अमरिका की संसद में रशिया-जर्मनी ‘ऑयल पाईप लाईन’ के विरोध में प्रस्ताव पारित

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वॉशिंगटन/मॉस्को – रशिया और जर्मनी के बीच विकसित की जा रही ‘नॉर्ड स्ट्रीम-२’ इंधन वाहिनी युरोप की ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरा साबित होगी| इस वजह से अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष इस परियोजना पर प्रतिबंध जारी करे, ऐसी आक्रामक मांग अमरिकी संसद ने की है| संसद की प्रतिनिधी गृह ने इस संबंधी एक स्वतंत्र प्रस्ताव पारित किया है और यह इंधन वाहिनी युरोप पर अपनी पकड और भी कडी करने के लिए रशिया के षडयंत्र का हिस्सा है यह आरोप भी किया है| अमरिकी संसद की इस प्रस्ताव पर रशिया ने कडी नाराजगी जताई है|

युक्रेन के साथ इंधन के विषय पर लगातार हो रहे तनाव की पृष्ठभुमि पर रशिया ने युरोप के सीधे तौर पर इंधन की आपुर्ति करने के लिए स्वतंत्र परियोजनाओं का ऐलान किया था| ‘नॉर्ड स्ट्रीम-२’ के द्वारे रशिया से सीधे जर्मनी तक नैसर्गिक इंदन वायु की आपुर्ति करना संभव होगा| इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना के लिए ११ अरब डॉलर्स की लागत होगी| रशिया और जर्मनी इन दोनों देशों ने यह परियोजना अत्यंत अहम है, यह रेखांकित किया है और संबंधित देशों के राष्ट्रप्रमुख इस परियोजना का महत्त्व लगातार सामने रख रहे है|

इस इंधन वाहिनी की वजह से जर्मनी को रशिया से काफी बडी मात्रा में इंधन की आपुर्ति शुरू होगी| इसका इस्तेमाल रशिया युरोपीय देशोंपर अपना प्रभाव बढाए बिना रहेगा नही, यह अमरिका की चिंता है| इसी लिए अमरिका ने शुरू से ही ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ परियोजना को विरोध किया है| युक्रेन को छोड कर रशिया जर्मनी को इंधन आपुर्ति करने के लिए पाईपलाईन बिछा रही है, इस मुद्दे पर भी अमरिका को आपत्ति है| अगस्त महीने में रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने अपने जर्मन यात्रा के दौरान अमरिका की आपत्तियों को जवाब दिया था| इस परियोजना के संबंधों से युक्रेन के साथ भी चर्चा हो रही है, यह राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने कहा था| जर्मनी की चान्सलर मर्केल इन्होंने भी इसका समर्थन किया था|

लेकिन, फिलहाल रशिया और युक्रेन के बीच तनाव निर्माण हुआ है और रशिया ने अपनी सीमापर शेकडों टैंक तैनात किए है, यह आरोप युक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष कर रहे है| इस परिस्थिति में ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ के लिए युक्रेन और रशिया में सहयोग बनना नामुमकिन बात साबित होती है| इस परिस्थिति में अमरिकी संसद ने यह प्रस्ताव पारित करके रशिया के साथ जर्मनी को भी झटका दिया है| इस प्रस्ताव से यह परियोजना शुरू करनेवाले रशिया और जर्मनी को भी अमरिकी प्रतिबंधों का खतरा बन सकता है|

रशिया अपनी ऊर्जा क्षमता का लाभ उठाकर इंधन का इस्तेमाल राजनीतिक कारणों के लिए कर रहा है, यह आरोप अमरिका लगातार करता रहा है| कुछ भी हुआ तो भी रशिया को इंधन का इस्तेमाल शस्त्रों के भांति करने नही देंगे, ऐसा अमरिका ने पहले ही स्पष्ट किया था| जर्मनी जैसा युरोप का प्रमुख देश रशिया के साथ इंधन सहयोग बढा रहा है, तभी इस से युरोप में अपने हितसंबंधों को बढा खतरा बन सकता है, यह अमरिका का कहना है|

इस परियोजना के विरोध में प्रस्ताव पारित करके अमरिका ने रशिया और जर्मनी को इससे जुडी संवेदनशीलता दिखाई है|

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