’जीएसटी रिफन्ड’ के लिए राज्यों के सामने दो विकल्प – ‘जीएसटी’ परिषद की जानकारी

नई दिल्ली – केंद्रीय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन की अध्यक्षता में गुरूवार के दिन जीएसटी परिषद की ४१वीं बैठक हुई। इस बैठक में महसूल में हुई गिरावट और जीएसटी रिफंड के लिए राज्यों को प्रदान होनेवाली निधी के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस दौरान जीएसटी रिफंड के बारे में राज्यों के सामने दो विकल्प रखे गए हैं और इन विकल्पों पर ज़वाब देने के लिए राज्यों को सात दिन का अवसर दिया गया है। कोरोना के संकट की वजह से केंद्र सरकार के महसूल में बड़ी मात्रा में गिरावट आई है और इस वर्ष जीएसटी से प्राप्त आय में २.३५ लाख करोड़ रुपयों की कमी रहेगी, यह अंदाज़ा व्यक्त किया गया है।

कोरोना के संकट की वजह से घोषित किए गए लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। इससे राज्यों को प्रदान होनेवाले रिफंड पर असर पडा है। ऐसे में कई राज्यों ने केंद्र सरकार के सामने जीएसटी रिफंड की माँग की है। इस माँग पर भी संबंधित बैठक में चर्चा हुई।

जुलाई महीने में जीएसटी के माध्यम से ८७,४२२ और जून महीने में ९०,९१७ करोड़ रुपए महसूल प्राप्त हुआ है। विद्यमान आर्थिक वर्ष में अभी भी राज्यों को जीएसटी रिफंड की एक भी किश्‍त प्राप्त नहीं हुई है। इस बैठक में राज्यों के लिए दो विकल्प दिए गए हैं। पहला विकल्प है कि, केंद्र सरकार स्वयं कर्ज उठाकर राज्यों को हुए नुकसान का हर्जाना करे या दूसरा, राज्य सरकारें आरबीआय से कर्ज प्राप्त करें, यह विकल्प दिए गए हैं। इन विकल्पों को लेकर सात दिनों में जवाब देने के लिए राज्यों को कहा गया हैं।

इससे पहले सोमवार के दिन हुई ‘जीएसटी कौन्सिल’ की बैठक में कर कटौती करने के मुद्दे पर कुछ अहम निर्णय लिए गए थे। आम नागरिकों को राहत देने के लिए आवश्‍यक सामान पर जारी कर में कटौती की गई थी। साथ ही अलग अलग उद्योग और आवश्‍यक उत्पादनों पर भुगतान हो रहे जीएसटी का दर कम करने से ‘जीएसटी’ का भुगतान करनेवालों की संख्या ६५ लाख से बढ़कर १.२४ करोड़ हुई है, यह जानकारी केंद्रीय अर्थमंत्रालय ने साझा की थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published.