अफ्रीका में अमरिकी सैनिकों की तैनाती होने के संकेत

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

लुआंडा/डकार – ‘हमने अफ्रीका में बतौर सीआयए संचालक काम किया है, इस कारण हमें इस क्षेत्र की सुरक्षा से जुडे मुद्दों का अच्छा ज्ञान है| अमरिकी प्रशासन में अफ्रीका में सेना तैनात करेन के मुद्दे पर बातचीत हुई है और इस क्षेत्र में उचित मात्रा में तैनाती बरकरार रहेगी, इसका ध्यान रखा जाएगा| इससे जुडा निर्णय अफ्रीकी देशों के साथ समन्वय करके किया जाएगा’, इन शब्दों में अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने अफ्रीकी देशों को लष्करी तैनाती के मुद्दे पर भरोसा दिया|

अमरिकी विदेशमंत्री पोम्पिओ फिलहाल अफ्रीकी देशों की यात्रा कर रहे है और इस दौरान वह तीन देशों को भेंट देंगे| रविवार से उनकी इस यात्रा की शुरूआत हुई है और पश्‍चिमी अफ्रीका के सेनेगल को पोम्पिओ ने भेंट दी| सेनेगल यह देश अफ्रीका में अमरिका का सुरक्षा संबंधी भागीदार देश जाना जाता है| सेनेगल की राजधानी डकार में अमरिका ने को-ऑपरेटिव्ह सिक्युरिटी लोकेशन’ वर्ग का लष्करी अड्डा स्थापित किया है और वहां पर १०० से भी अधिक सैनिक तैनात किए है| 

सेनेगल के राष्ट्राध्यक्ष मॅकी साल से लष्करी तैनाती के मुद्दे पर बातचीत होने की जानकारी अमरिकी विदेशमंत्री ने दी| सेनेगल ने इस जानकारी की पुष्टी की है और सैनिकों की कटौती करने के मुद्दे पर अमरिका ने जानकारी देने की बात भी स्पष्ट की है| पर, साथ ही अफ्रीका के सामने आतंकवाद एवं अन्य चुनौतियां खडी होते हुए अमरिका का सहयोग भी अहम बात होने का दावा भी सेनेगल ने किया है| सामरिक भागीदार के तौर पर अफ्रीका का अमरिका की जरूरत है, इन शब्दों में सेनेगल ने लष्करी तैनाती पर अपनी भूमिका रखने का दावा सूत्रों ने किया|

‘अफ्रीकॉम’ नाम से अमरिकी रक्षादल की कमांड अफ्रीकी महाद्विप में सक्रिय है और २० से भी अधिक देशों में अमरिका के ३४ अड्डे कार्यरत है| फिलहाल अफ्रीका में सात हजार से भी अधिक अमरिकी सैनिक तैनात है और इसमें १० प्रतिशत कटौती करने का प्रस्ताव राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प एवं रक्षा विभाग ने पेश किया है| ‘अफ्रीकॉम’ के अफसरों ने इसपर नाराजगी जताई है और इससे आतंकवाद और हिंसा के विरोध में जारी मुहीम का नुकसान हो सकता है, यह दावा भी किया है|

लष्करी तैनाती के साथ ही अफ्रीका में निवेश औड़ व्यापार का मुद्दा भी अमरिका के लिए अहम होने की बात समझी जा रही है| पिछले दो दशकों में चीन ने अफ्रीका में अपना प्रभाव बढाना शुरू किया है और रशिया भी यहां पर पैर जमाने की कोशिश में है| अमरिका ने इन दोनों देशों ने अफ्रीका में अपनाई निति पर आलोचना की है और अमरिका ने अफ्रीका में किया हुआ निवेश इन देशों से अच्छा होने का भरोसा दिलाया है| 

सेनेगल में विदेशमंत्री पोम्पिओ की मौजुगदी में ७० करोड डॉलर्स से भी अधिक मुल्य के समझौते किए गए| यह समझौते अफ्रीका में व्यापार और निवेश बढाने के लिए अमरिका उत्सुक होने की गारंटी देते है, यह दावा भी पोम्पिओ ने किया| अफ्रीका में ईंधन से भरें अगोला के साथ अमरिका व्यापारी समझौता करने की संभावना जताई जा रही है| अमरिका ऐसे समझौते के जरिए अफ्रीका के साथ व्यापार बढाने की गतिविधियां कर रही है, फिर भी चीन की तुलना में यह कोशिश कम होने की आलोचना विश्‍लेषक कर रहे है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.