कोंकण समेत पूरे राज्य में बारिश से हाहाकार

चिपलुन में २६ जुलाई जैसी गंभीर स्थिति

मुंबईगोवा राजमार्ग एवं कोंकण रेल ठप

कोल्हापुर, सांगली, अमरावती, परभणी, वाशिम, अकोला में भी बाढ़ जैसे हालात

kokan-chiplun-heavy-rains-4मुंबई – कोंकण क्षेत्र में बुधवार रात से हुई भारी बारिश ने रायगड़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग जिलों को बड़ा नुकसान पहुँचाया है। छोटी-बड़ी कई नदियां खतरे के स्तर से ऊपर बहने से नहरें भी उफान पर हैं। इस वजह से नदियों के तटिय क्षेत्र के गांव और शहरों में बाढ़ के पानी ने प्रवेश किया है। कोंकण क्षेत्र के कई गांवों का संपर्क खंड़ित हुआ है। चिपलुन में स्थिति सबसे अधिक भीषण है और वहां की वशिष्ठी नदि के पानी ने पूरे चिपलून शहर को चपेट में ले लिया है। चिपलुन के करीब कोयना नदी पर बनाएँ गए कोलकेवाड़ी बाँध से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने से यह स्थिति निर्माण हुई है, ऐसा कहा जा रहा है। इसके अलावा ठाणे, पालघर जिलों में भी भारी मात्रा में बारिश हुई है और कई सतह के ठिकाने पानी में डूब गए हैं। मुंबई के लिए पानी की आपूर्ति करनवाले ठाणे जिले के तानसा, मोड़कसागर तालाब भी भरकर बहने लगे है।

कोंकण क्षेत्र में बीते कुछ दिनों से जोरदार बारिश हो रही है। इसी वजह से सभी नदियां उफान पर थी। इसी बीच मंगलवार से शुरू हुई भारी बारिश ने कोंकण के तटीय इलाकों की स्थिति गंभीर कर दी। रत्नागिरी जिले के चिपलुन में भारी बाढ़ की स्थिति निर्माण हुई है और इसके लिए केवल भारी बारिश ही कारण नहीं है। इसके अलावा कोलकेवाड़ी जल बिजली प्रकल्प से बड़ी मात्रा में छोड़ा गया पानी भी ज़िम्मेदार है, यह जानकारी प्रशासन ने प्रदान की। सुबह चार बज़े इस बांध से पानी छोड़ा गया। इससे सुबह छह बजे तक लोग नींद से जगने से पहले ही घरों में पानी भर गया।

kokan-chiplun-heavy-rains-1चिपलुन में २६ जुलाई, २००५ के दिन से भी अधिक भयंकर स्थिति निर्माण हुई है। पूरे चिपलुन शहर और करीबी गाँवों को बाढ़ के पानी ने घेर लिया है। मुंबई-गोवा राजमार्ग भी पानी में डूबा हुआ है। बाढ़ के पानी ने कई घरों में प्रवेश किया है। कुछ हिस्सों में इमारत की पहली मंज़ील भी पानी में डूबी हुई है। इस बाढ़ के पानी के साथ वशिष्ठी नदी में पाए जानेवाले मगरमच्छ और सांप भी बहते हुए दिखाई दे रहे हैं। बाढ़ के कारण तीन लोगों की मौत होने का वृत्त है और एनडीआरएफ के दल के साथ राज्य के आपत्ति निवारण विभाग ने राहत कार्य शुरू किया है। बाढ़ के पानी से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है।

साथ ही चिपलुन के करीबी कामथे रेलवे स्टेशन भी पानी में डूबा हुआ है। इस वजह से कोंकण रेल की यातायात ठप हुई है। इस दौरान कोंकण रेल मार्ग पर रुकी हुई ट्रेनों में छह हज़ार यात्री फंसे हुए हैं। यह यात्री सुरक्षित हैं और उनके लिए अन्न एवं जल का प्रावधान किया गया है, ऐसा कोंकण रेल ने कहा।

रायगड़ के कई हिस्सों में इन चौबीस घंटों के दौरान २०० एमएम से अधिक बारिश दर्ज़ हुई। रागयड़ की प्रमुख सावित्री नदी भी उफान पर है और इससे महाड़ शहर जलमय हो गया है। महाड़ के बाज़ार में आठ से दस फीट ऊंचाई तक पानी भरने से स्थिति गंभीर हुई। सावित्री नदी के अलावा अम्बा, कुंडलिका, पातालगंगा और उल्हास नदियाँ भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और इन नदियों के तटीय क्षेत्र के गावों को सावधानी का इशारा दिया गया है। रायगड़ में भी बारिश से एक की मौत होने की जानकारी प्राप्त हुई है।

kokan-chiplun-heavy-rains-3रत्नागिरी जिले की वशिष्ठी नदी के साथ जगबुड़ी, कोदावली, शास्त्री और बाव नदियों से भी बाढ़ की स्थिति निर्माण हुई है। खेड़ में जगबुड़ी नदी से बाढ़ की भीषण स्थिति निर्माण की है और नदी के किनारे के कुछ घर ढ़ह गए हैं। साथ ही मुंबई-गोवा मार्ग भी पानी में डूबा हुआ हैं। बाज़ार के कई दुकानों में पानी भरा है। साथ ही संगमेश्‍वर में बावनदी उफान पर होने से संगमेश्‍वर बाज़ार के साथ तहसील के अन्य गांवों में बाढ़ की स्थिति बनी है। रत्नागिरी शहर में भी सतह के कई स्थानों में पानी भरा है।

इसके अलावा लांजा में भी भारी बारिश होने से अंजनारी पुल की यातायात बंद करनी पड़ी। राजापुर में अर्जुना नदी के पानी ने शहर में प्रवेश किया है। सिंधु्दुर्ग जिले में भूईबावडा में भूस्खलन हुआ। भूईबावडा के घाट मार्ग पर लगातार तीसरे दिन भूस्खलन हुआ। साथ ही कसारा घाट में भी भूस्खलन की घटनाएँ हुई हैं।

कोंकण तट के साथ महाराष्ट्र के अन्य जिलों में भी भारी बारिश हुई है। कोल्हापुर, सांगली, अमरावती, परभणी, जालना, वाशिम और अकोला में भी बाढ़ जैसी स्थिति बनी है। इसके अलावा नाशिक जिले के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हुई और गोदावरी नदी के जलस्तर में भारी बढ़ोतरी हुई है। पंचगंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बहने से कोल्हापुर में दो वर्ष पहले आई बाढ़ की स्थिति की यादें जगाई। इस वजह से नदी के तटीय क्षेत्र के गांव खाली होने लगे हैं। वहां के नागरिक अन्य स्थानों पर स्थानांतरण कर रहे हैं। कोल्हापुर के १०५ बांध पानी में डूबे हुए हैं। राधानगरी बांध से भारी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है। सांगली में वारणा, पुणे में इंद्रायणी नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। नदी के किनारे के कुछ हिस्सों में पानी भरा है। पुणे का खड़कवासला बांध पानी से पूरा भर चुका है। अकोला, अमरावाती, जालना में भी स्थिति भीषण बनी हुई है और इन जिलों के कई गांवों का संपर्क भी टूट चुका है।

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