यूरोपीय महासंघ की नींव यानी ‘लिस्बन समझौते’ में बदलाव करने का यही समय – ऑस्ट्रिया के चान्सेलर सेबेस्टियन कर्झ

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवियना – यूरोपीय महासंघ के सदस्य देशों ने १२ वर्ष पहले स्वीकार किया ‘लिस्बन समझौता’ अब पूराना हो चुका है, यह टिपणी ऑस्ट्रिया के चान्सेलर सेबेस्टियन कर्झ इन्होंने की है| शरणार्थियों का संकट, ब्रेक्जिट, यूरोपीय देशों पर भार हो रहा कर्ज और आर्थिक संकट जैसी घटनाओं की वजह से अब बडे बदलाव की जरूरत है, यह दावा कर्झ ने किया है| महासंघ के अस्थायि अध्यक्षपद फिलहाल ऑस्ट्रिया के पास है और इस पृष्ठभूमि पर कर्झ ने रखी मांग ध्यान केंद्रीत करती है|

वर्ष २००७ में हुए ‘लिस्बन’ समझौते के बाद यूरोपीय महासंघ में बहुत कुछ बदल चुका है| महासंघ को आर्थिक संकट, कर्ज का भार, शरणार्थियों के झुंडों की समस्या, हवामान में हो रहा बदलाव और ब्रेक्जिट की वजह से बने अराजकता जैसी स्थिति का सामना करना पडा है’, इन शब्दों में कर्झ ने महासंघ के सामने बनी चुनौतियों का जिक्र किया| भविष्य में ऐसी चुनौतियों का सामना करने के लिए सुधार की जरूरत है, यह भी ऑस्ट्रियन चान्सेलर ने स्पष्ट किया|

‘कर्ज का भार बढानेवाले सदस्य देशों पर प्रतिबंध लगानेवाला, अवैध शरणार्थियों को अपने क्षेत्र से दुसरे देश में जाने की खुली छूट दे रहे देनेवालों को जुर्माना लगाने की और कानून एवं जनतंत्र का उल्लंघन करनेवालों पर कडी कार्रवाई करने के लिए नए समझौते की जरूरत महसूस होने लगी है’, इन शब्दों के साथ सेबेस्टियन कर्झ इन्होंने नए समझौते की मांग सामने रखी| नया समझौता सभी देशों की मान्यता के नुसार ही रहेगा, यह संकेत देने के साथ ही यूरोपीय संसद का स्थान सीर्फ ब्रुसेल्स में ही हो, यह कडी भूमिका भी उन्होंने रखी|

कर्झ ने जिक्र की हुई चुनौतियों की पृष्ठभूमि पर यूरोपीय देशों में अलग अलग सदस्य देशों ने एवं वरिष्ठ नेताओं ने महासंघ में सुधार की जरूरत होने की बात का लगातार जिक्र किया है| लेकिन, इस मुद्दे पर सदस्य देशों में ही दरार दिखाई दे रही है| कुछ महीनें पहले फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने भी यूरोपीय महासंघ के बारे में नया दृष्टीकोन रखने की कोशिश की थी| लेकिन, इसपर सदस्य देशों ने ही कडी आलोचना की थी|

इस पृष्ठभूमि पर कर्झ ने की मांग में यूरोपीय महासंघ और सदस्य देश कैसे प्रतिसाद देते है, यह देखने के लिए ध्यान केंद्रीत हो रहा है|

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