श्‍वसनसंस्था – २३

हम हवा के कणों की गति के भौतिकशास्त्र की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। किसी बंद जगह की हवा के कण लगातार उस जगह के किनारों तथा दीवारों से टकराते रहते हैं। टकराने (strike) की इस क्रिया से उस बंद जगह में एक प्रकार के दबाव का निर्माण होता है। श्वसन मार्ग में तथा अलविओलाय में भी हवा का इसी प्रकार का दबाव उत्पन्न होता है। वातावरण की हवा अनेक प्रकार की वायु का मिश्रण है। इनमें से प्रत्येक वायु अपने दबाव का निर्माण करती है। इस दबाव को उस वायु का ‘पार्शल प्रेशर’ कहा जाता है। अलविलोय में हवा का जो दबाव होता है वह दबाव हवा की प्रत्येक वायु के दबाव का जोड़ होता है (Summation of Partial Pressures) हवा की प्रत्येक वायु का Partial Pressure, हवा में उस वायु की मात्रा पर निर्भर होता है। हम इसका एक उदाहरण देखेंगे।

वातावरण की हवा में साधारणत: ७९ प्रतिशत नायट्रोजन वायु और २१ प्रतिशत प्राणवायु होता है। समुद्र के किनारों पर हवा का दाब ७६०mmHg होता है। नायट्रोजन का partial pressure ७६० का ७९ प्रतिशत यानी ६००mm of Hg होता है तथा शेष १६० mm of Hg प्राणवायु का partial pressure होता है।

अलविओलाय में हवा का तथा रक्त में भी प्रत्येक वायु का वैयक्तिक दाब होता है। इस दाब को दर्शाने के लिये अंग्रेजी अक्षर के P का प्रयोग करते हैं। प्राणवायु को 02 लिखा जाता है। प्राणवायु के partial pressure को दर्शाने के लिये PO2 तथा नायट्रोजन के लिये PN2 और कार्बनडाय ऑक्साइड के लिए PCO2 लिखा जाता है। (हमारी खून की जाँच रिपोर्ट में कभी-कभी इनका उल्लेख आता है।)

ऊपर हमने देखा कि हवा में प्रत्येक वायु का वैयक्तिक दबाव हवा में उस वायु की मात्रा पर निर्भर होता है। द्राव में थोड़ा बदलाव होता है। रक्त में वायु का दबाव सिर्फ रक्त में उसकी मात्रा पर निर्भर नहीं करता। बल्कि उस वायु की रक्त में विद्राव्यता (solubility) कितनी है, इसपर निर्भर करता है। कार्बनडाय ऑक्साइड वायु प्राणवायु की तुलना में अधिक मात्रा में रक्त में विद्राव्य होती है। इसीलिए कार्बनडाय ऑक्साइड का partial presure प्राणवायु के दबाव की तुलना में कम होता है। रक्त में कार्बनडाय ऑक्साइड की विद्राव्यता की मात्रा प्राणवायु की तुलना में २० प्रतिशत ज्यादा होती है। विद्राव्यता के गुणधर्म का उपयोग वायु के आदान-प्रदान में होता है।

अलविओलाय में हवा की प्राणवायु फेफड़ों की रक्तवाहनियों में कैसे प्रविष्ट करती है, अब हम इसकी जानकारी लेंगे। अलविओलाय की हवा में प्राणवायु के कण फेफड़ों में रक्त की दिशा में प्रवास करते हैं। उसी समय रक्त में मिश्रित प्राणवायु के कण अलविओलाय की हवा की दिशा में प्रवास करते हैं। तो फिर प्राणवायु का प्रवास किस दिशा में होगा, यह किस प्रकार तय होता है? यह प्रत्येक स्थान की प्राणवायु की मात्रा के अनुसार तय होता है। अलविओलाय की हवा में प्राणवायु की मात्रा, रक्त में मिश्रित प्राणवायु की मात्रा से ज्यादा होती है। प्राणवायु की रक्त में विद्राव्यता कम होती है। इसीलिए अलविओलाय में प्राणवायु का Net Diffusion फेफड़ों में रक्त की दिशा में होता है।

कर्बद्विप्राणिल वायु का वहन उलटी दिशा में होता है। कर्बद्विप्राणिल वायु रक्त में विद्राव्य होने के कारण रक्त में उसकी मात्रा अलविओलाय में हवा की मात्रा से ज्यादा होती है। इसी लिए इसका वहन फेफड़ों में हवा की मात्रा से ज्यादा होता है। अत: इसका वहन फेफड़ों में रक्त से अलविओलाय की हवा की दिशा में होता है।

पानी की भाप का दाब (Vapour pressure) : हमारे रक्त में अलविओलाय के आवरण के द्राव में सभी जगह पाणी के कण होते ही हैं। ये कण लगातार द्राव की ओर से हवा की ओर सरकते रहते हैं। ये कण लगातार द्राव की ओर से हवा की ओर सरकते रहते हैं। उनकी इस गति के कारण जो दाब निर्माण होता है उसे पानी के माप का दाब कहते हैं। सर्वसाधारणत: यह दबाव ४७ mm of Hg होता है। इसके महत्व का अध्ययन हम अगले लेख में करेंगे।(क्रमश:)

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