सर्वोच्च न्यायालय की ‘तीन तलाक’ पर बंदी ऐतिहासिक निर्णय का देशभर स्वागत

नई दिल्ली: इस्लाम धर्मियों में चलते आ रहे ‘तीन तलाक’ पद्धति पर बंदी लाने का ऐतिहासिक निर्णय सर्वोच्च न्यायालयने घोषित किया है। इस्लाम धर्म में महिला और देश भर सुधारणा वादी तथा विधिज्ञ इस निर्णय पर समाधान व्यक्त कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस निर्णय का स्वागत करके यह निर्णय ‘ऐतिहासिक’ होने की प्रतिक्रिया व्यक्त की है। ‘तीन तलाक’ पर बंदी की घोषणा करते आगे आने वाले छ महीनों में सरकार इस मामले में कानून बनाएं यह सूचना सर्वोच्च न्यायालय ने दी है।

‘तीन तलाक’ पद्धति के विरोध में देशभर में इस्लाम धर्म की महिलाओं में असंतोष बढ़ रहा था। जिसकी वजह से, महिलाओं पर बड़े पैमाने में पर अन्याय होकर उनका अपहार शुरू होने की शिकायत की जा रही थी। इस मामले में ७ याचिका दाखिल की गई थी। इस्लाम धर्म के महिलाओं ने किए इस याचिका द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में ‘तीन तलाक’ के विरोध में न्याय मांगा था। इस अन्याय से भरे प्रथा का धर्म से कोई संबंध ना होकर यह प्रथा बंद करने की मांग महिलाओं ने की थी। इस वर्ष के मई महीने में लगातार पांच दिन सुनवाई हुई थी। ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ तथा अन्य संगठन ने ‘तीन तलाक’ का समर्थन करके उसका संबंध धार्मिक स्वतंत्रता से जोड़ा था।

इस पृष्ठभूमि पर, मंगलवार के दिन सर्वोच्च न्यायालय ने ‘तीन तलाक’ मुद्धेपर निर्णय घोषित किया जिसपर समूचे देश की नजर टिकी थी। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे.एस.खेहर की अध्यक्षता की पांच सदस्य अदालत में न्यायाधीश आर.एफ.नरीमन, न्यायाधीश कुरियन जोसेफ, न्यायाधीश एस.ए.नाजिर, न्यायाधीश यू.यू.ललित का समावेश था। ‘तीन तलाक’ पर अदालत में तीन विरुद्ध दो यह मतदान हुआ। यह पद्धति पवित्र कुरान से कहीं भी संबंधित नहीं और इस्लाम से भी इसका कोई संबंध नहीं एवं यह पद्धति घटना बाह्य है ऐसे मत ३ न्यायाधीशों ने व्यक्त किए। दो न्यायाधीशों ने इस सिलसिले में सरकार कानून बनाएं यह भूमिका ली। आखिर संख्या बल का विचार करते तीन तलाक पर बंदी का निर्णय घोषित किया गया।

३९५ पन्नों के इस निर्णय पत्र में ‘तीन तलाक’ पर ६ महीने की बंदी होने की बात कहते, आने वाले समय में सरकार ने इस बंदी पर कानून बनाए यह सूचना अदालत ने की। ६ महीने में केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर कानून नहीं किया तो आनेवाले समय में भी यह बंदी कायम रहेगी यह सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया। केंद्र सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, इस कानून की आवश्यकता न होने का बयान दिया है। ‘तीन तलाक’ पद्धति अवैध होने की बात सर्वोच्च न्यायालय में बहुमत से मानी गई है। इस वजह से उसके विरोध में कानून करने की आवश्यकता नहीं रही, यह कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है।

यह निर्णय क्रांतिकारक होते हुए देश भर की महिला वर्ग ने इसका स्वागत किया है। इस निर्णय से हमारे इस्लाम धर्मीय बहनों को न्याय मिला है, यह कहकर सुधारणावादी तथा महिला संगठनों ने आनंद व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वोच्च न्यायालय ने दिया इस निर्णय को ‘ऐतिहासिक’ ठहराते हुए इस निर्णय का स्वागत किया है। यह निर्णय न्याय एवं समानता स्थापित करने वाला है यह कहते प्रधानमंत्री मोदी ने इसका समर्थन किया है। प्रख्यात विधिज्ञ सोली सोराबजी ने इस्लाम धर्म की महिलाओं के अधिकार सुरक्षित करनेवाला सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय सुधारणावादी होने की बात कही है।

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