रशियन राष्ट्राध्यक्ष एवं तालिबानप्रमुख के बीच हुई चर्चा

तालिबानी कमांडर का दावा

russia president and taliban commander

रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने अफ़गानिस्तान का तालिबान प्रमुख मुल्ला अख़्तर मन्सूर से मुलाक़ात कर चर्चा की होने का दावा तालिबान के कमांडर ने किया। ‘आयएस’ के अफ़गानिस्तान में बढ़ते हुए प्रभाव को रोकने के लिए राष्ट्राध्यक्ष पुतिन और तालिबानप्रमुख के बीच यह बैठक संपन्न हुई, ऐसा कहा जाता है। लेकिन इस प्रकार की कोई मुलाक़ात नहीं हुई है, ऐसा खुलासा तालिबान ने किया है। कुछ दिन पूर्व, ‘आयएस’ के विरोध में तालिबान को सहायता की आपूर्ति करने की घोषणा रशियन विदेश मंत्रालय ने की थी।

ब्रिटन के ‘द संडे टाईम्स्’ इस विख़्यात दैनिक को तालिबान के कमांडर ने इस सन्दर्भ में जानकारी दी। रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने, किसी को भी ख़बर न लगने देते हुए, तटस्थ देश में तालिबानप्रमुख मन्सूर से भेंट की। सितम्बर महीने में रशियन राष्ट्राध्यक्ष ताज़िकिस्तान के दौरे पर थे। १४ तथा १५ सितम्बर को दुशान्बे के दौरे के बीच पुतिन आतंकवादविरोधी बैठक के लिए उपस्थित थे। उसी दौरान पुतिन ने तालिबानप्रमुख से भेंट की थी।

इस मुलाक़ात के दौरान रशिया द्वारा तालिबान को शस्त्र-अस्त्रों की आपूर्ति करने का आश्वासन दिया गया, ऐसा तालिबानी कमांडर ने ब्रिटिश दैनिक को बताया। उसीके साथ, ‘आयएस’विरोधी मुहिम के लिए जितना चाहे उतने धन की आपूर्ति करने की भी तैयारी रशिया द्वारा दिखायी गयी है, ऐसा दावा उपरोक्त कमांडर ने किया। इराक, सिरिया की तरह अफ़गानिस्तान का कब्ज़ा भी ‘आयएस’ के हाथ में न चला जायें, इसलिये रशिया तालिबान को सहायता की आपूर्ति कर रहा है, ऐसा कहा जाता है। यदि ‘आयएस’ द्वारा अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा किया गया, तो ताज़िकिस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान इन दो सोव्हिएत देशों में भी ‘आयएस’ की घुसपैंठी हो सकती है; और यदि ऐसा हुआ, तो रशिया की दक्षिणी सीमारेखा को ख़तरा बढ़ सकता है। इन सब बातों पर ग़ौर करके, रशिया द्वारा तालिबान की सहायता करने की भूमिका अपनायी जाने का दावा किया जाता है।

लेकिन, ब्रिटिश दैनिक में प्रकाशित हुई इस जानकारी का अफ़गान तालिबान ने इन्कार किया है। रशियन राष्ट्राध्यक्ष अथवा प्रशासन के साथ किसी भी प्रकार की चर्चा नहीं हुई है, ऐसा तालिबान ने कहा है। साथ ही, ‘आयएस’विरोधी संघर्ष के लिए तालिबान ने किसी भी देश से सहायता नहीं माँगी है, ऐसा तालिबान द्वारा स्पष्ट कर दिया गया है। लेकिन अफ़गानिस्तान में अमरीका द्वारा की गयी घुसपैंठी को ख़त्म करने के लिए पड़ोसी देशों के साथ संपर्क किया होने की जानकारी तालिबान ने दी। पिछले हफ़्ते ही, रशिया के विदेश मंत्रालय ने अफ़गानिस्तान के तालिबानी आतंकवादियों की सहायता करने की घोषणा की थी। अफ़्गानिस्तान की दक्षिणी सीमारेखा की सुरक्षा के लिए यह सहायता करने की भूमिका रशिया द्वारा प्रस्तुत की गयी थी। लेकिन रशिया द्वारा तालिबान को दिया जानेवाला सहकार्य ‘गोपनीय जानकारी’ के रूप में होगा। किसी भी प्रकार के शस्त्र-सहायता की आपूर्ति नहीं करेंगे, ऐसा रशिया ने उस वक़्त स्पष्ट किया था। इसके लिए रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के निकटवर्तीय माने जानेवाले एवं अफ़गानिस्तान के लिए नियुक्त किये गए विशेष दूत ‘झमीर काबूलोव्ह’ ने प्रयास किए, ऐसा रशियन विदेश मंत्रालय ने घोषित किया।

इससे पहले सोव्हिएत रशिया की अफ़्गानिस्तान से हुई वापसी के लिए तालिबान ज़िम्मेदार साबित हुई थी। लेकिन अब बदलते समय के अनुसार, रशिया ने उसी तालिबान को सहायता करने की तैयारी दर्शायी है। इससे यह साफ़ दिख रहा है कि रशिया की भूमिका में बदलाव आने लगा है। उसीके साथ, अगले वर्ष के अंत तक अमरीका एवं नाटो सेना की अफ़गानिस्तान में से होनेवाली वापसी की पार्श्वभूमि पर, रशिया और तालिबान के बीच का यह सहकार्य महत्त्वपूर्ण साबित होने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है।

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