‘पीओके’ में पाकिस्तान और चीन के विरोध में ज़ोरदार प्रदर्शन

नई दिल्ली – ‘पीओके’ में पाकिस्तान तथा चीन द्वारा झेलम नदी पर जो बाँध बनाये जा रहे हैं, उनके विरोध में स्थानीय लोगों ने ज़ोरदार प्रदर्शन किये। इन बाँधों के मुद्दे पर प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान सरकार को स्पष्टीकरण पूछा है। यह परियोजना जब तक रद नहीं होती, तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा, ऐसा भी प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान से डटकर कहा है। सोमवार को इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री इम्रान खान की उपस्थिति में, झेलम नदी पर जलविद्युत परियोजना बनाने के लिए पाकिस्तान और चीन के बीच डेढ़ अरब डॉलर्स का समझौता हुआ। उसके दूसरे दिन ही ‘पीओके’ में ये प्रदर्शन हुए हैं।

POK-Protestपाकिस्तान ‘पीओके’ में चीन की सहायता से दो जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण कर रहा है। ११२४ मेगावैट की जलविद्युत परियोजना का २.५ अरब डॉलर्स का एक समझौता पिछले महीने संपन्न हुआ था। ७०० मेगावैट की दूसरी जलविद्युत परियोजना का समझौता सोमवार को हुआ। यह समझौता लगभग डेढ़ अरब डॉलर्स का है।

लेकिन इन दोनों परियोजनाओं को लेकर ‘पीओके’ की जनता में प्रचंड असंतोष है। ये दोनों परोयोजनाएँ ‘चायना-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) के तहत बनायीं जा रहीं हैं। सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने, यह परियोजना यानी निवेश होकर, इसका बोझ पाकिस्तानी जनता पर नहीं पड़ेगा, ऐसा यक़ीन पाकिस्तानी जनता को दिलाया। चीन के विकास से हम बहुत कुछ सीखे हैं और ‘सीपीईसी’ परियोजना पाकिस्तान को नई बुलंदी पर ले जायेगी, ऐसी उम्मीद इम्रान खान ने व्यक्त की।

प्रधानमंत्री इम्रान खान को बार बार ‘सीपीईसी’ और उसके तहत निर्माण हो रहीं परियोजनाओं को लेकर पाकिस्तानी जनता को आश्वासन देना पड़ रहा है। क्योंकि इस परियोजना पर पाकिस्तान में अब ज़ोरदार आलोचना की जा रही है। चीन ने ‘सीपीईसी’ के लिए निवेश के नाम से दिये हुए प्रचंड कर्ज़े के कारण, पाकिस्तान चीन का उपनिवेश बना होने के आरोप हो रहे हैं। साथ ही, चीन द्वारा दिये गए इस कर्ज़े के ब्याज़ का भुगतान करने के लिए पाकिस्तान को नया कर्ज़ा लेना पड़ रहा है। इस परियोजना के कारण पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर नौक़रियाँ और रोज़गार का निर्माण होगा, ऐसी आशा पाकिस्तानी जनता को दिखायी गयी थी। लेकिन अब पाकिस्तान की जनता की घोर निराशा हो चुकी है। उल्टा पाकिस्तान इसके कारण अधिक कर्ज़े की दलदल में फ़ँस रहा होने की बात पाकिस्तान के विश्लेषक ही कह रहे हैं।

POK-Protest‘सीपीईसी’ परियोजना ‘पीओके’, गिलगिट-बाल्टिस्तान तथा बलोचिस्तान से होकर जाती है और वहाँ इस परियोजना के विरोध में ज़ोरदार असंतोष है। बलोचिस्तान में चिनी मज़दूरों पर हमलें भी हो चुके हैं। पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान में इस परियोजना के विरोध में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। पाकिस्तान केवल वहाँ की साधनसंपत्ति लूट रहा होकर, यहाँ की जनता पर अन्याय कर रहा होने के आरोप यहाँ की जनता द्वारा किये जाते हैं।

मंगलवार को ‘पीओके’ के प्रदर्शनकारियों ने, पाकिस्तान और चीन किस अधिकार में झेलम पर जलविद्युत परियोजना का निर्माण कर रहे हैं, ऐसा ठेंठ जवाब पाक़िस्तान से माँगा। साथ ही, यह परियोजना और यहाँ की नदियों पर इस प्रकार कब्ज़ा करने की कोशिश, यह संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षापरिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन साबित होता है, ऐसा डटकर कहा है।

इसी बीच, पिछले हफ़्ते भी भारत ने पाकिस्तान से, ‘पीओके’ खाली करो, ऐसी चेतावनी दी थी। भारत ‘पीओके’ पर कब्ज़ा करेगा, ऐसा डर पाकिस्तान और चीन को सता रहा होकर; उसमें पीओके की जनता में बढ़ता चला जा रहा असंतोष और यहा बार बार हो रहे प्रदर्शन पाकिस्तान समेत चीन की चिंता में बढ़ोतरी कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.