‘पीडीपी’ में दरार पड़ी तो जम्मू-कश्मीर में सलाहुद्दीन और मलिकों का उदय होगा – भूतपूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ़्ती की धमकी

श्रीनगर – ‘जम्मू-कश्मीर के ‘पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’ (पीडीपी) में दरार डालने की कोशिश केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बजाय सफल नहीं हो सकती। अगर ऐसा हुआ तो उसके गंभीर परिणाम होंगे। इस वजह से जम्मू-कश्मीर में अराजकता फैलेगी और १९८७ की तरह सय्यद सलाउद्दीन और यासिन मलिक का उदय होगा’, ऐसी धमकी भूतपूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ़्ती ने दी है। उनके इस विधान पर देश भर से तीव्र प्रतिक्रिया आ रही है।

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कुछ हफ़्तों पहले मेहबूबा मुफ़्ती की पार्टी का समर्थन भारतीय जनतान पार्टी ने निकाल लिया था। उसके बाद मुफ़्ती ने मुख्यमंत्री पद का इस्तीफा दिया और जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हुआ। सरकार गिरने के बाद ‘पीडीपी’ के अंतर्गत मतभेद सामने आ रहे हैं। कुछ विधायकों ने मुफ़्ती के नेतृत्व की आलोचना की है और पार्टी छोड़ने के संकेत दिए हैं। उसके बाद से मुफ़्ती अस्वस्थ हुईं हैं और उन्होंने सीधे केंद्र सरकार पर ही निशाना साधा है।

‘पीडीपी’ में अंतर्गत मतभेद हैं, लेकिन इस समस्या को पारिवारिक विवाद की तरह सुलझाया जा सकता है, ऐसा भरोसा मुफ़्ती ने जताया है। केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया तो पीडीपी में दरार पड़ना मुमकिन नहीं है। लेकिन अगर केंद्र सरकार ने तोड़फोड़ की राजनीति की, तो उसके विघातक परिणाम जम्मू-कश्मीर में दिखाई देंगे, इन शब्दों में मुफ़्ती ने चेतावनी दी है। सन १९८७ में सय्यद सलाउद्दीन और यासिन मलिक जैसे आतंकवादी नेताओं का उदय हुआ था।

‘पीडीपी’ में दरार पड़ी तो अभी भी वैसा ही हो सकता है, इन शब्दों में मुफ़्ती ने केंद्र सरकार को धमकाया है। सय्यद सलाउद्दीन, हिजबुल्लाह मुजाहिद्दीन इस आतंकवादी संगठन का प्रमुख है और वह इन दिनों पाकिस्तान में रह रहा है। वहीँ रहकर ही वो भारत में आतंक मचाने के षडयंत्र रच रहा है। ‘जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’ (जेकेएलएफ) इस आतंकवादी संगठन का प्रमुख यासिन मलिक ने आतंकवाद छोड़ दिया है, लेकिन उसने फुतिर नीति नहीं छोड़ी है।

सलाउद्दीन और मलिक इन दोनों का ही उल्लेख करके मेहबूबा मुफ़्ती भारत को धमकाने की कोशिश कर रही है, ऐसी मीडिया ने आलोचना की है। इस पर देश भर से तीव्र क्रोध व्यक्त हो रहा है। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जम्मू-कश्मीर के साथ पूरे देश को दुविधा में डालने की अपप्रवृत्ति मुफ़्ती की इस धमकी के माध्यम से दुनिया के सामने आ रही है, ऐसा विश्लेषकों ने आरोप लगाया है। साथ ही पिछले कुछ दिनों से मुफ़्ती आतंकवादी और फुटिरों के पक्ष में भूमिका ले रहीं हैं, ऐसा दावा कुछ लोग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के पद पर थे तब भी मुफ़्ती ने सुरक्षा बालों पर पथराव करके आतंकवादी विरोधी कार्रवाइयों को रोकने वाले फुटिरों के बारे में सहानुभूति की नीति अपनाई थी, इसकी याद भी इस मौके पर दिलाई जा रही है।

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