चीन की सीमा पर परिस्थिति पूर्णत: नियंत्रण में – भारतीय लष्करप्रमुख ने दिलाया यक़ीन

नई दिल्ली – चीन की सीमा पर परिस्थिति पूर्णत: नियंत्रण में जोने का यक़ीन भारत के लष्करप्रमुख ने दिलाया। मग़र ऐसा होने के बावजूद भी केवल लद्दाख ही नहीं, बल्कि चीन की सीमा पर तैनात होनेवाले लष्कर तथा वायुसेना के सभी अड्डों पर अत्यधिक सतर्कता बरती जा रही होकर, किसी भी पल चीन की घुसपैंठ को क़रारा जवाब देने की तैयारी भारतीय लष्कर तथा वायुसेना ने रखी है। लद्दाख की सीमा पर हुई चिनी लष्कर की घुसपैंठ से भी पहले पश्चिमी, मध्य और पूर्वी सीमा पर चिनी जवानों ने घुसपैंठ की थी। लेकिन भारतीय सैनिकों ने समय पर ही यह घुसपैंठ की साज़िश को ध्वस्त कर दिया था। इस कारण, केवल लद्दाख ही नहीं, बल्कि अन्य स्थानों पर भी दोनों देशों की सेनाएँ एक-दूसरे के सामने खड़ी हुईं थी, ऐसीं ख़बरें आ रहीं हैं।

China-Borderशुक्रवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने लष्करप्रमुख, वायुसेनाप्रमुख और नौदलप्रमुख की बैठक बुलाकर देश की सुरक्षा का जायज़ा लिया था। वहीं, शनिवार को लष्करप्रमुख जनरल नरवणे ने चीन से सटे सीमाक्षेत्र में परिस्थिति नियंत्रण में है, यह बताकर देश को आश्वस्त किया। चीन के साथ सीमाविवाद निर्माण हुआ होते समय, आक्रमक और उक़साऊ बयान करके इस सीमाविवाद को और बिगाड़ना नहीं है, ऐसी भारत की अधिकृत भूमिका है। चीन भी अधिकृत स्तर पर आक्रमक बयान करके इस विवाद को पुन: भड़काने की स्थिति में नहीं है। लेकिन भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए चीन हर संभव कोशिशें कर रहा होने की बात सामने आयी है। भारत ने धारा-३७० रद करके लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाया। इससे यह सीमाविवाद शुरू हुआ, ऐसा दावा पाकिस्तानस्थित चीन के दूतावास के एक राजनीतिक अधिकारी ने किया है। पाकिस्तानस्थित चिनी दूतावास में कार्यरत होनेवाले वँग शियांगसेंग ने सोशल मीडिया में इस संदर्भ की पोस्ट जारी कर सीमाविवाद के लिए भारत को ही दोष दिया है। लद्दाख के गलवान वैली और पँगोग सरोवर के यहाँ चिनी लष्कर की घुसपैंठ होने से भी पहले, अन्य स्थानों पर चिनी लष्कर ने भारतीय सीमा में घुसपैंठ की कोशिश करके देखी थी। लेकिन भारतीय सैनिकों ने चिनी जवानों को रोका था, ऐसीं ख़बरें सामने आने लगीं हैं। साथ ही, भारत के गुप्तचर विभाग ने सीमा से नज़दीकी भूभाग में शुरू रहनेवालीं चिनी लष्कर की गतिविधियों में सन्देहास्पद तरीक़े से बढ़ोतरी दर्ज़ हुई थी। उसके बाद चीन से सटीं पश्चिमी, मध्य और पूर्वी सीमाओं पर भारतीय लष्कर तथा वायुसेना की सर्तकता बढ़ी है। किसी भी पल, चीन की घुसपैंठ का जवाब देने की तैयारी लष्कर और वायुसेना ने रखी है।

भारत ने सीमाभाग में चीन जितनी ही तैनाती करके दिये प्रत्युत्तर के कारण, इस देश की प्रचारमुहिमों में सबसे अहम भूमिका अदा करनेवाले चीन के सरकारी अख़बार भड़क उठे हैं। उनमें से एक अख़बार ने, चिनी लष्कर को पर्वतीय क्षेत्र में प्रभावी साबित होनेवालीं ‘हॉवित्झर ‘, ‘पीसीएल-181’ तोपें मिलीं हैं, ऐसा बताकर, उससे चीन की मारकक्षमता में बढ़ोतरी हुई होने के दावे किये हैं। वज़न से हल्की होनेवाली यह तोप पर्वतीय क्षेत्र में कहीं पर भी आसानी से तैनात की जा सकती है, इस बात का विशेष ज़िक्र इस चिनी अख़बार ने किया है। यह भारत पर दबाव बनाने की चीन की कोशिशों का एक भाग साबित होता है। इससे चीन भारत पर एक ही समय पर लष्करी और राजनीतिक दबाव बढ़ाकर अपना सामर्थ्य साबित करना चाहता है। लेकिन भारत ने अपनायीं मज़बूत नीतियों के कारण, चीन की इन कोशिशों को कुछ ख़ास क़ामयाबी नहीं मिल सकी है। घुसपैंठ करनेवाले चिनी लष्कर को, आज नहीं तो कल पीछे हटना ही पड़ेगा। चीन के पास इसके अलावा और कोई चारा ही नहीं है, ऐसा भारत के पूर्व लष्करी अधिकारी तथा सामरिक विश्लेषक लगातार बता रहे हैं। उसी समय, अमरीका ने इस विवाद में वह भारत के पक्ष में खड़ी होने का संदेश देकर चीन को अधिक ही बेचैन किया था। वहीं, चीन को वास्तविकता का एहसास दिलाने के लिए भारत ने पाकिस्तान के नज़दीक की नियंत्रण रेखा पर बहुत ही आक्रमक भूमिका अपनाकर कार्रवाई शुरू की थी। इससे चीन को उचित संदेश पहुँचेगा, इसका भारत को यक़ीन था। भारत का यह अंदाज़ा पूरी तरह सच निकला और शुरू शुरू में आक्रमकता दिखानेवाला चीन, पाकिस्तान को सबक सिखाने के बाद शांति की भाषा बोलने लगा। क्योंकि भारत ने यदि अधिक लष्करी आक्रमकता दिखायी, तो पाकिस्तान में किया हुआ अपना निवेश ख़तरे में पड़ सकता है, इसका एहसास चीन को हुआ होने की बात भारत के एक पूर्व लष्करी अधिकारी ने कही है।

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