ईरान-सिरिया के ख़िलाफ़ सौदी-अरब देशों का युद्ध-अभ्यास

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सिरिया में संघर्षबंदी लागू होते समय, शनिवार को सौदी अरेबिया में २१ देशों का सहभाग रहनेवाला ‘थंडर ऑफ़ द नॉर्थ’ युद्धअभ्यास शुरू हुआ है। अरब देशों का यह अब तक का सबसे बड़ा युद्धअभ्यास होकर, इसमें डेढ़ लाख से भी अधिक सैनिक और हज़ारों लड़ाक़ू विमान सहभागी हुए हैं। यह युद्धअभ्यास यानी सौदी ने ईरान तथा सिरियन सरकार को दी हुई चेतावनी होने का दावा आंतर्राष्ट्रीय विश्लेषक कर रहे हैं।

पिछले महीने सौदी  अरेबिया ने आतंकवाद के विरोध में अरब-इस्लामी देशों की संयुक्त बैठक का आयोजन किया था। उस समय नाटो की तरह अरब-इस्लामी देशों के लिए संयुक्त लष्करी कमांड़ का निर्माण करने की घोषणा सौदी ने की थी। तक़रीबन ३१ देशों के प्रतिनिधी उपरोक्त बैठक में सहभागी हुए थे।

सौदी में हुई इस बैठक की पार्श्वभूमि पर, शनिवार से अरब देशों के इस पहले ही संयुक्त और दुनिया के सबसे बड़े युद्धअभ्यास की शुरुआत हुई है। सौदी के ‘हफ़्र-अल-बतीन’ इस उत्तरी इलाक़े में यह युद्धअभ्यास शुरू होकर, इसमें २१ देशों की सेनाएँ शामिल हुई हैं। सौदी ने येमेन में शुरू की हुई लष्करी कार्रवाई में सहभागी होने से इन्कार करनेवाला पाक़िस्तान भी इस युद्धअभ्यास में सहभागी हुआ है।

‘थंडर ऑफ़ द नॉर्थ’ इस युद्धअभ्यास में तक़रीबन डेढ़ लाख सैनिक सहभागी हुए हैं। अरब देशों में लष्करी समन्वय को बढ़ाने के लिए इस युद्धअभ्यास का आयोजन किया गया है, ऐसा सौदी के लष्कर के प्रवक्ता अहमद अस्सिरी ने स्पष्ट किया। अरब-इस्लामी देशों की सुरक्षा को ‘आयएस’ जैसे आतंकवादी संगठनों से रहनेवाले ख़तरे को मद्देनज़र रखते हुए यह युद्धअभ्यास महत्त्वपूर्ण साबित होता है, ऐसा अस्सिरी ने कहा।

लेकिन इराक़-ईरान की सीमा के नज़दीक आयोजित किया गया यह युद्धअभ्यास यानी ईरान को तथा सिरियन सरकार को चेतावनी देने का सौदी का प्रयास होने का दावा राजनीतिक विश्लेषक तथा लष्करी विशेषज्ञ कर रहे हैं। फिलहाल सिरिया में लागू की गयी संघर्षबंदी सौदी को मंज़ूर नहीं है। साथ ही, सिरिया के संघर्ष में ईरान के लष्कर के सहभाग पर भी सौदी ने ऐतराज़ जताया है।

इससे पहले, सौदी के लष्करी विश्लेषकों ने सिरिया में चल रहे संघर्ष पर चिंता ज़ाहिर करके, आनेवाले समय में सौदी की सुरक्षा को उत्तरी भाग से ख़तरा निर्माण हो सकता है, ऐसी चेतावनी दी थी। इस चेतावनी के साथ साथ, सिरिया एवं इराक़ में चल रहे ‘आयएस’विरोधी संघर्ष में उतरे हुए ईरानी सैनिकों की तैनाती की ओर भी सौदी के लष्करी विश्लेषकों ने ग़ौर फ़रमाया था। इससे यह साफ़ साफ़ दिखायी देता है कि सौदी की अगुआई में शुरू हुआ यह युद्धअभ्यास यानी ईरान के लिए चेतावनी ही है।

गत पाँच दशकों में पहली ही बार आयोजित किये गये अरब देशों के युद्धअभ्यास के उपलक्ष्य में, अत्याधुनिक युद्धसामग्रियों का परीक्षण किया जानेवाला है। इनमें ‘एफ़-१६’ लड़ाक़ू विमान तथा अमरीका से प्राप्त अपाचे हेलिकॉप्टर्स का भी समावेश है।

अभी कुछ दिन पहले ही, सौदी ने सिरिया के संघर्ष में सेना भेजने की घोषणा की थी। इस कारण, इस युद्धअभ्यास के माध्यम से सौदी एवं मित्रदेश सिरिया के अगामी संघर्ष की तैयारी कर रहे होने की चर्चा है। लेकिन सौदी के निवृत्त लष्करी अधिकारी कर्नल इब्राहिम अल-मारी ने यह संभावना ख़ारिज कर दी है। इस युद्धअभ्यास की समयसारिणी पहले ही घोषित हो चुकी थी, ऐसा खुलासा मारी ने किया। लेकिन इराक़ और सिरिया में चल रहे संघर्ष में सेना भेजकर ईरान इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढ़ाने की कोशिशें कर रहा है, इस बात पर मारी ने ग़ौर फ़रमाया। यह सौदी के लिए बहुत बड़ी परेशानी साबित हो रही है, इस बात से मारी ने सहमति दर्शायी।

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