उइगरवंशियों के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की विशेष बैठक – चीन की तीव्र नाराज़गी

संयुक्त राष्ट्रसंघ

न्यूयॉर्क/बीजिंग – संयुक्त राष्ट्र संघ ने झिंजिआंग प्रांत के उइगरवंशियों के मुद्दे पर आयोजित किया गया कार्यक्रम राजनीतिक उद्देश्‍य से प्रेरित होने का आरोप चीन ने लगाया है। अगले हफ्ते आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम की वजह से चीन काफी बेचैन है और संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देश इस कार्यक्रम के लिए उपस्थित ना रहें, ऐसा इशारा भी चीन ने दिया है। दो दिन पहले ही ‘जी ७’ गुट ने उइगरवंशियों के मुद्दे पर चीन को फटकार लगाई थी।

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अगले हफ्ते में संयुक्त राष्ट्र संघ ने झिंजिआंग में उइगरवंशी एवं अन्य अल्पसंख्यांक समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के मुद्दे पर इस बैठक का आयोजन किया है। इस बैठक के आयोजन के लिए अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी ने पहल की है और ऑस्ट्रेलिया एवं कनाड़ा ने समर्थन दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देश एवं मानव अधिकार संगठन झिंजिआंग में मानव अधिकारों के लिए किस तरह से कोशिश करना संभव होगा, इस विषय में संबंधित बैठक में बातचीत होगी। इस वर्चुअल बैठक के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों के राजदूतों के साथ मानव अधिकार संगठनों के प्रमुख भी उपस्थित रहेंगे।

संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के व्यापक व्यासपीठ पर उइगरवंशियों का मुद्दा उपस्थित होने से चीन काफी बेचैन हुआ है। इसी स्थिति से चीन ने अन्य देशों को इस कार्यक्रम में उपस्थित ना रहने का इशारा दिया हुआ दिख रहा है। ‘झिंजिआंग के विषय में आयोजित यह बैठक राजनीतिक उद्देश्‍यों से प्रेरित कार्यक्रम है। अन्य देशों के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में उपस्थित ना रहें। बैठक का आयोजन कर रहे देश मानव अधिकारों का इस्तेमाल राजनीतिक हथियारों की तरह करके चीन के अंदरुनि कारोबार में दखलअंदाज़ी करने की कोशिश कर रहे हैं। चीन को उकसाने के उद्देश्‍य से यह देश बौखला गए हैं’, यह आरोप चीन ने लगाया है।

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बीते कुछ वर्षों में विश्‍व के अधिक से अधिक देश चीन द्वारा झिंजिआंग में जारी हरकतों के खिलाफ खुलेआम आवाज़ उठा रहे हैं। अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाड़ा जैसे देशों ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के उइगरों पर हो रहे अत्याचार यानी नरसंहार होने का आरोप लगाया है। अन्य देशों में भी इसी तरह की कोशिश हो रही है और चीन की हुकूमत की बड़ी मुश्‍किल हो रही है। इस वजह से अपना पक्ष संभालने के लिए चीन ने अन्य देशों पर दबाव डालने की नीति अपनाई होने की बात नई घटना से सामने आ रही है।

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