रशिया की भारत को परमाणु पनडुब्बी देने की तैयारी; ‘ब्रह्मोस’ की हमले की क्षमता बढ़ाने का भी फ़ैसला

नई दिल्ली, दि. २० (वृत्तसंस्था)- बहुत समय से शुरू रही बातचीत के बाद, रशिया अपनी ‘अकुला’ श्रेणि की परमाणु पनडुब्बी भारत को किराये पर देने के लिए तैयार हुआ है| गोवा में संपन्न हुई ‘ब्रिक्स’ परिषद के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री और रशिया के राष्ट्राध्यक्ष के बीच हुई बातचीत में इस संदर्भ में अंतिम फ़ैसला किया गया| इस महत्त्वपूर्ण फ़ैसले के साथ ही, ‘ब्रह्मोस’ प्रक्षेपास्त्र के हमले की क्षमता ६०० किलोमीटर तक बढ़ाने का फ़ैसला भी दोनो देशों ने किया है| भारत और रशिया संयुक्त निर्माण कर रहे ‘ब्रह्मोस’ को सबसे ऍड्वान्स्ड प्रक्षेपास्त्र माना जाता है|

परमाणु पनडुब्बी‘आईएनएस चक्र’ यह रशिया की परमाणु पनडुब्बी भारतीय नौसेना के ताफ़े में शामिल हो चुकी है| रशिया से भारत ने यह पनडुब्बी दस साल के लिए किराये पर ली है| दुनियाभर में अन्य कोई भी देशों में इस प्रकार पनडुब्बियाँ किराये पर देने का उदाहरण नहीं है| इस व्यवहार से, भारत और रशिया के बीच सामरिक सहयोग कितना दृढ़ है, इस बात का दुनिया को पता चला है| भारत ने रशिया से ‘अकुला’ श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी किराये पर लेने की तैयारी की थी| इसपर दोनो देशों की चर्चा भी शुरू थी| अब ब्रिक्स की परिषद दौरान, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष पुतिन इनके बीच द्विपक्षीय चर्चा होकर, तक़रीबन दो अरब डॉलर्स के इस समझौते पर अंतिम फैसला हुआ|

रशिया से यह परमाणु पनडुब्बी सन २०२० तक भारत को मिलेगी| इससे भारत की नौसेना की क्षमता अधिक बढेगी| ख़ासकर चीन की नौसेना के पास करीबन ७० पनडुब्बियाँ हैं, इनमें १० परमाणु पनडुब्बियों का समावेश है| नज़दीकी भविष्य में चीन की नौसेना में और पाँच पनडुब्बियाँ शामिल होनेवाली हैं| इसी के साथ, चीन पाकिस्तान को ८ पनडुब्बियाँ बनाकर देनेवाला है| इससे हिंद महासागर में अपना प्रभाव कायम रखते हुए उसके पार के क्षेत्र में अपने प्रभाव के विस्तार के लिए कोशिश कर रहे भारत के सामने रहनेवालीं चुनौतियाँ बढ़ गयी है| इन परिस्थितियों में, रशिया से किराये पर मिलनेवाली इस नयी परमाणु पनडुब्बी का महत्त्व साबित होता है|

इस सहयोग के साथ भारत और रशिया ने, ‘ब्रह्मोस’ प्रक्षेपास्त्र की हमले की क्षमता बढ़ाने का फ़ैसला किया है| रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने यह प्रस्ताव भारतीय प्रधानमंत्री के सामने पेश किया था| जून महीने में, भारत को ‘मिसाईल टेक्नॉलॉजी कंन्ट्रोल रिजिम’ (एमटीसीआर) इस, प्रक्षेपास्त्र तकनीक़ के प्रसार पर नियंत्रण रखनेवाले विशेष गुट में प्रवेश मिला था| इस पृष्ठभूमि पर, रशिया की ओर से यह प्रस्ताव रखा गया है| ‘एमटीसीआर’ के सदस्य देश, ३०० किलोमीटर से अधिक दूरी पर हमला करने की क्षमता के प्रक्षेपास्त्र और उसकी तकनीक़, इस गुट के सदस्य न रहनेवाले देश को नहीं दे सकते| इसी कारण रशिया को, अधिक क्षमतावाले ‘ब्रह्मोस’ प्रक्षेपास्त्र की तकनीक़ भारत को देना संभव नहीं हो रहा था| लेकिन चूँकि अब भारत ‘एमटीसीआर’का सदस्य देश बन गय है, रशिया यह तकनीक़ भारत को दे सकता है| इसकी तैयारी दिखाते हुए रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने भारत के साथ सामरिक सहयोग अधिक बढ़ाया|
अब ‘ब्रह्मोस’ की हमले की क्षमता का और ३०० किलोमीटर तक विस्तार करते हुए, हमले की क्षमता ६०० किलोमीटर पर ले जायी जायेगी| ‘ब्रह्मोस’ की क्षमता यदि ६०० किलोमीटर तक बढ़ गयी, तो पाकिस्तान का भूभाग ‘ब्रह्मोस’ के निशाने में आ जायेगा| साथ ही, आधुनिक प्रक्षेपास्त्रों का ताफा रहनेवाले चीन से भारत को रहनेवाला खतरा इससे बड़ी मात्रा में कम हो सकता है| इससे पहले भारत-चीन सीमारेखा पर भारत द्वारा ‘ब्रह्मोस’ प्रक्षेपास्त्र तैनात किये जाने की चीन ने आलोचना की थी|

इन दौरान, ‘ब्रह्मोस’ की हवाई आवृत्ति की पहला परीक्षण दिसंबर महीने में किया जा रहा है| ‘सुखोई-एमकेआय ३०’ इस रशियन बनावट के लड़ाक़ू विमान पर ‘ब्रह्मोस’ तैनात करने की दिशा में भारत ने एक कदम आगे बढ़ाया है| इससे भारतीय वायुसेना की क्षमता बढ़ेगी|

Leave a Reply

Your email address will not be published.