‘डीआरडीओ’ द्वारा ‘अल्ट्राव्हॉयलेट डिव्हाइस’ का निर्माण

नई दिल्ली, (वृत्तसंस्था) – कोरोनावायरस की पार्श्वभूमि पर ‘डीआरडीओ’ द्वारा सुरक्षा उपकरण विकसित किये जा रहे हैं। ‘डीआरडीओ’ द्वारा अब ‘ऑटोमॅटिक सॅनिटायझर’ और ‘अल्ट्राव्हॉयलेट डिव्हाइस’ इन दो उपकरणों का निर्माण किया गया है। इससे पहले ‘डीआरडीओ’ ने बायोसूट, फेसशिल्ड, शरीर निर्जंतुकीकरण के लिए पर्सनल ‘सॅनिटाइझेशन इंक्लोजर्स’ (पीएसई) मशीन ऐसे उपकरण बनाये थे।

       चीन में कोरोना का फैलाव होने की शुरुआत होने के बाद रक्षा संशोधन और विकास संस्थान (डीआरडीओ) द्वारा वायरस का फैलाव रोकने के लिए कदम उठाना शुरू किया गया होकर, विभिन्न उपकरणों का निर्माण किया जा रहा है। डीआरडीओ ने अब अल्ट्राव्हायोलेट डिव्हाइस तैयार किये होकर, उसकी सहायता से कार्यालय और घर की वस्तुएँ, कुर्सियाँ, फाईल्स तथा फूड पॅकेट्स का निर्जंतुकीकरण किया जा सकता है, ऐसा रक्षा मंत्रालय ने कहा है। यह उपकरण बॉक्स स्वरूप में भी आता है। उसके माध्यम से मोबाइल फोन, फाईल्स और वॉलेट जैसीं व्यक्तिगत वस्तुओं का निर्जंतुकीकरण किया जा सकता है। ‘डीआरडीओ’ के ‘फायर एक्सप्लोसिव्ह अँड एनवायर्नमेंट सेफ्टी’ ने (सीएफईईएस) इस यंत्र का निर्माण किया है।

             उसीके साथ, सीएफईईएस द्वारा सॅनिटायझर डीसपेनसिंग युनिट का निर्माण किया गया। इस युनिट के कारण, सॅनिटायझर का इस्तेमाल करते समय इस युनिट को स्पर्श करने की ज़रूरत नहीं होगी। सेन्सर्स के कारण सॅनिटायझर ठेंठ हाथ पर गिरेगा। अस्पताल, कार्यालय, हवाई अड्डें, रेल्वे स्टेशन्स्, बस स्थानक, निवासी ईमारतें. मॉल्स आदि महत्त्वपूर्ण जगहों पर ये युनिट बिठाये जा सकते हैं। इससे ईमारत में प्रवेश करनेवालों के हाथों का निर्जंतुकीकरण करने के लिए सहायता मिल सकेगी। रिओट लॅब्झ प्रायव्हेट लिमिटेड की सहायता से डीआरडीओ ने यह युनिट बनाया है।

       कोरोना के बढ़ते प्रसार के कारण ‘डीआरडीओ’ द्वारा कोरोना के मुकाबले के लिए विभिन्न प्रयोग और संशोधन किये जा रहे हैं। हाल ही में ‘व्हीआरडीई’ इस रक्षा विभाग की लॅब ने संपूर्ण शरीर के निर्जंतुकीकरण के लिए पर्सनल ‘सॅनिटाइझेशन इंक्लोजर्स’ (पीएसई) इस मशीन का निर्माण किया है। चेंबर में प्रवेश करने के बाद फुट पॅडल का इस्तेमाल करके निर्जंतुकीकरण शुरू होता है। चेंबर में प्रवेश करने पर, इलेक्ट्रिक पंप के द्वारा निर्जंतुकीकरण के लिए हायपो सोडियम क्लोराईड का जंतुनाशक कोहरा तैयार होता है। इसके ज़रिये निर्जंतुकीकरण किया जाता है।

          इसी बीच, श्री चित्र तिरुनल वैद्यकीय शास्त्र और तंत्रज्ञान संस्था के वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस का टेस्टिंग करने के लिए किट तैयार किया होकर, उससे दो घंटों में निदान करना संभव होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।

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