राफाएल की कीमतों के बारे में जानकारी १० दिनों में प्रस्तुत करें – केंद्र सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश

नई दिल्ली – फ्रान्स से खरीदारी किए जानेवाले लड़ाकू राफाएल विमानों के कीमतों के बारे में जानकारी १० दिनों में प्रस्तुत करने के आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को दिये है। राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से यदि इस बारे में जानकारी उजागर करना संभव नहीं होगा, तो वैसा प्रतिज्ञापत्र केंद्र सरकार प्रस्तुत करें, ऐसा भी सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है। इससे पहले भी इन विमानों के कीमतों के बारे में सारी जानकारी उजागर करना राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से हित मे नहीं होगा, ऐसा कहकर केंद्र सरकार ने संसद में भी यह जानकारी उजागर नहीं की थी।

राफाएल लड़ाकू विमानों की खरीदारी व्यवहार में घोटाला हुआ है और बढ़ते दाम से यह विमान फ्रान्स से खरीदारी किये जा रहे है, ऐसा आरोप शुरू हुआ है। इसके विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी। इसपर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायाधीश यु.यु.ललित और न्यायाधीश ए.एम.जोसेफ इनके अदालत ने इस खरीदारी व्यवहार की प्रक्रिया की जानकारी सरकार से मांगी थी। उसके बाद बुधवार को अदालत ने सरकार के पास राफाएल के कीमत की जानकारी मांगी है। १० दिनों में बंद लिफाफे में यह जानकारी प्रस्तुत करें, ऐसे आदेश सर्वोच्च न्यायालय के अदालत ने दिए हैं।

अगर यह जानकारी उजागर करना योग्य नहीं है, ऐसा सरकार को लग रहा है, तो वैसा प्रतिज्ञा पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करें, ऐसा भी अदालत ने अटॉर्नी जनरल के.के.वेणुगोपाल से कहा है। इससे पहले भी सरकार ने राफाएल के कीमतों के बारे में संसद में पूछे प्रश्न को उत्तर देते हुए यह जानकारी संवेदनशील होकर दाम उजागर करना योग्य नहीं होगा, ऐसी भूमिका ली थी।

राफाएल की कीमत एवं उसकी सारी जानकारी उजागर हुई, तो इन लड़ाकू विमानों पर किस प्रकार के शस्त्र तैनाती की जा सकती है, यह जानकारी पाकिस्तान एवं चीन को मिल सकती है, ऐसी चिंता केंद्र सरकार से व्यक्त की जा रही है। तथा यह जानकारी उजागर करना मतलब गोपनीयता के कानून का भंग होगा ऐसा अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल का कहना है।

सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करनेवाले एडवोकेट प्रशांत भूषण, भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिंहा एवं अरुण शौरी ने राफाएल की खरीदारी व्यवहार की सीबीआई द्वारा जांच हो ऐसी मांग सर्वोच्च न्यायालय के पास की थी। इस पर अदालत ने फिलहाल इसकी आवश्यकता न होने की बात कहकर, सीबीआई पहले अपना घर सवारे ऐसी टिप्पणी लगाई थी। तथा इस संदर्भ में अपने अदालत के सामने आनेवाले कागजात एवं जानकारी इसपर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने पर अदालत ने इनकार किया है।

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