युरोपीय देशों मे आनेवाले शरणार्थीयों के लिए कार्यान्वित कोटा सिस्टिम असफल

व्हिएन्ना:  यूरोप के अनेक सदस्य देश शरणार्थियों को स्वीकारने के लिए तैयार न होकर उनपर महासंघ जबरदस्ती नहीं कर सकता और अगर वैसा किया तो महासंघ में दरार हो सकती है, ऐसा इशारा दिया है। शरणार्थियों को रोकने के लिए महासंघने शरणार्थियों के देश में लष्कर तैनात किया जाए, ऐसी सलाह ऑस्ट्रियन चैन्सेलर ने दी है।

पिछले हफ्ते में कर्झ ने ऑस्ट्रेलिया के नए चैन्सेलर के तौर पर सूत्र हाथ लिए हैं। पीपल्स पार्टी के कर्झ की सरकार बाएँ आक्रामक विचारधारा के फ्रीडम पार्टी के सहयोग से स्थापित की गई है और दोनों पक्षों में शरणार्थियों के मुद्दे पर अत्यंत कठोर भूमिका ली है। सत्ता पर आने के बाद कर्झ के सरकार ने अवैध शरणार्थियों को बाहर करने के लिए एवं समाज में घुल मिलकर रहने पर निर्देश जारी किए हैं। जिनसे उनकी आक्रामकता की संकेत मिल रहे है।

इस पृष्ठभूमि पर कर्झ ने जर्मन दैनिक को दिए मुलाकात में शरणार्थियों के मुद्दे पर महासंघ को लक्ष्य किया है। शरणार्थियों को स्वीकारने के लिए यूरोप के सदस्य देशों पर दबाव लाने से यूरोप आगे नहीं बढ़ सकता। इस बारे में शुरू होने वाली चर्चा से कोई निष्कर्ष नहीं होगा। यूरोप में दाखिल होने के लिए निकले शरणार्थियों को बल्गेरिया तथा हंगेरी में जाने की इच्छा नहीं है। उन्हें जर्मनी, ऑस्ट्रिया एवं स्वीडन में जाना है। युरोपिय महासंघ द्वारा शरणार्थियों की समस्या सुलझाने के लिए अन्य मार्ग और समाधान ढूंढने की आवश्यकता होकर, कोटा पद्धत अत्यंत असफल है, इन शब्दों में ऑस्ट्रेलियन चैन्सेलर ने महासंघ को कड़े बोल सुनाये हैं।

उस समय चैन्सेलर कर्झ ने लष्कर के तैनाती की माँग की है। शरणार्थी जिस देश से आए हैं, उस देश में परिस्थिती सुरक्षित करने पर जोर दिया जाए। उसके लिए ऐसे देशों को लष्करी सहायता देनी होंगी। लष्करी तैनाती के माध्यम से सेफ़ झोन्स निर्माण करने आवश्यक है। शरणार्थियों का पुनर्वास संभव नहीं होगा, तो उन्हें उन के ही देश में सेफ़ झोन्स निर्माण करना योग्य होगा, ऐसा सलाह कर्झ ने दी है।

युरोपीय महासंघ ने सन २०१५ में शरणार्थियों के मुद्दे पर स्वीकारी हुई भूमिका अत्यंत गलत थी, इस पर अब एकमत हुआ है। आगे चलकर अवैध मार्ग से आए एक भी शरणार्थियों को यूरोप में नहीं स्वीकारा जाएगा, ऐसा ऑस्ट्रियन चैन्सेलर ने सूचित किया है। जर्मनी के चैन्सेलर एंजेला मर्केल ने शरणार्थियों के बारे में ओपन डोर पॉलिसी स्वीकार कर के यूरोपीय देशों के दरवाजे शरणार्थीयों के लिए खुले किए थे। उन के इस धारणा का समर्थन देने वाले देशों में ऑस्ट्रिया का समावेश था। पर २ वर्षों में परिस्थिति बदली है और शरणार्थी के मुद्दे पर आक्रामक भूमिका ली है। इस की वजह से आगे चलकर शरणार्थीयों के मुद्दे पर धारणा लादना संभव नहीं होगा, ऐसे स्पष्ट संकेत मिल रहे है।

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