म्यानमार के विद्रोही लष्कर का चीन द्वारा बचाव – अमरीका के बायडेन प्रशासन का नर्म रवैया

वॉशिंग्टन/टोकिओ – लोकनियुक्त सरकार का तख़्ता पलटकर म्यानमार के लष्कर ने अवैध रूप में इस देश की सत्ता पर कब्जा करने के बाद, दुनिया भर से उसका निषेध किया जा रहा है। लेकिन चीन ने म्यानमार के लष्कर का बचाव करने की तैयारी की है। म्यानमार के लष्कर के खिलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने के प्रस्ताव का चीन विरोध करेगा, इसे चीन ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में स्पष्ट किया। वहीं, अमेरिका के बायडेन प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अमरीका भारत और जापान इन अपने सहयोगी देशों के संपर्क में है। जापान ने म्यानमार की परिस्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।

१ फरवरी को म्यानमार के लष्कर ने इस देश में सत्ता पर कब्जा करके १ साल के लिए इमरजेंसी लागू की। चुनाव में गैरव्यवहार हुआ होने का आरोप करके, म्यानमार के लष्कर ने यह कार्रवाई की। लेकिन वास्तव में, लोकतंत्रवादी नेता आँग सॅन स्यू की इनकी पार्टी को मिले बहुमत के कारण म्यानमार के लष्कर ने बगावत का फैसला किया होने की बात सामने आई है। इस बगावत के पीछे चीन की साजिश होने की बात भी सामने आई है। इसी कारण चीन म्यानमार के लष्कर का बचाव करते हुए दिखाई दे रहा है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में चीन के प्रतिनिधि ने यह घोषित कर दिया कि म्यानमार के लष्कर के खिलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने के लिए चीन का विरोध होगा। वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वँग वेंबिन ने यह जताया है कि म्यानमार की परिस्थिति और बिगड़ेगी ऐसी किसी भी कार्रवाई का चीन समर्थन नहीं करेगा। म्यानमार का लष्कर चीनपरस्त होकर, इससे पहले भी चीन के ही समर्थन से लष्कर ने म्यानमार की सत्ता अपने हाथ में रखी थी। इस कारण चीन द्वारा म्यानमार ने हुई बगावत का समर्थन किया जाना, यह स्वाभाविक बात मानी जाती है।

इस कारण म्यानमार फिर से चीन के वर्चस्व में आने का खतरा पैदा हुआ है, इसका ऐसा जापान ने कराया। जापान के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने इस खतरे का अहसास दुनिया को कराया है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमनिक राब और रक्षा मंत्री बेन वॉलेस के साथ हुई चर्चा में जापान के विदेश मंत्री तोशीमित्सु मोटेगी तथा रक्षा मंत्री नोबुआ किशी ने म्यानमार की परिस्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। इतना सब होने के बावजूद भी अमरीका से अभी तक म्यानमार की बगावत पर अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं आई है। म्यानमार में लोकतंत्र खतरे में पड़ गया होने के बावजूद भी, उसका निषेध करने के अलावा अमरीका ने कुछ खास नहीं किया है।

म्यानमार की परिस्थिति पर बायडेन प्रशासन नजर रखे हुए है। इस क्षेत्र के भारत और जापान इन सहयोगी देशों के संपर्क में बायडेन प्रशासन है, ऐसे गुनगुने बयान अमरिका के विदेश मंत्रालय द्वारा किए जा रहे हैं। इससे पहले बायडेन प्रशासन ने म्यानमार पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। लेकिन अभी भी किसी भी प्रकार की ठोस कार्यवाही करके म्यानमार के लष्कर पर दबाव बनाने की कोशिशें बायडेन प्रशासन द्वारा नहीं हुई हैं।

ताइवान की हवाई सीमा में चीन के लड़ाकू विमानों की घुसपैठ, यह बायडेन प्रशासन की प्रतिक्रिया का अंदाजा लगाने के लिए चीन ने की हुई कोशिश होने का दावा अमरीकी विश्लेषक कर रहे हैं । अब म्यानमार में अपने इशारे पर लोकनियुक्त सरकार का तख्ता पलटकर चीन ने बायडेन प्रशासन का और एक इम्तिहान लिया होने के संकेत मिल रहे हैं। लेकिन फिलहाल तो राष्ट्राध्यक्ष बायडेन के प्रशासन ने इस बात को अपेक्षित गंभीरता से नहीं लिया दिखाई दे रहा है। इस कारण चीन को म्यानमार में वर्चस्व जताने का मौका मिलने वाला होकर, जापान ने व्यक्त की चिंता यही दर्शा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.