‘लॉकडाऊन’ की कालावधि बढ़ाने की कुछ राज्यों की माँग

नयी दिल्ली – इक्कीस दिन के लॉकडाऊन की कालावधि १४ अप्रैल को ख़त्म हो रही है। लेकिन कोरोनावायरस के मरीज़ों की बढ़ती संख्या को मद्देनज़र रखते हुए, इस कालावधि को और कुछ दिनों के लिए बढ़ाया जायें, ऐसी माँग कुछ राज्यों ने की है। इसके बाद लॉकडाऊन की कालावधि बढ़ सकती है, ऐसी चर्चा शुरू हुई है। इस पार्श्वभूमि पर, ‘राज्य-राज्य की परिस्थिति के अनुसार निर्णय लिया जायेगा। कॅबिनेट सचिव सारे राज्यों के संपर्क में हैं। लॉकडाऊन पर कोई भी निर्णय हुआ, तो सरकार घोषित करेगी। तब तक इस संदर्भ कीं अफ़वाहों की तरफ़ ध्यान मत दीजिए’, ऐसा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा है।

देश में पिछले चौबीस घंटों में कोरोनावायरस के संक्रमण में मृत हुए लोगों की संख्या बढ़कर ११७ पर पहुँच चुकी है। साथ ही, ३५४ नये मरीज़ पाये गए हैं, ऐसी जानकारी अग्रवाल ने माध्यमों से बातचीत करते हुए दी। अब तक ३२६ लोग ठीक हुए हैं, ऐसा भी अग्रवाल ने कहा। उसी प्रकार, इस संक्रमण का फैलाव यदि अधिक बढ़ा, तो उसका सामना करने के लिए केंद्र सरकार ने की हुई तैयारी के बारे में भी अग्रवाल ने माध्यमों को अवगत कराया। देशभर में कोरोनाग्रस्त मरीज़ों के लिए ‘कोरोना सेंटर’ बनाया जानेवाला होकर, भारतीय रेल्वे ने २५०० रेल्वे डिब्बों में अब तक ४० हज़ार विलगीकरण बेड्स् (आयसोलेशन बेड्स्) तैयार किये हैं। प्रतिदिन रेल्वे द्वारा ३७५ विलगीकरण बेड्स् तैयार किये जा रहे हैं, ऐसा अग्रवाल ने अधोरेखित किया।

इस समय, कुछ राज्यों ने लॉकडाऊन को बढ़ाने के संकेत दिये होने के बारे में अग्रवाल को प्रश्न पूछा गया। उसका जवाब देते समय अग्रवाल ने लॉकडाऊन का महत्त्व अधोरेखित कर बताया।’ द इंडियन कौन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ ने (आयसीएमआर) किये हुए संशोधन का उदाहरण अग्रवाल ने दिया। कोरोना का संक्रमण हुए किसी एक मरीज़ ने यदि लॉकडाऊन के नियमों का पालन नहीं किया, सोशल डिस्टंसिंग का पालन नहीं किया, तो इस एक व्यक्ति से ३० दिन में ४०६ लोगों को संक्रमण का ख़तरा होता है। वहीं, सोशल डिस्टंसिंग और लॉकडाऊन के नियमों का कम से कम ७५ प्रतिशत पालन करनेवाले मरीज़ से केवल दो से तीन लोग संक्रमित होने की संभावना होती है। इस कारण लॉकडाऊन और सोशल डिस्‍टंसिंग कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ की जंग में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं। यदि इन नियमों का पालन नहीं किया, तो मरीज़ों की संख्या कम होनेवाली नहीं है, इसपर अग्रवाल ने ग़ौर फ़रमाया। एक प्रकार से, लॉकडाऊन बढ़ाने की आवश्यकता होने के ही संकेत उन्होंने दिये हैं।

इससे पहले, तेलंगणा के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने, लॉकडाऊन यह कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ की जंग में सबसे बड़ा हथियार है। इस कारण केंद्र सरकार कम से कम तीन हफ़्तें तो लॉकडाऊन बढ़ायें, ऐसा आवाहन किया था। मंगलवार को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंग चौहान ने भी, वक़्त आने पर लॉकडाऊन बढ़ाने का निर्णय लेंगे, ऐसा कहा है। लॉकडाऊन से अर्थव्यवस्था के होनेवाले नुकसान की भरपाई हो सकती है, लेकिन जीवितहानि की भरपाई नहीं हो सकती, ऐसा स्पष्ट मत उन्होंने ज़ाहिर किया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने भी, विद्यमान परिस्थिति को देखते हुए, १४ अप्रैल को लॉकडाऊन को हटाया जाने की संभावना कम है, ऐसा कहा है।

महाराष्ट्र के स्वास्थ्यमंत्री राजेश टोपे ने भी, १४ अप्रैल के बाद लॉकडाऊन के सारे नियम शिथिल होंगे, ऐसा कोई भी मानकर ना चलें, ऐसा स्पष्ट किया है। साथ ही, ”जैसी परिस्थिति होगी, उसके अनुसार निर्णय लेना पड़ेगा। बहुत सावधानीपूर्वक कदम उठाने पड़ेंगे। ख़ासकर मुंबई और पुणे जैसे शहरों में जहाँ मरीज़संख्या अधिक है, वहाँ ज़्यादा ख़याल रखने की आवश्यकता है’, ऐसा टोपे ने कहा है।

उपराष्ट्रपति व्यंकय्या नायडू ने भी, १४ अप्रैल के बाद जो निर्णय होगा, उसका पालन भी अब की तरह ही होगा, ऐसी उम्मीद जतायी है।

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