‘स्कॉर्पीन’ श्रेणी के स्वदेसी बनावट की पहिली ‘कलवरी’ पनडुब्बी नौदल को सौंपी

मुंबई: स्कॉर्पीन श्रेणी में देश की पहली पनडुब्बी ‘कलवरी’ सभी परीक्षण पूर्ण करने के बाद नौदल को सौंपी जाएगी। यह अत्यंत प्रगति पनडुब्बी की वजह से भारतीय नौदल की क्षमता बढ़ने वाली है और जल्द ही ‘आईएनएस कलवरी’ नौदल के बेड़े में शामिल होने का कार्यक्रम होनेवाला है। हिंद महासागर में भारत के सामने चुनौतियां बढ़ रही है और नौदल के बेड़े में पुराने पनडुब्बी कालबाह्य होते वक्त ‘कलवरी’ का शामिल होना भारतीय नौदल के लिए महत्वपूर्ण घटना है, ऐसा नौदल  अधिकारी ने कहा है।

सुरक्षा विषयक चुनौती एवं भारतीय नौदल के बेड़े में कालबाह्य पनडुब्बियों का विचार करके सन २००५  में फ्रांस नेवल डिफेन्स एंड एनर्जी कंपनी से स्कॉर्पीन श्रेणी के छह पनडुब्बी की खरीदारी करने का निर्णय लिया गया था। लगभग साढ़े तीन अब्ज डॉलर्स के कंत्राट के अंतर्गत डीसीएनएस ने पनडुब्बियों की योजना तैयार करके, इस पनडुब्बी का तंत्रज्ञान भारत को सौंपा था। इस करार के अंतर्गत डीसीएनएस ने माझगाव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड से (एमडीएल) से करार किया था। उसके अनुसार भारत को दिए छह पनडुब्बियों का निर्माण माझगाव डॉक में किया गया है।

‘कलवरी’माझगाव डॉक में निर्माण किए स्कॉर्पीन श्रेणी की ‘कलवरी’ यह पहली पनडुब्बी है। सबसे सुरक्षित पनडुब्बी में स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी का उल्लेख किया जाता है। अप्रैल २०१५ में ‘कलवरी’ पनडुब्बी का जलावतरण हुआ था। उसके बाद इस पनडुब्बी के अनेक परीक्षण हुए हैं। इस पनडुब्बी को पिछले वर्ष ही नौदल को सौंपना अपेक्षित था। पर पिछले साल स्कॉर्पीन पनडुब्बी के बारे में गोपनीय जानकारी खुलने के बाद खलबली फैली हुई थी। उसकी वजह से यह विलंब होने की बात कही जा रही है।

‘कलवरी’ यह डीजल इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी होकर शत्रु के युद्धनौका और पनडुब्बी पर अचूक हमला करने की ताकत और सामर्थ्य से सज्ज है। सागर के तह में रहते हुए यह पनडुब्बी से शत्रु के युद्धनौका का अचूक खोज किया जा सकता है। परीक्षण के दरमियान समुद्र के तहत लक्ष्य साधते हुए ‘कलवरी’ ने अपनी क्षमता एवं सामर्थ्य दिखाया है। विशिष्ट रचना और आधुनिक तंत्रज्ञान की वजह से यह पनडुब्बी अत्यंत कम आवाज करती है। उसकी वजह से शत्रु के सोनार यंत्रणा को यह पनडुब्बी फंसा सकती है। ‘कलवरी’ के इस ‘स्टेल्थ’ विशेषता की वजह से पनडुब्बी विरोधी युद्ध में भी इसका प्रभावी उपयोग किया जा सकता है। कलवरी पर ‘वेपंस लॉन्चिंग ट्यूब’ बिठाया गया है। जिससे समुद्र में इस पनडुब्बी को टोरपेड़ो और अन्य शस्त्रों से सज्ज किया जा सकता है।

यह पनडुब्बी ‘आयएनएस सिंधुघोष’ की जगह पर लाया जायेगा। भारतीय नौदल के बेड़े में होनेवाली ‘आयएनएस सिंधुघोष’ ३० वर्ष पुरानी पनडुब्बी है। नौदल के प्रोजेक्ट ७५, प्रोजेक्ट ७५ (आय) इस पनडुब्बी कार्यक्रम अंतर्गत निर्माण होनेवाले पनडुब्बियों की वजह से भारतीय नौदल की ताकत बढ़ने वाली है। यह पनडुब्बी कार्यक्रम भारतीय नौदल के लिए महत्वपूर्ण होने की बात एक नौदल अधिकारीने कही है। फिलहाल माजगाव के गोदी में ‘खंदेरी’ और ‘करंज’ इन स्कॉर्पीन श्रेणी के दो पनडुब्बियों का निर्माण शुरू है।

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