भारत ने बनाया हुआ म्यांमार का सिटवे बंदरगाह ‘ऑपरेशन’ के लिए तैयार – केंद्रीय मंत्री की जानकारी

नई दिल्ली – म्यांमार में भारत द्वारा निर्माण हो रहे ‘कलादन मल्टी मॉडेल प्रोजेक्ट’ का हिस्सा होनेवाला सिटवे बंदरगाह ‘ऑपरेशन’ के लिए तैयार हुआ है, ऐसा ऐलान केंद्रीय बंदरगाह, शिपिंग और जलमार्ग राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने किया। भारत का पूर्वीय क्षेत्र का ‘छाबहार’, इस तौर पर पहचाना जा रहा यह बंदरगाह, रणनीतिक नज़रिये से बड़ी अहमियत रखता है। इस वजह से भारत की सिलीगुड़ी कोरिडोर पर होनेवाली निर्भरता खत्म होगी और ईशान्य के राज्यों में पहुँचने के लिए नए मार्ग का विकल्प उपलब्ध होगा। इस पृष्ठभूमि पर केंद्रीयमंत्री मंडाविया ने किया यह ऐलान बड़ा अहम है।

केंद्रीयमंत्री मंडाविया ने एक साक्षात्कार के दौरान यह कामयाबी बयान की। इस बंदरगाह का निर्माणकार्य पूरा हुआ है। फिलहाल इस बंदरगाह के संचालन के लिए नीजि कंपनी की खोज़ हो रही है। अगले कुछ दिनों में सिटवे बंदरगाह का ‘ऑपरेशन’ शुरू होगा, ऐसा मंडाविया ने कहा।

‘कलादन मल्टी मोडेल प्रोजेक्ट’ और इसके तहत निर्माण हो रहा बंदरगाह, भारत की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। वर्ष २०१४ तक इस बंदरगाह का निर्माणकार्य पूरा करना तय हुआ था। लेकिन, इसका निर्माणकार्य लंबे समय के बाद पूरा हुआ। बीते चार वर्षों में भारत ने सिटवे बंदरगाह के निर्माणकार्य को गति प्रदान की। सिटवे बंदरगाह का निर्माणकार्य और पूरे ‘कलादन मल्टी मॉडेल प्रोजेक्ट’ को, म्यांमार में कुछ आतंकी संगठनों ने लक्ष्य करने की कोशिश भी की थी। इसके लिए म्यांमार के आतंकी संगठनों को चीन की सहायता प्राप्त होने की बात भी सामने आयी थी। इससे इस परियोजना की अहमियत स्पष्ट होती है।

ईशान्य भारत को शेष भारत से जोड़नेवाले संकीर्ण ‘सिलीगुड़ी कोरिडोर’ पर बनी निर्भरता इससे खत्म होगी। इस कारण, युद्ध के दौर में यह रास्ता बंद होने पर भारत को दूसरे मार्ग का विकल्प उपलब्ध होगा। कोलकाता से समुद्री मार्ग से सिटवे बंदरगाह में पहुँचना संभव होगा और वहाँ से कलादन नदी से, म्यांमार के काचिन राज्य के पलेट्वा तक जाकर, राजमार्ग से कुछ मिनटों की यात्रा करके मिझोराम पहुँचना मुमकिन होगा। इस वजह से दूरी और यात्रा का समय आधा होगा।

इस पृष्ठभूमि पर, सिटवे बंदरगाह का निर्माणकार्य पूरा होने की तथा यह बंदरगाह ‘ऑपरेशन’ के लिए तैयार होने का ऐलान करने की अहमियत बढ़ी है। इसी बीच केंद्रीयमंत्री मंडाविया ने, भारत के पश्‍चिमी तट के कोची बंदरगाह में बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जा रहा होने की और पूर्वीय तट के तुतिकोरीन बंदरगाह का भी विकासकार्य शुरू होने की जानकारी प्रदान की। इस वजह से श्रीलंका के कोलंबो जैसें विदेशी बंदरगाह पर बनी निर्भरता भी कम होगी, ऐसा मंडाविया ने कहा है।

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