‘आयएस’ पर हमलों के लिए एटम बम के इस्तेमाल की जरूरत नहीं, रशियन राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन

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‘‘सीरिया में ‘आयएस’ के खिलाफ शुरू जंग में रशिया द्वारा प्रक्षेपास्त्रों का इस्तेमाल किया गया, जो बेहद सफल रहा। इस कारण रशिया को ‘आयएस’ के खिलाफ ‘परमाणु बम’ के इस्तेमाल की जरुरत नहीं होगी’’ ऐसा सूचक संदेश रशिया के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने दिया। रशिया के बॉम्बर्स प्लेन और पनडुब्बियों द्वारा ‘आयएस’ के ठिकानों पर किए गए हमलों की तारीफ करते हुए रशियन राष्ट्रपति ने यह स्पष्ट किया।

रशिया के रक्षामंत्री सर्जेई शोईगू द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भूमध्यसागर में तैनात रशिया की पनडुब्बी से सीरिया में ‘आयएस’ के ठिकानों पर हमले किए गए। रशिया के ‘रोस्तोव-ऑन-डॉन’ इस पनडुब्बी से ‘कॅलिबर’ क्रूझ प्रक्षेपास्त्रों का इस्तेमाल किया गया। शोईगू द्वारा रशियन राष्ट्रपति व्लादिमि पुतिन को दी गई जानकारी में पनडुब्बी से प्रक्षेपित किए गए प्रक्षेपास्त्रों ने 1500 मिल दूरी पर स्थित ‘आयएस’ के दो ठिकानों को निशाना बनाया।

आयएस’ द्वारा राजधानी घोषित की गई राक्का शहर में हथियारों का ठिकाना और तेल डिपो को नष्ट करने की जानकारी शोईगू ने दी। रक्षामंत्री शोईगू से मिली जानकारी पर रशियन राष्ट्रपति पुतिन ने नौसेना के इस कारवाई की तारीफ की।

‘जंग के समय सभी घटकों का अभ्यास करना जरूरी होता है। जैसे दुश्मन पर ड़ागे जानेवाले हथियार का उपयोग कितनी योग्यता से किया जाता है, यह सबसे अहम होता है। पिछले कुछ हमलों में ‘कॅलिबर’ और ‘केएच-101’ प्रक्षेपास्त्रों ने अपनी उपयुक्तता साबित की है। इन प्रक्षेपास्त्रों को परमाणु बम से भी लैस किया जा सकता है। लेकिन ‘आयएस’ के खिलाफ शुरू जंग में एटमी बम के इस्तमाल की जरुरत नहीं पड़ेगी, ऐसी उम्मीद कर सकते है’ ऐसा विश्‍वास रशियन राष्ट्रपति ने जताया।

‘आयएस’ पर किए गए इस हमले से रशिया की नौसेना ने पुन: एक बार अपनी ताकद का प्रदर्शन किया, ऐसा बताया जाता है। पिछले महिने कॅस्पियन सागर में तैनात रशियन नौसेना की छह युद्धपोत ने एकसाथ सीरिया में ‘आयएस’ के ठिकानों पर 34 प्रक्षेपास्त्रों का वर्षाव किया था। उसके बाद इस मंगलवार को भूमध्यसागर में तैनात पनडुब्बी से हमला चढ़ाते हुए रशियन नौसेना ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया, ऐसा कहा जाता है।

इस कारवाई को अंजाम देने के लिए रशियन पनडुब्बी ने समुंदर के नीचे से प्रक्षेपास्त्रों का प्रक्षेपण किया। सबसे बड़ी सैनिकी क्षमता का दावा करनेवाले किसी भी देश के लिए यह एक चुनौती मानी जाती है। अमेरिका के पास भी पनडुब्बी से प्रक्षेपास्त्र डागने की तकनीक है। लेकिन अमेरिका ने किसी भी युद्ध के दौरान इसका इस्तमाल नहीं किया। वहीं रशिया ने दो महिनों के संघर्ष में अपनी नौसेना की क्षमता का पूरा प्रदर्शन किया। प्रक्षेपास्त्र को पनडुब्बी से डागने से पहले रशिया ने इसकी पूर्वसूचना अमेरिका और इस्रायल को दे दी थी।

इसके अलावा रशिया द्वारा ‘आयएस’ के ठिकानों पर 2000 से अधिक हवाई हमले किए जा चुके हैं। इन हमलों में ‘आयएस’ के 600 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाया गया। इन हमलों के लिए रशिया ने लड़ाकू विमानों के साथ ‘टीयू-22’ बॉम्बर्स का भी इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इसके अलावा रशिया ने सीरिया में ‘एस-400’ यह प्रक्षेपास्त्र रोधक सिस्टम तैनात किया है। वहीं भूमध्यसागर में विमान रोधक सिस्टम से लैस युद्धपोत को भी तैनात किया है। इसीबीच, भारतीय नौसेना के साथ सैनिकी सराव कर रहीं ‘मोस्कवा’ इस युद्धपोत को भी रशिया ने ‘आयएस’ के खिलाफ शुरू जंग में शामिल होने के आदेश दिए हैं।

दरम्यान, रशिया द्वारा तुर्की के सीमा के सटीक हेलिकॉप्टर्स को तैनात किए है। तुर्की के पड़ोसी देश अर्मेनिया की सीमा पर रशिया ने लड़ाकू तथा ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर्स भी तैनात किए हैं।

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