रेलवे के २.८ किलोमीटर लंबे ‘शेषनाग’ ने रचा इतिहास

नई दिल्ली – कुल २५१ डिब्बों की मालगाड़ी चलाकर भारतीय रेल ने नया इतिहास बनाया है। रेलवे ने इस २.८ किलोमीटर लंबाई की मालगाड़ी का नाम ‘शेषनाग’ रखा था। इस मालगाड़ी ने छह घंटों में २६० किलोमीटर की यात्रा की है। इससे पहले ३० जून के दिन रेलवे ने ‘एनाकोंड़ा’ नाम से १७७ डिब्बों की मालगाड़ी चलाई थी। एनाकोंड़ा का यह विक्रम शेषनाग ने तोड़ा। सामान की यातायात में लगनेवाला समय और खर्चा कम करने के लिए, अधिक डिब्बों की और तेज़ मालगाड़ियों को चलाने का प्रयोग शुरू किया गया है।

‘शेषनाग’

दक्षिण-पूर्व-मध्य रेल की यह मालगाड़ी, नागपूर से छत्तीसगड के कोरबा तक चलाई गई। गुरुवार को दोपहर १२.२० बजें छोड़ी गई यह गाड़ी दोपहर १.०५ बजे दुर्ग पहुँची। इसके बाद यह गाड़ी दुर्ग से आगे बिलासपुर और वहाँ से कोरबा की ओर रवाना की गई। इस दौरान रेलवे की इस ‘शेषनाग’ ने २६० किलोमीटर की दूरी, मात्र छः घंटों में पूरी की। चार मालगाड़ियों को जोड़कर ‘शेषनाग’ को तैयार किया गया था। इस मालगाड़ी में २५१ डिब्बे, ४ ब्रेक वैन और ९ विद्युत लोकोमोटिव्ह जोड़े गए थे। इस गाड़ी को खींचने के लिए ६ हज़ार हॉर्सपॉवर का इंजन लगाया गया था।

आम तौर पर मालगाड़ियों की गति प्रतिघंटा ३० किलोमीटर रहती है। लेकिन, ‘शेषनाग’ की गति प्रति घंटा ६३ किलोमीटर थी। रेलवे ने मालगाड़ियों की गति प्रति घंटा ८० किलोमीटर तक बढ़ाने की कोशिश शुरू की है, ऐसी जानकारी अधिकारियों ने साझा की। ३० जून के दिन ओडिशा के लाजकुरा और राउरकेला के बीच १७७ डिब्बों की ‘एनाकोंडा’ गाड़ी चलाई गई थी। इस मालगाड़ी को कुल तीन मालगाड़ियों के डिब्बे एक साथ जोड़े गए थे। यह गाड़ी खींचने के लिए तीन इंजन लगाए गए थे। विशेष बात यह है की इस गाड़ी में १५ हज़ार टन सामान रखा गया था। ऐसी मालगाड़ियों की वज़ह से, एक ही समय में अधिक से अधिक सामान की यातायात करना संभव होगा, ऐसा मत पीयूष गोयल ने व्यक्त किया है।

इसी बीच, यात्रियों को अधिक से अधिक सुविधा प्रदान करने के लिए निजी कंपनियों को शामिल करने की कोशिश भी हो रही है। देश के १०९ रेल मार्गों पर यात्री सेवा का व्यवस्थापन निजी कंपनियों के हाथ में देने का विचार रेल प्रशासन कर रहा है और इसके लिए नीजि कंपनियों से आवेदन भी मंगवाये गए हैं। देश में १०९ मार्गों पर १५१ निजी ट्रेनें चलाने का विचार हो रहा है। इससे संबंधित योजना के लिए ३० हज़ार करोड़ रुपयों का निवेश होने की उम्मीद है। निजी रेल सेवा अप्रैल २०२३ तक शुरू होगी, यह जानकारी रेल मंडल के अध्यक्ष व्ही.के.यादव ने साझा की।

ये सभी ट्रेनें १६ डिब्बों की और प्रतिघंटा १६० किलोमीटर गति से चलेंगी। निजी कंपनियों के हाथ में इन गाड़ियों का व्यवस्थापन होने से यात्रियों को अच्छी सुविधा प्राप्त हो सकेगी। यात्रा के समय में बचत करना, रोजगार निर्माण को गति देना, सुरक्षा व्यवस्था में बढ़ोतरी करना, यात्रियों को जागतिक स्तर की यात्रा की अनुभूति कराना और यात्री परिवहन क्षेत्र की ‘डिमांड’ और ‘सप्लाई’ में बनी कमी दूर करने के साथ ही, आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने का उद्देश्‍य रेलवे ने यह उपक्रम शुरू करने के पीछे रखा है।

रेलवे ने पिछले वर्ष ४ अक्तूबर के दिन लखनौ-दिल्ली मार्ग पर, ‘तेजस एक्सप्रेस’ यह देश की पहली निजी ट्रेन शुरू की थी। इसके बाद इस वर्ष के १७ जनवरी के दिन ‘अहमदाबाद-मुंबई तेजस एक्सप्रेस’ और १६ फरवरी के दिन ‘काशी महाकाल एक्सप्रेस’ यह तीसरीं निजी ट्रेन शुरू की गई। यह प्रयोग कामयाब होने पर अब १०९ रेल मार्गों पर यात्री ट्रेनों का व्यवस्थापन निजी कंपनियों के हाथ में देने की दिशा में कोशिश शुरू हुई है।

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