दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष भारत की भेंट पर

नई दिल्ली  – दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष ‘मून जे-इन’ चार दिनों के भारत दौरे पर दाखिल हुए है| अमरिका का चीन एवं यूरोपीय संघ के साथ व्यापार युद्ध शुरू हुआ है और जल्द ही उसके परिणाम दिखाई देने लगेंगे, ऐसी चर्चा दुनिया भर में हो रही है| इस पृष्ठभूमि पर दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष की यह भारत भेंट अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है| अमरिका एवं चीन में शुरू व्यापार युद्ध की वजह से निर्माण हुए अवसर ध्यान में लेते हुए राष्ट्राध्यक्ष मून जे-इन ने जल्द से जल्द भारत के साथ व्यापार एवं निवेश के विषय में करार करें, ऐसी सलाह दक्षिण कोरिया के विशेषज्ञ दे रहे है|

दक्षिण कोरिया, भारत भेंट, मून जे-इन, नरेंद्र मोदी, मुलाकात, नई दिल्ली, चीन, अमरिकारविवार की शाम नई दिल्ली के हवाई अड्डे पर राष्ट्राध्यक्ष मून जे-इन का आगमन हुआ है| विदेशमंत्री जनरल वी.के.सिंह ने उनका स्वागत किया है| राष्ट्राध्यक्ष मून जे-इन उनके साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य वरिष्ठ अधिकारी तथा उद्योजको का प्रतिनिधिमंडल भी दाखिल हुआ है| राष्ट्राध्यक्ष मून जे-इन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले है| दोनों नेता ‘इंडिया कोरिया बिझनेस फोरम’ की बैठक में संबोधित करेंगे| दोनों देशों में व्यापार एवं निवेश के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण सामंजस्य करार एवं घोषणा हो सकती है, ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं|

भारत और दक्षिण कोरिया का द्विपक्षीय व्यापार २०१७ साल तक २० अरब डॉलर के आगे गया था| यह प्रमाण बढ़ाने के लिए दोनों देश उत्सुक है| विशेष रूप से व्यापार युद्ध की पृष्ठभूमि पर भारत और दक्षिण कोरिया के आर्थिक तथा निवेश विषयक सहयोग का महत्व और अधिक बढ़ रहा है| दक्षिण कोरिया के वित्त तज्ञ ने व्यापार युद्ध की पृष्ठभूमि पर भारत के साथ सहयोग अधिक दृढ़ करने की सलाह अपने राष्ट्राध्यक्ष को दी है| अमरिका और चीन एवं यूरोपीय संघ में शुरू इस व्यापार युद्ध से किसी एक का पक्ष लेना दुनिया भर के देशों के लिए आवश्यक बनता जा रहा है| ऐसे समय में भारत और दक्षिण कोरिया के यह दोनों तटस्थ है और यह इन दोनों देशो के सामने आया बड़ा अवसर है, ऐसा दावा अर्थतज्ञों ने किया है|

दक्षिण कोरिया में किए निवेश की वजह से अमरिका और चीन को दुख नहीं होगा| इसकी वजह से दक्षिण कोरिया ने, इस तटस्थता का लाभ उठाकर भारत तथा आसियान के सदस्य देशों के साथ जल्द ही व्यापारी सहयोग व्यापक करे| यह अवसर निकल जाने से पहले इस बारे में निर्णय लेना आवश्यक होने की सलाह दक्षिण कोरिया के वित्त तज्ञ दे रहे हैं| २०१५ में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण कोरिया के दौरे पर गए थे इस दौरे के बाद दोनों देशों में भावनात्मक साझेदारी विकसित हुई है| उसका पहला स्तर राष्ट्राध्यक्ष मून जे इन इनके इस दौरे में संपन्न होने वाला है, ऐसा विश्वास भारत के विदेश मंत्रालय से व्यक्त किया जा रहा है|

पूर्व के देशों के साथ संबंध अधिक से अधिक दृढ़ करने वाला ‘ऍक्ट ईस्ट’ धोरण भारत ने स्वीकारा है| इस एक्ट ईस्ट धोरण में दक्षिण कोरिया यह न छोड़ा जानेवाला साझेदार देश होने की बात भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कही है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.