रशिया और तुर्की स्थानिय चलनों में व्यवहार करेंगे – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरअंकारा/मास्को – सीरिया, ईरान, वेनेजुएला जैसे मुद्दों पर एकदुसरे से सहयोग कर रहे रशिया और तुर्की ने आर्थिक सहयोग मजबूत करने के लिए कदम बढाना शुरू किया है| रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार के दिन तुर्की को दी भेंट की जानकारी की| इसके अनुसार दोनों देश जल्द ही उनके स्थानिय चलनों में व्यापारी व्यवहार शुरू करेंगे और इस विषय के समझौते पर हस्ताक्षर भी होंगे|

रशिय और तुर्की इन दोनों देशों पर अमरिका ने प्रतिबंध लगाए है और इससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को बडा झटका लगा था| इन प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि पर दोनों देशों ने अमरिकी डॉलर की आर्थिक अहमियत कम करने के लिए अलग अलग विकल्प ढुंढना शुरू किया है| इसके लिए सोने की खरीद बढाने के साथ ही मित्रदेशों के साथ स्थानिय चलनों में व्यापार करने की गतिविधियां भी शुरू है|

रशिया ने अपने चीन और भारत जैसे प्रमुख व्यापारी भागीदार देशों के साथ पहले ही स्थानिय चलनों में व्यापार करना शुरू किया है| रशिया से नजदिक होनेवाले कुछ मध्य एशियाई और पडोसी देशों के साथ ही स्थानिय चलनों का इस्तेमाल शुरू हुआ है| पिछले वर्ष रशिया ने यूरोपिय देशों को भी स्थानिय चलनों में व्यापार करने का प्रस्ताव दिया था| इसमें अब तुर्की का समावेश होना अहमियत रखता है|

पिछले कुछ वर्षों में रशिया और तुर्की के संबंध जटिल रहे है| सीरिया, इस्रायल जैसे मुद्दों पर दोनों देशों में कुछ मतभेद है, फिर भी व्यापार और रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों का सहयोग बढता दिख रहा है| तुर्की ने रशिया के ‘एस-४००’ मिसाइल यंत्रणा की खरीद और प्रगत रशियन लडाकू विमान एवं मिसाइल खरीद ने के लिए रुचि दिखाई है| अब इसमें चलनविषयक सहयोग का इजाफा होना ध्यान आकर्षित कर रहा है|

रशिया और तुर्की के बीच फिलहाल करीबन २५ अरब डॉलर्स का द्विपक्षीय व्यापार हो रहा है| यह व्यापार रशियन रुबल और तुर्की के ‘लिरा’ चलन में शुरू हुआ तो दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को बडा लाभ हो सकता है| अमरिका ने लगाए प्रतिबंधों पर जवाब देने के लिए स्थानिय चलनों में होनेवाला व्यापार निर्णायक विकल्प साबित होता है| इसी वजह से रशिया ने इसके लिए पहल की है और इस महीने के शुरू में ही स्थानिय चलन के संबंध में तुर्की को प्रस्ताव दिया था, यह जानकारी अब सामने आयी है|

अगले महीने में रशिया में ईंधन संबंधी परिषद का आयोजन हो रहा है और इसमें राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन समेत तुर्की के उच्चस्तरीय शिष्टमंडल उपस्थित रहे तो रशिया को संतोष होगा, इन शब्दों में इस परिषद के दौरान दोनों देश चलन समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते है, यह संकेत पुतिन ने दिए है| चलन संबंधी समझौते के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी रशिया और तुर्की के बीच में अहम समझौते होंगे, यह वक्तव्य भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने अंकारा के कार्यक्रम के दौरान किया है|

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