‘मेक इन इंडिया’ के तहेत प्रगत लडाकू विमान एवं पनडुब्बीयों का संयुक्त निर्माण करने के लिए रशिया ने दिया भारत को प्रस्ताव

मास्को/नई दिल्ली – अमरिका, इस्रायल और यूरोपिय देश भारत के रक्षा बाजार में हिस्सा प्राप्त करने की कोशिश कर रहे है और ऐसे में परंपरागत मित्रदेश होेनेवाले रशिया ने भी ‘मेक इन इंडिया’ के तहेत नया प्रस्ताव रखा है| भारत ने हां करने पर रशिया ‘लॅडा क्लास अटैक सबमरिन’ और ‘एसयू-५७’ इस प्रगत लडाकू विमान का ‘मेक इन इंडिया’ के तहेत भारत में निर्माण करने के लिए तैयार होने के संकेत वरिष्ठ रशियन अधिकारी ने दिए है| भारत के वायुसेना प्रमुख एअरचीफ मार्शल बी.एस.धनोआ रशिया की यात्रा पर है और इसी बीच रशिया से प्राप्त हुआ यह प्रस्ताव ध्यान आकर्षित कर रहा है|

भारत के रक्षा विभाग ने पीछले महीने में ‘प्रोजेक्ट-७५ आई’ कार्यक्रम के तहेत छह ‘अटैक सबमरिन्स’ के निर्माण के लिए निविदा प्रसिद्ध की थी| इस पर तीन यूरोपिय देशों समेत रशिया भी स्पर्धा में होने की बात सामने आई है| रशिया के रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी व्लादिमीर द्रोझझोव्ह ने यह बात स्वीकारी है| भारत ने रशिया का प्रस्ताव मंजूर किया तो छह पनडुब्बीयों का निर्माण भारत और रशिया संयुक्त तरीके से भारत में ही होगा, यह बात द्रोझझोव्ह ने स्पष्ट की है|

इस परियोजना के लिए रशिया ने भारत की दो सरकारी और एक नीजि कंपनी के साथ बातचीत शुरू की है और इसमें ‘हिंदुस्थान शिपयार्ड’ और ‘माझगाव डॉक्स’ के साथ ‘लार्सन ऍण्ड टुब्रो’ का समावेश है| छह पनडुब्बीयों के निर्माण की परियोजना लगभग ४५ करोड रुपयों की है और इसके लिए ‘स्ट्रॅटेजिक पार्टनरशिप मॉडेल’ का इस्तेमाल होगा, यह जानकारी भारत ने पहले ही दी है| इस वजह से रशिया ने संयुक्त तरिके से विकास और ‘मेक इन इंडिया’ के तहेत भारत में निर्माण करने को लेकर दिखाई तैयारी ध्यान आकर्षित करती है|

पनडुब्बीयों के अलावा रशिया ने ‘फिफ्थ जनरेशन फायटर’ के तौर पर जाने जा रहे ‘एसयू-५७’ इस लडाकू विमान का निर्माण भी भारत में करने की तैयारी दिखाई है| फिलहाल इस विमान का परिक्षण रशिया में शुरू है| इससे पहले भारत ने रशिया के लडाकू विमान में रुचि दिखाई थी, लेकिन, कुछ तकनीकी समस्या की वजह से वापसी की थी| लेकिन, भारत और रशिया दोनों देशों के अधिकारियों ने यह परियोजना पूरी तरह बंद नही हुई है, यह संकेत दिए है| ‘एसयू-५७’ रशियन वायुसेना में शामिल होने के बाद इस विमान की सफलता देखकर भारत फिर से इस परियोजना में शामिल होने का निर्णय कर सकता है, ऐसा भारतीय सूत्रों ने स्पष्ट किया|

इन दोनों महत्वाकांक्षी परियोजनाओं से पहले भारत और रशिया में ‘कॅलेश्‍निकोव्ह रायफल्स’ का निर्माण एवं ‘टी-९०’ टैंक संबंधी समझौता किया गया है| भारत ने हाल ही में निकाली ११० लडाकू विमानों की निविदा में रशिया ने ‘मिग-३५’ ने भी प्रस्ताव दिया है| इसके साथ ही रशिया की प्रगत ‘एस-४००’ यह मिलाइल विरोधी यंत्रणा जल्द ही भारत में दाखिल होगी, यह संकेत भी प्राप्त हो रहे है|

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