असम के ‘कार्बी अँगलाँग’ के विद्रोहियों का, सरकार के साथ हुआ ऐतिहासिक शांति समझौता

नई दिल्ली – असम के कार्बी अँगलाँग के विद्रोही संगठनों के साथ ऐतिहासिक शांति समझौता हुआ है। शनिवार के दिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा की मौजूदगी में दिल्ली में कार्बी अँगलाँग के साथ शांति समझौता किया गया। कार्बी अँगलाँग क्षेत्र के पाँच विद्रोही संगठन, केंद्र और राज्य सरकार के बीच यह त्रिसदस्य शांति समझौता किया गया है और विद्रोह से मुक्त समृद्ध ईशान्य भारत की दिशा में उठाया यह काफी अहम कदम है, ऐसा बयान गृहमंत्री अमित शहा ने किया है।

‘कार्बी अँगलाँग’असम के कार्बी अँगलाँग क्षेत्र में बीते कई वर्षों से स्वतंत्र राज्य की माँग के लिए हिंसक विद्रोही गतिविधियाँ हो रहीं थीं। १९९० के दशक में असम में पहली बार बोड़ो संगठनों ने स्वायत्तता की माँग के लिए हिंसा की राह चुनी। इसके बाद कार्बी अँगलाँग में भी यही स्थिति निर्माण हुई। लेकिन, सरकार ने बोडो अकॉर्ड के बाद अब कार्बी अँगलाँग शांति समझौता भी किया है। इस वजह से ईशान्य भारत में शांति और स्थिरता बनी रहेगी और इस क्षेत्र में विकास होगा एवं यह क्षेत्र समृद्ध होगा, यह उम्मीद जताई जा रही है।

इससे पहले कार्बी विद्रोही संगठनों के कई विद्रोहियों ने हथियार रखकर आत्मसमर्पण किया है। विद्रोही संगठन भी सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल हुए थे। अब इस शांति वार्ता से इन संगठनों से सरकार ने कुछ वादे किए हैं और इसके बाद इन संगठनों ने पूरी तरह से हथियार रखने का निर्णय किया है। इस समझौते की वजह से हज़ार विद्रोहियों ने आत्मसमर्पण किया है और वे मुख्य धारा में शामिल हुए हैं। कार्बी क्षेत्र का विकास करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें हज़ार करोड़ रुपयों का विशेष पैकेज प्रदान कर रहीं हैं। साथ ही, आत्मसमर्पण करनेवाले विद्रोहियों का पुनर्वास भी किया जाएगा।

इस समझौते के अनुसार, कार्बी अँगलाँग मंडल को अधिक स्वायत्तता प्राप्त होगी और इस क्षेत्र की विशेष पहचान, भाषा, संस्कृति और अन्य मुद्दों की भी रक्षा होगी, यह वादा सरकार ने कार्बी संगठनों से किया है। असम की प्रादेशिक अखंड़ता को बाधित किये बगैर कार्बी क्षेत्र का विकास किया जाएगा। इस समय असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा भी मौजूद थे।

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