निर्भया पर अत्याचार करनेवालों की फाँसी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरक़रार; निर्भया के माता-पिता सहित देशभर से स्वागत

नई दिल्ली, दि. ५: ‘यह करतूत बहुत ही क्रूर, जंगली, राक्षसी है| ऐसी राक्षसी करतूत को माफ नहीं किया जा सकता,’ ऐसा कहकर सुप्रीम कोर्ट ने ‘निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या’ मामले में चार आरोपियों की फाँसी बरक़रार रखी| निर्भया पर के अत्याचारों के सिलसिले में चल रहे मुक़दमे में शुक्रवार को सुप्रीम न्यायालय ने घोषित किये इस निकाल का देशभर से स्वागत किया जा रहा है| ‘इस निर्णय से हमारी बेटी को न्याय मिला है’ ऐसा निर्भया के माता-पिता ने कहा है|

‘निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या’

‘निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या’ मामले में सुप्रीम कोर्ट कौनसा निर्णय देती है, इसपर पूरी देश की निगाहे लगीं थीं| इससे पहले सत्र न्यायालय और इसके बाद उच्च न्यायालय ने, निर्भया पर अमानवी अत्याचार करनेवाले इन नरपशुओं को दोषी क़रार देकर फाँसी दी थी| इस फ़ैसले को दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी|

न्यायालय ने इस मामले में सलाह देने के लिये दो ऍमिकस क्यूरी (न्यायमित्र) नियुक्त किये थे| इन न्यायमित्रों ने आरोपियों को फाँसी ना दें, ऐसी सलाह दी थी| इसके लिये उन्होंने, ‘दोषियों ने निर्भया के साथ बलात्कार किया, लेकिन उन्हें उसे मारना नहीं था’ ऐसी दलील पेश की थी| साथ ही, आरोपियों के वकिलों ने भी, ‘फाँसी न्यायसंगत नहीं होगी’ ऐसा युक्तिवाद किया था| न्यायालय फैसला सुनाते समय, दोषियों की उम्र, उनके घर के हालात, आचरण और वे गुनाहगारी पार्श्‍वभूमी के नहीं हैं, इसका सहानुभूतीपूर्वक विचार करें, ऐसा युक्तिवाद बचावपक्ष ने किया था|

लेकिन न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश आर. भानमती और न्यायाधीश अशोक भूषण इनके खंडपीठ ने चारों को दोषी मानकर, सुनाई गई फाँसी की सज़ा बरकरार रखी है| ‘दोषियों का क्रौर्य हिलाकर रख देनेवाला और घृणास्पद है, इससे पूरे देश को ज़ोरदार झटका लगा था| इसलिए इस अमानवी गुनाह और जंगली क्रूरता को माफ नहीं किया जा सकता| यह पूरा मामला दुर्मिल से दुर्मिल है, इसमें आरोंपी की पार्श्‍वभूमी, उम्र इन चीजों को महत्त्व दिया नहीं जा सकता’ ऐसा सर्वोच्च न्यायालय के खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा है|

‘इस मामले में पीड़िता ने मृत्यु से पहले दी ज़बानी को दुर्लक्षित किया नहीं जा सकता और उसपर आशंका भी उठायी नहीं जा सकती| दोषियों ने उनके शरीर में लोहे का रॉड घुसाकर उसे और उसके दोस्त को चलती बस से बाहर फेंककर उन्हे मारने की कोशीश की| इस प्रकार के गुनाह को कड़ी से कड़ी सजा देना ही उचित होगा| इसके कारण जनता को न्यायालय पर विश्‍वास बढ़ेगा,’ ऐसा न्यायालय ने कहा है|

निर्भया के मातापिता और न्यायालय में उपस्थित सभी ने तालियों के गड़गडाहट से इस फ़ैसले का स्वागत किया| निर्भया के पिताजी बद्रीनाथ सिंह और माता आशादेवी इस समय भावुक हो गये| न्यायालय से इस प्रकार का फैसला आयेगा, ऐसी उम्मीद थी, ऐसी प्रतिक्रिया निर्भया के मातापिता ने दी| हमारी बेटी आज भी हमारे हृदय में जिवीत है और उसे इन्साफ दिलाने के लिये पिछले चार साल से हमारा संघर्ष शुरू था| इन दोषियो को जब प्रत्यक्ष फाँसी दी जायेगी, उस क्षण की हम प्रतीक्षा कर रहे हैं| लेकिन आंज की रात हम अच्छी नींद सो सकेंगे,’ ऐसा कहकर निर्भया के मातापिता ने इस फ़ैसले पर खुशी जतायी|

मुकेश, पवन, विजय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह ऐसे, न्यायालय ने फाँसी दिये इन गुनाहगारों की नाम हैं| १६ दिसंबर २०१२ को दिल्ली में छह लोगों ने चलती बस में निर्भया पर सामूहिक बलात्कार किया था| इनमें एक आरोपी अल्पवयीन था; वहीं, बसचालक राम सिंह ने दो साल पहले जेल में ही आत्महत्या की है| सुप्रीम न्यायालय में यह केस शीघ्रगति से चलाया गया| साल में हर सोमवार, शुक्रवार और शनिवार सर्वोच्च न्यायालय में इस केस की सुनवाई शुरू थी| २७ मार्च को दोनो तरफ की दलीलें पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार तक यह फैसला रोककर रखा था|

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