कर्जा चुकाओ, या कंपनी छोड़ दो केंद्रीय वित्तमंत्री की बॅंकों का कर्जा डुबाने वालों को चेतावनी

नई दिल्ली: कर्जा चुकाओ अथवा अपनी कंपनी दूसरों के हवाले कर दो, इन शब्दों में केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बॅंक का कर्ज डूबाने वालों को कड़ा इशारा दिया है। बड़े पैमाने पर कर्ज की वजह से संकट में आयी बॅंकों को आर्थिक मदद दी जाएगी। अब तक ७० हजार करोड़ रूपये बॅंकों को प्रदान किए हैं और जरूरत के अनुसार बॅंकों को अधिक कॅपिटल उपलब्ध कराया जाएगा। पर कर्जा डुबाने वालों से कर्जे की वसूली करना और इस समस्या से मार्ग निकालने के मुद्दे को सरकार प्राथमिकता देगी, ऐसा वित्तमंत्री ने स्पष्ट किया है।

कर्जा चुकाओ

केंद्र सरकार बॅंक डिफॉल्टर के विरोध में कठोर कार्रवाई कर रही है। इन कर्जा डुबाने वाले निजी उद्योजको को अपना कर्ज चुकाना होगा अथवा अपने कंपनी का कब्जा छोड़ना होगा। सरकार बॅंक करप्सी कायदे के अंतर्गत बड़े डिफॉल्टर्स पर कार्रवाई कर रही है। बॅंकों का कर्जा डुबाने वालों के विरोध में इस प्रकार की कारवाई भारत में पहली बार होने का दावा जेटली ने किया है।

सरकार ने कुछ दिनों पहले १२ बड़े कर्जा डुबाने वालों के विरोध में कार्रवाई की अनुमति दी थी। इन १२ डिफॉल्टर्स के पास बॅंकों के २ लाख करोड़ रुपए बाकि होकर यह आंकड़ा बॅंकों के कुल बाकी कर्जों का एक चौथाई इतना बड़ा होने की जानकारी केंद्रीय वित्त मंत्री ने दी है। बॅंक करप्सी कायदे के अंतर्गत इन कर्जा डूबाने वालों को दिवालिया को घोषित करके, आगे कार्रवाई की जाएगी। इसी पद्धति से कारवाई अन्य कर्जा डूबाने वालों के विरोध में जल्द ही शुरू होगी। कार्रवाई के लिए डिफॉल्टर्स की सूची तैयार करने की बात वित्तमंत्री जेटली ने स्पष्ट की है।

बॅंक का बाकि कर्जा प्राप्त करने की समस्या सुलझाने में वक्त लगेगा। इस समस्या से तुरंत मार्ग निकले ऐसा कोई उपाय नहीं है। बड़े पैमाने पर बाकी कर्ज की समस्या से जूझनेवाले सार्वजनिक बॅंकों को कैपिटल उपलब्ध कराया जाएगा। जिसकी वजह से बॅंक का बैलेंस-शीट सुधर जाएगा। जरुरत के अनुसार सरकार बॅंक को अधिक कैपिटल उपलब्ध कराएगी, पर कर्जा डुबाने वालों से कर्जे की वसूली को सरकार प्राथमिकता देगी, यह इशारा भी जेटली ने दिया है।

सार्वजनिक बॅंकों का विलीनीकरण यह भारत के बॅंकिंग क्षेत्र में सुधार का महत्व पूर्ण स्तर होने का दावा केंद्रीय वित्तमंत्री ने किया है। देश में २१ सार्वजनिक बॅंकों में देश की ७४ प्रतिशत जमा पूंजी है। इनमें कमजोर बॅंकों का विलीनीकरण करके सार्वजनिक बॅंकों की स्थिति में सुधार होगा। देश को आर्थिक रुप से मजबूत बॅंकों की जरूरत है, ऐसा वित्त मंत्री जेटली ने सरकारी बॅंक के विलीनीकरण के समर्थन में कहा है।

विलीनीकरण से बॅंकों की कार्यक्षमता बढ़ेगी ऐसा निष्कर्ष अर्थमंत्री वित्त मंत्री जेटली ने व्यक्त किया है। साथ ही नोटबंदी के बाद ५०० और १००० के १५.४४ लाख करोड़ रुपए के नोट बॅंक में वापस आने की जानकारी जेटली ने दी है।

नोटबंदी से पैसों में होने वाला अबाधित व्यवहार नियंत्रित हुआ है और बॅंक में बड़ी रकम जमा हुई है, यह कहते वित्त मंत्री जेटली ने नोटबंदी के निर्णय का जोरदार समर्थन किया है। रिजर्व बॅंक ने इस संदर्भ में जानकारी घोषित करते नोटबंदी के कालखंड में अर्थव्यवस्था की करीब ९९ प्रतिशत रकम बॅंक के पास वापस आने की जानकारी दी है। इसके बाद देश में नोटबंदी के निर्णय पर प्रश्नचिन्ह उपस्थित किया जा रहा है।

अगर ९९ प्रतिशत रकम रिजर्व बॅंक के पास वापस आयी हैं, तो फिर काला धन कहां गया, यह सवाल किया जा रहा है। जिसकी वजह से नोटबंदी का यह प्रयोग पूरी तरह गलत ठहरने की बात दिखाई दे रही है, ऐसी टीका कुछ नेता, विश्लेषक एवं पत्रकार कर रहे हैं। पर नोटबंदी के निर्णय की वजह से पैसों के द्वारा होने वाले व्यवहार अधिक पारदर्शी हुए हैं एवं बॅंक के द्वारा व्यवहार शुरू होने से अर्थकारणता अधिक पारदर्शी हुई है, यह कहते केंद्रीय वित्तमंत्री ने इन आक्षेपों को उत्तर दिया है।

दौरान, नोटबंदी के कालखंड में रिजर्व बॅंक के पास लौट आया सारा पैसा वैध नहीं है, इसके बारे में वित्तमंत्री जेटली ने सबका ध्यान खींच लिया है।

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