपमान करनेवाली है, ऐसा राजनीतिक अधिकारी और माध्यमों का भी कहना है।

राजनीतिक अधिकारियों

आनेवाले समय में किसी भी देश में अगर भारत और पाकिस्तान के राजदूत आमने सामने आए, तो पाकिस्तान के राजदूत का सिर नीचे झुक जाएगा। क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ही उन पर ऐसी नौबत लाए हैं, ऐसी आलोचना पाकिस्तान के पत्रकारों ने की है। प्रधानमंत्री का हेतु और उन्होंने उपस्थित किया मुद्दा हालांकि कितना भी सही है, फिर भी राजनीतिक स्तर पर की बातों की सार्वजनिक रूप में वाच्यता नहीं की जाती, ऐसा पाकिस्तान की पूर्व विदेश सचिव तेहमिना जंजुआ ने कहा है। ऐसा करके इम्रान खान ने यह दिखा दिया है कि उन्हें विदेश मंत्रालय की कार्यपद्धति का ज्ञान नहीं है, ऐसा दोषारोपण तेहमिना जंजुआ ने किया।

पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव सलमान बशिर ने भी, प्रधानमंत्री की आलोचना पाकिस्तान के राजनीतिक अधिकारियों का आत्मविश्वास ढह देनेवाली है, ऐसा कहा है। उसी समय, भारतीय माध्यमों में इस बात का ज़ोरदार चर्चा हो रहा है, इसपर भी पाकिस्तान के राजनीतिक अधिकारी और पत्रकार गौर फरमा रहे हैं। इससे पहले भी इम्रान खान ने अपनी अपरिपक्वता दिखा दी थी। लेकिन जब वे यह आलोचना कर रहे थे, तब उनके पड़ोस में बैठे विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने तो प्रधानमंत्री को टोकना चाहिए था, ऐसी उम्मीद कुछ लोगों ने ज़ाहिर की।

भारत ने धारा-३७० हटाने के बाद, पाकिस्तान बहुत बड़ी राजनीतिक मुहिम छेड़कर भारत को हैरान करेगा, ऐसे दावे प्रधानमंत्री इम्रान खान ने किए थे। लेकिन पाकिस्तान की इन कोशिशों का मित्र देशों ने भी साथ नहीं दिया। उल्टे बाद के समय में पाकिस्तान की ही घेराबंदी होने का दृश्य दिखाई दिया। यह विदेश मंत्रालय की असफलता साबित होती है। भारत की विदेश नीति को मिल रही सफलता की पृष्ठभूमि पर, पाकिस्तान की विदेश नीति की यह असफलता अधिक ही गौरतलब साबित होती, ऐसा खेद पाकिस्तान के माध्यम जाहिर कर रहे हैं।

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