सऊदी अमरिका का से सात अरब डॉलर्स की युद्ध सामग्री खरीदने वाला है

वॉशिंगटन: जल्द ही सऊदी अरेबिया अमरिका से करीब सात अरब डॉलर्स की युद्ध सामग्री खरीदने वाला है। इसमें राकेट, मिसाइल और तोप के गोलों का समावेश होने की संभावना जताई जा रही है। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी के साथ किए रक्षा अनुबंध के अंतर्गत यह खरीदारी की जाएगी। पिछले कुछ हफ्तों में सऊदी के ईरान के साथ संबंध में तनाव बढ़ गया है, ऐसे में सऊदी की खरीदारी ईरान के लिए इशारे की घंटा साबित हो रही है।

हथियारों के निर्माण में प्रमुख अमरिका के ‘रेथोन’ और ‘बोईंग’ इन दो कंपनियों से सऊदी यह युद्ध सामग्री खरीदने की संभावना जताई जा रही है। इन दोनों कंपनियों ने इस बारे में जानकारी देना टाला है। लेकिन रेथोन के लेसर गायडेड मिनी बम, एम ९८२ कैलिबर साथ ही बोईंग कंपनी के जीबीयु ३८ यह रॉकेट्स और मिसाइलों का इस खरीदारी में समावेश हो सकता है।

छः महीनों पहले हुए सहकार्य के अनुसार अमरिका सऊदी को अमरिकन निर्माण के टैंक, तोपें, हेलिकॉप्टर्स और लड़ाकू विमानों की आपूर्ति कर सकता है। इसके अलावा निगरनी करने वाले विमान साथ ही ‘थाड’ और ‘पैट्रियट’ जैसी मिसाइल भेदी यंत्रणा का भी इसमें समावेश हो सकता है।

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सऊदी की सरकार ने इस खबर पर प्रतिक्रिया दी नहीं है। अमरिका में स्थित सऊदी के राजदूत ‘खालिद बिन सलमान’ ने भी इस व्यवहार के बारे में जानकारी देना टाला है। लेकिन राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के सऊदी दौरे में हुए अनुबंधों का सऊदी सरकार पालन करेगी, ऐसा कहकर प्रिंस खालिद ने इस बारे में अधिक जानकारी देने को इन्कार किया है।

मई महीने में अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने सऊदी अरेबिया का दौरा किया था। इस दौरे में राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने सऊदी के राजा सलमान से मुलाकात करके रक्षा विषयक सहकार्य की घोषणा की थी। आने वाले समय में अमरिका सऊदी को ११० अरब डॉलर्स के हथियारों की आपूर्ति करने वाला है, ऐसा घोषित किया गया था। लेकिन इस संबंध में अधिक जानकारी प्रसिद्ध नहीं की गई थी।

अमरिका की ओर से सऊदी को पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हथियारों की आपूर्ति की जाने वाली है और इस पर अमरिकन कांग्रेस में तीव्र प्रतिक्रिया उमटी थी। अमरिका की ओर से लष्करी सहायता प्राप्त करने वाले सऊदी ने येमेन में संघर्ष पुकारने की टीका अमरिकन सिनेटर्स ने की थी। साथ ही येमेन के संघर्ष में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले सऊदी को यह लष्करी मदद न दी जाए, ऐसी मांग भी इन सिनेटर्स ने की थी।

लेकिन ट्रम्प प्रशासन सऊदी के साथ लष्करी सहायता पर निश्चित है। ट्रम्प ने सार्वजनिक रूपसे सऊदी के साथ इस सहकार्य का समर्थन किया था। इस रक्षा विषयक व्यवहार की वजह से अमरिका में रोजगार बढेगा साथ ही अमरिका की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा, ऐसा दावा ट्रम्प ने किया था। लेकिन इस बार अमरिका ही सऊदी के साथ किए सात अरब डॉलर्स के व्यवहार पर रौशनी डालने के लिए तैयार नहीं है।

दौरान, ईरान का बढ़ता प्रभाव यह अरब देशों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है और अरब देशों की राजधानियां ईरान के मिसाइलों से सुरक्षित नहीं रह सकती है, ऐसा इशारा कुछ दिनों पहले ही सऊदी अरेबिया के विदेश मंत्री ‘अदेल अल-जुबैर’ ने दिया था। ईरान को रोकने के लिए अरब देश एक हो जाएं, ऐसा आवाहन भी सऊदी के विदेश मंत्री ने किया था। उस पृष्ठभूमि पर सऊदी ईरान के साथ संघर्ष की तैयारी कर रहा है। सात अरब डॉलर्स के हथियारों की खरीदारी यह सऊदी का इस तैयारी का एक हिस्सा है।

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