अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान मज़बूत करने के लिए ‘वैक्सीन डिप्लोमसी’ का इस्तेमाल करने की रशिया की कोशिश

मास्को – यूरोपिय महासंघ के विदेश विभाग के प्रमुख जोसेफ बॉरेल ने बीते हफ्ते रशिया का दौरा किया। इस दौरे में रशियन विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव के साथ किए गए वार्तापरिषद में बॉरेल ने कोरोना वैक्सीन विकसित करने पर रशिया का अभिनंदन किया। इस घटना से कुछ दिन पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर के अग्रीम ‘सायंटिफिक जर्नल’ के ‘लैन्सेट’ में रशिया की वैक्सीन ९१ प्रतिशत से अधिक प्रभावी साबित होने की जानकारी प्रसिद्ध हुई थी। मात्र, चार दिनों में हुई इन गतिविधियों से रशिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान ‘वैक्सीन डिप्लोमसी’ के माध्यम से मज़बूत करने की कोशिश करने में जुटी होने की चर्चा हो रही है।

vaccine-diplomacy-russiaबीते वर्ष कोरोना की महामारी विश्‍वभर में कोहराम मचा रही थी तभी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने अगस्त में यह ऐलान किया था कि, रशिया ने कोरोना की वैक्सीन तैयार कर ली है। इस पर यूरोप और अमरीका समेत वैद्यकीय क्षेत्र ने तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की थी। वैक्सीन के परीक्षण का तीसरा और आखरी चरण शुरू होने के दौरान यह ऐलान करने से रशियन वैक्सीन पर आशंका व्यक्त की जा रही थी। लेकिन, रशिया ने तुरंत मंजूरी देकर अपने नागरिकों को वैक्सीन देना शुरू किया।

दिसंबर में रशिया ने अपनी वैक्सीन विश्‍व के लिए उपलब्ध करने का ऐलान किया। तब तक अमरीका, यूरोपिय देश और चीन ने तैयार की हुई वैक्सीन बाज़ारों में पहुँची थी। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अमरिकी नागरिकों के टीकाकरण के लिए प्राथमिकता देने का ऐलान करके करोड़ों वैक्सीन्स के लिए समझौते किए। यूरोप में ब्रिटीश कंपनी ने तैयार किए वैक्सीन की सहायता से ब्रिटेन ने व्यापक टीकाकरण शुरू किया। इस पृष्ठभूमि पर रशिया ने अलग अलग देशों के साथ वैक्सीन की आपूर्ति करने के लिए बातचीत शुरू की है।

vaccine-diplomacy-russiaइन गतिविधियों के बीच यूरोपिय महासंघ ने शुरू की हुई टीकाकरण की मुहिम में बड़ी धांदली होने की खबरें सामने आ रही हैं। ब्रिटेन एवं अमरिकी कंपनियों के साथ उचित समझौता ना करना एवं टीकाकरण के लिए आवश्‍यक यंत्रणा स्थापित ना करने से यूरोपिय देशों को नुकसान हुआ है। इस वजह से आखिर में यूरोप ने रशिया की ओर अपना रुख किया। महासंघ की मंजूरी ना होने के बावजूद हंगेरी जैसे देश ने रशिया के साथ समझौता किया है और ४० हज़ार वैक्सीन वहां पर पहुँची भी हैं। सर्बिया में भी रशिया की वैक्सीन पहुँची है और स्लोवाकिया एवं ऑस्ट्रिया जैसे देशों ने रशियन वैक्सीन का निर्माण करने की तैयारी की है। जर्मनी जैसे प्रमुख देश ने भी कोरोना की वैक्सीन के मुद्दे पर रशिया के साथ सहयोग करने के संकेत दिए हैं।

यूरोप के अलावा लैटिन अमरीका, अफ्रीका और मध्य एशिया में भी रशियन वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। वर्तमान समय में ब्राज़िल, अर्जेंटिना, तुर्की और ईरान समेत करीबन २० देशों ने रशियन वैक्सीन का इस्तेमाल करने की तैयारी दिखाई है। भारत, दक्षिण कोरिया, कज़ाकस्तान जैसे देशों ने स्थानीय स्तर पर रशियन वैक्सीन का उत्पादन करना शुरू किया है। ब्रिटेन की कंपनी ने रशियन वैक्सीन के साथ अपनी वैक्सीन को मिलाकर नया टीका तैयार करने की दिशा में भी गतिविधियां शुरू की हैं।

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