लेबनान में सरकार के विरोध में शुरू प्रदर्शन तीव्र – हिजबुल्लाह से जुडे गुट कर रहे है प्रदर्शनकारियों पर हमलें

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बैरूत – देश में हो रहा भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और आर्थिक नीति के विरोध में लेबनीज युवकों ने शुरू किए प्रदर्शनों में लेबनान के अलग अलग गुट प्रति दिन शामिल हो रहे है| लेबनान के पेट्रोलपंप कर्मचारियों ने अनिश्‍चित काल के लिए हडताल करने का ऐलान करके सरकार के विरोध में जारी प्रदर्शनों को समर्थन घोषित किया| लेबनीज सरकार प्रदर्शनकारियों की मांगे अनदेखा कर रही है और इस का सीधे लेबनान की अर्थव्यवस्था पर असर हो रहा है, यह चिंता विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे है|

लेबनान के प्रदर्शनकारियों ने ४० दिन पूरे किए है और कुछ दिन पहले स्कुली बच्चे एवं महिलाएं इन प्रदर्शनों में बडी संख्या में शामिल हुई थी| वही, लेबनान की स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बडी संख्या में रास्ते पर उतरी जनता ने सरकार के विरोध में जोरदार नारेबाजी की थी| प्रदर्शनकारियों को प्राप्त हो रहे ऐसे समर्थन की वजह से लेबनान की सरकार की मुश्किलों में और भी बढोतरी हुई है|

इन प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए लेबनान की सेना ने कार्रवाई की थी| पर, शांति से प्रदर्शन करनेवारे प्रदर्शनकारियों पर अमानवीय कार्रवाई होने से अंतरराष्ट्रीय स्तर से कडी आलोचना हुई और इसके बाद ही लेबनीज सेना ने पीछे हटने का निर्णय किया था| पिछले कुछ दिनों से हिजहुल्लाह ने यह प्रदर्शन कुचलने की जिम्मेदारी उठाई है और हररोज रात के समय में हिजबुल्लाह अपने दो समर्थक गुटों के साथ प्रदर्शनकारियों पर हमले कर रही है|

कुछ जगहों पर हिजबुल्लाह के समर्थकों ने प्रदर्शनकारियों पर बडे हमलें किए है| हिजबुल्लाह के साथ ही अमल गुट के हमलावर राजधानी बैरूत में प्रदर्शनकारियों को लक्ष्य कर रहे है| ऐसे में कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने हिजबुल्लाह के समर्थकों से मारपीट करने की खबरें भी प्रसिद्ध हुए थे| हिजबुल्लाह और समर्थक बनाम प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष ना भडके, यह कोशिश कर रही लेबनान की सुरक्षा यंत्रणाओं के सामने खडी चुनौतियां बढती दिखाई दे रही है|

इसी बीच इन प्रदर्शनों का असर लेबनान की अर्थव्यवस्था पर भी होने लगा है| प्रधानमंत्री साद हरिरी ने इस्तीफा देने की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर से प्राप्त हो रही आर्थिक सहायता भी बंद हुई है| ऐसे में लेबनान ने यूरोपिय महासंघ से प्राप्त किए १.५ अरब डॉलर्स कर्ज का इस देश को तुरंत भुगतान करना पडा| इस का भार भी लेबनान की अर्थव्यवस्था पर बना है|

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