वैज्ञानिकों ने अक्तुबर में तीसरी लहर का अनुमान जताया – नए वेरियंट ने बढ़ाई चिंता

नई दिल्ली – केरल और महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों की बढ़ोतरी की पृष्ठभूमि पर तीसरी लहर का अनुमान जताया जा रहा है। आयआयटी कानपुर के वैज्ञानिकों के दावे के अनुसार अक्तबुर-नवंबर में कोरोना की तीसरी लहर चोटी पर पहुँच सकती है। साथ ही तीसरी लहर के दौरान रोज़ाना सामने आ रहे नए मामलों की संख्या एक लाख तक जा सकती है, यह इशारा भी वैज्ञानिकों ने दिया है। दूसरी लहर की तुलना में तीसरी लहर का प्रभाव काफी कम होगा, यह बयान भी वैज्ञानिकों ने किया है। लेकिन, कोई नया वेरियंट सामने आने पर स्थिति में बदलाव होगा, यह ड़र भी वैज्ञानिकों ने जताया है। वैज्ञानिक तीसरी लहर को लेकर यह इशारा दे रहे थे तभी कोरोना का नया घातक प्रकार सामने आया है। लेकिन, इस पर चौकन्ना रहने का इशारा भी विशेषज्ञों ने दिया है।

केरल में संक्रमितों की बढ़ोतरी के बाद बीते हफ्ते में दर्ज़ हुए कोरोना संक्रमितों की औसतन संख्या बीते आठ हफ्तों में सबसे अधिक साबित हुई। बीते हफ्ते में दर्ज़ हुए ६६ प्रतिशत मामले केरल में दर्ज हुए हैं। इस वजह से केरल का पॉज़िटिविटी रेट १९ प्रतिशत तक जा पहुँचा है। महाराष्ट्र में भी एक प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी दर्ज़ हुई हैो। केरल में संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन के अलावा दूसरा विकल्प ना होने की बात केंद्र सरकार के अफसर कह रहे हैं। तभी केंद्र की सूचना के अनुसार केरल सरकार ने सोमवार से रात के समय कर्फ्यू का ऐलान किया है।

दूसरी लहर अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है, फिर भी केरल और महाराष्ट्र के अलावा देश के अन्य हिस्से में यह लहर काफी कमज़ोर हुई है। लेकिन, साथ ही तीसरी लहर का खतरा अभी कायम है। यह तीसरी लहर कब शुरू होगी, इस पर अलग अलग अनुमान लगाए जा रहे हैं। इससे पहले सितंबर में तीसरी लहर का खतरा होने का अनुमान कुछ विशेषज्ञों ने लगाया था। ऐसे में अब कानपुर आयआयटी के वैज्ञानिकों ने अक्तुबर-नवंबर में यह तीसरी लहर शुरू होगी, ऐसा कहा है। लेकिन, दूसरी लहर की तुलना में एक चौथाई मामले ही तीसरी लहर के दौरान रोज़ाना दर्ज़ होंगे। यानी की तीसरी लहर दूसरी लहर से अधिक कमज़ोर होगी, यह अनुमान आयआयटी के वैज्ञानिकों ने लगाया है।

दूसरी लहर के दौरान रोज़ाना दर्ज़ हो रहे मामलों की संख्या बढ़कर चार लाख तक जा पहुँची थी। तो, तीसरी लहर में यह संख्या अधिक से अधिक एक लाख रहेगी, यह संभावना वैज्ञानिकों ने जताई है। लेकिन, कोरोना का नया वेरियंट सामने आने पर और इसका प्रभाव बढ़ने पर इस स्थिति में बदलाव होगा, यह बात भी वैज्ञानिकों ने रेखांकित की है।

इस पृष्ठभूमि पर कोरोना का और एक नया प्रकार सामने आने का वृत्त है। कोरोना के इस नए ‘वेरियंट’ का नाम ‘सी १.२’ है और इस वर्ष मई में पहली बार दक्षिण अफ्रीका में इसका पहला मामला दर्ज़ हुआ था। तब से अब तक कोरोना का यह वेरियंट चीन, ब्रिटेन, स्वित्झर्लैंड़, पुर्तुगाल, मौरिशस, न्यूज़ीलैण्ड, कांगो जैसे विभिन्न देशों में भी पाया गया है। कोरोना का ‘सी १.२’ वेरियंट कोरोना वैक्सीन की सुरक्षा को भी चकमा दे सकता है, यह बात भी खोज कार्य में स्पष्ट हुई है। इस वजह से चिंता बढ़ी है। भारत में अब तक यह वेरियंट नहीं पाया गया है। लेकिन, इस मोर्चे पर सावधान रहने की आवश्‍यकता है, यह विशेषज्ञों का कहना है।

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