किसानों की कर्ज़माफ़ी का बोझ राज्यों को सहना होगा : केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली

नई दिल्ली, दि. १२: ‘किसानों का कर्ज़ माफ़ करने का फ़ैसला राज्य सरकार ने किया, तो इसका केंद्र सरकार के साथ संबंध जोड़ना सही नहीं होगा| इस कर्ज़माफी का आर्थिक बोझ राज्यों को अपने दम पर उठाना होगा| इसके लिए केंद्र सरकार से कोई मदद नहीं मिलेगी’ ऐसा केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया| महाराष्ट्र सरकार ने छोटे किसानों का कर्ज़ा माफ़ करने का ऐलान किया है| बाकी किसानों के कर्ज के बारे में जल्द ही फ़ैसला किया जायेगा, ऐसा भी महाराष्ट्र सरकार ने घोषित किया है| इस पृष्ठभूमि पर केंदीय वित्तमंत्री ने यह स्पष्टीकरण दिया|

किसानों का कर्ज़ माफ़

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश इन राज्यों में किसानों का आंदोलन शुरू था| कर्ज़ माफ़ी की माँग करने के लिए किसान संगठन रास्ते पर उतरे थे| कुछ जगहों पर इस आंदोलन ने हिंसक मोड़ लिया था| इस आंदोलन की पृष्ठभूमि पर, रविवार को महाराष्ट्र सरकार ने अल्पभूधारक किसानों का कर्ज़ा माफ़ करने का महत्त्वपूर्ण निर्णय घोषित किया। इस निर्णय का स्वागत करते हुए शेतकरी संगठनों के नेताओं ने आंदोलन पीछे लिया| लेकिन यदि अपनी माँगें मंज़ूर ना हुईं, तो फिर एक बार आंदोलन शुरू करेंगे, ऐसी चेतावनी शेतकरी संगठनों के नेताओं द्वारा दी जा रही है|

महाराष्ट्र सरकार ने घोषित किये इस फ़ैसले पर मीड़िया के प्रतिनिधियों द्वारा, केंद्रीय वित्तमंत्री के पास प्रतिक्रिया पूछी जा रही थी| इसपर बोलते हुए वित्तमंत्री जेटली ने, ‘किसानों को कर्ज़माफ़ी देने के फैसले का पूरा आर्थिक बोझ राज्य सरकार को उठाना है, इसके लिए केंद्र सरकार की तिजोरी पर बोझ नहीं डाला जा सकता’ इसकी याद करा दी| यह फ़ैसला करने के लिए राज्य सरकार को अपने दम पर आर्थिक स्रोत विकसित करने चाहिए, ऐसा वित्तमंत्री जेटली ने आगे कहा| रिझर्व्ह बैंक के गव्हर्नर उर्जित पटेल ने कर्ज़माफ़ी के फ़ैसले के विपरित परिणाम हो सकते हैं, ऐसी चेतावनी इससे पहले ही दी थी|

इसी दौरान, देशभर में किसानों को कर्ज़माफ़ी दी जाये, यह माँग की जा रही है| यह माँग मंज़ूर करनेवाला उत्तर प्रदेश, यह देश का पहला राज्य बना है| कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश ने छोटे किसानों की कर्जमाफी का फ़ैसला घोषित किया था| इस फैसले की वजह से इस श्रेणी में किसानों का करीब ३६,३५९ करोड़ रुपये का कर्ज़ा माफ हुआ था| लेकिन किसानों का कर्ज़ माफ़ करने से खेती से जुड़ी समस्याएँ हल नहीं होंगी, ऐसी चेतावनी जानकारों द्वारा दी जा रही है| वहीं, ‘यह फैसला भले ही लोकप्रिय हुआ होगा, मग़र फिर भी कुछ समय के बाद इसके बुरे परिणाम सामने आयेंगे, ऐसा कहकर अर्थविशेषज्ञ इसका विरोध कर रहे हैं|

Leave a Reply

Your email address will not be published.