रशिया ‘सॅटन-२’ हायपरसोनिक परमाणु अस्त्र का परीक्षण करेगा – रक्षा सूत्रों से जानकारी

russia-hypersonic-nuclear-weaponमॉस्को – अगले कुछ महीनों में लगभग २०८ टन वज़न और १८ हज़ार किलोमीटर्स की पहुँच होनेवाले ‘सॅटन-२’ इस हायपरसोनिक परमाणु अस्त्र के परीक्षण किए जाएँगे, ऐसी जानकारी रशिया के रक्षा सूत्रों ने दी है। दुनिया की किसी भी ‘मिसाईल डिफेन्स सिस्टिम’ को चकमा देने की क्षमता रखनेवाले इस परमाणु अस्त्र के निर्माण को गति देने के लिए राष्ट्राध्यक्ष व्लादीमीर पुतिन ने निर्देश दिए थे। पिछले साल एक इंटरव्यू के दौरान पुतिन ने इस क्षेपणास्त्र का ज़िक्र भी किया था।

‘सन २०२१ में सॅटन-२ इस अंतरमहाद्वीपीय क्षेपणास्त्र के तीन परीक्षण किए जाएँगे । वायव्य रशिया के प्लेसेत्स्क स्पेस सेंटर से यह परीक्षण होंगे। परीक्षण किए जाने वाले क्षेपणास्त्रों की पहुँच १८ हज़ार किलोमीटर्स से अधिक है’, ऐसी जानकारी रक्षा सूत्रों ने दी। अगले साल ऊर्वरित परीक्षण संपन्न होने के बाद ‘सॅटन-२’ को रक्षा बल में शामिल किया जानेवाला होकर, उसकी खरीद की प्रक्रिया भी शुरू की गई है, ऐसी खबर रशियन न्यूज़ एजेंसी ‘तास’ द्वारा दी गई है।

‘आरएस-२८ सॅरमट’ इस नाम से भी जाने जाने वाले इस हाइपरसोनिक अंतरमहाद्वीपीय क्षेपणास्त्र में १० बड़े ‘थर्मोन्यूक्लिअर वॉरहेड्स’ अथवा १६ छोटे ‘वॉरहेड्स’ का वहन करने की क्षमता है। इस परमाणु अस्त्र में फ्रान्स अथवा अमरीका के टेक्सास प्रांत जितने आकार का भूभाग ध्वस्त करने की क्षमता है, ऐसा दावा रशियन अधिकारियों ने किया है। ‘सॅटन-२’ में उत्तर तथा दक्षिण ध्रुव को भी लाँघकर जाने की क्षमता है, ऐसा रशिया ने कहा है।

russia-hypersonic-nuclear-weaponरशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने पिछले दशक में रशियन रक्षा बलों का आधुनिकीकरण करने की योजना हाथ मिली थी। उसके अनुसार, पिछले कुछ सालों में रशिया द्वारा लगातार नए तंत्रज्ञान पर आधारित शस्त्रों का तथा यंत्रणाओं का निर्माण जारी है। उसमें हाइपरसोनिक तथा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तंत्रज्ञान पर आधारित यंत्रणाओं का भी समावेश है। पिछले तीन सालों में पुतिन ने, रशिया ने विकसित किए नए क्षेपणास्त्रों का आक्रमक प्रदर्शन भी शुरू किया होकर, उसके पीछे अमरीका और युरोपीय देशों पर दबाव बनाने की नीति है, ऐसा बताया जाता है।

पिछले साल रशिया ने अपनी नई ‘न्यूक्लिअर डिटरंट पॉलिसी’ घोषित की थी। उसमें यह चेतावनी दी थी कि परमाणु अस्त्रों के अलावा अन्य पारंपरिक हमलों को भी परमाणु हमले से ही प्रत्युत्तर दिया जाएगा।

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