रशिया ने नाटो में शामिल होने की तैयारी दिखायी थी : राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन का दावा

मॉस्को, दि. १२: सन २००० में रशिया ने नाटो में शामिल होने की तैयारी दिखायी थी, ऐसा कहते हुए रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने खलबली मचायी है| हॉलिवूड के विख्यात डाइरेक्टर ऑलिव्हर स्टोन को दिये लंबे इंटरव्यू में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने इसका स्पष्टीकरण दिया| फिलहाल जगह जगह रशिया और नाटो में एक-दूसरे के खिलाफ़ सामरिक मुहिमें छेड़ी जा रहीं हैं, ऐसे समय राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने यह जानकारी जारी करके सारी दुनिया की मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है| इस दौरान, नाटो की विद्यमान नीति की पुतिन ने कड़ी आलोचना की है|

ऑलिव्हर स्टोन ने रशियन राष्ट्राध्यक्ष के साथ लंबी बातचीत की होकर, इस बातचीत के कुछ भाग अमरीका के टीव्ही चैनलों द्वारा प्रसारित किये जा रहे हैं| इसे प्रचारित भी किया जा रहा है, जिसमें नाटो के संदर्भ में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने किये बयानों पर ख़ास ज़ोर दिया जा रहा है| ‘सन २००० में अमरीका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष बिल क्लिंटन रशिया की यात्रा पर आये थे| उस वक्त हमने नाटो में रशिया को शामिल कराने का प्रस्ताव दिया था| उसे राष्ट्राध्यक्ष क्लिंटन ने सहमति भी दी थी| लेकिन उनके साथ आया अमरीका का प्रतिनिधीमंडल मेरा यह प्रस्ताव सुनकर बैचेन हुआ था, ऐसा ज़िक्र राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने इस इंटरव्यू में किया था|

अब नाटो रशिया के खिलाफ सामरिक मुहीम छेड़ रहा होकर, रशिया से ख़तरा होने का दावा करनेवाले देशों के साथ युद्धाभ्यास का आयोजन कर रहा है| वहीं, रशिया भी नाटो के इस युद्धाभ्यास को प्रत्त्युत्तर देनेवाले विशाल युद्धाभ्यासों का आयोजन कर रहा है| ऐसे हालातों में नाटो के संदर्भ में रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने किए बयान विशेषज्ज्ञों का ध्यान खींच रहे हैं| अमरीका और मित्रदेशों ने सोव्हिएत रशिया को रोकने के लिए सन १९४९ में नाटो की स्थापना की थी| ‘रशिया का विरोध’ यही नाटो का प्रमुख सूत्र बना था| ऐसे सैनिकी संगठन में शामिल होने की तैयारी दिखाते हुए हमने दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया था, इसकी मिसाल राष्ट्राध्यक्ष पुतिन द्वारा दी जा रही है| ‘लेकिन अमरीका और नाटो को यह प्रस्ताव मंज़ूर नहीं था| उन्हें रशिया को दुश्मन के रूप में देखने में ही दिलचस्पी है’ ऐसा संदेश पुतिन इस माध्यम से सारी दुनिया को दे रहे हैं|

फिलहाल नाटो के सदस्य देशों में विसंवाद निर्माण हो चुका दिखाई दे रहा है| कुछ ही सप्ताह पहले, ब्रुसेल्स में संपन्न हुई नाटो की बैठक में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने, नाटो के खर्च की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी सिर्फ अमरीका को ही उठानी पड़ती है, इस बात को लेकर नाराज़गी दर्शायी है| नाटो के अधिकतर सदस्य देश खर्च की ज़िम्मेदारी नहीं उठाते, यह इसके आगे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, ऐसे राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने ब्रुसेल्स की बैठक में डटकर कहा था| उसपर नाटो के सदस्य देशों ने ऐतराज़ जताया था| जर्मनी ने अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष के बयान पर तीव्र नाराज़गी जतायी है| युरोपीय देश इसके आगे अपनी रक्षा के लिए अमरीका पर निर्भर नहीं रह सकते, इसके लिए उन्हें खुद ही प्रयास करने होंगे, ऐसा जर्मनी की चॅन्सेलर मर्केल ने कहा था|

इस विवाद की वजह से नाटो में दरार पड़ने के आसार दिखायी देने लगे हैं| ‘यदि नाटो में दरार पड़ी और यह सैनिकी संगठन ढह गया, तो वह अच्छी खबर होगी’ इन शब्दों में रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने इसका स्वागत किया था| लेकिन फिलहाल तो नाटो के विघटन की संभावना नहीं दिखायी देती, यह भी राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने स्पष्ट किया था|

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