प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प की मुलाकात से पहले भारत को ‘प्रिडेटर गार्डियन ड्रोन’ देने का अमरीका का फैसला

वॉशिंग्टन, दि. २३: प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात से पहले अमरीका के विदेश मंत्रालय ने भारत को २२ ‘प्रिडेटर गार्डियन ड्रोन’ बेचने के लिए मंज़ुरी दी| इस वजह से बहुत प्रगत तकनीक वाला यह ड्रोन्स भारत को मिलेगा और भारत की रक्षा के लिए यह बहुत महत्त्वपूर्ण बात है| करीब दो सौ करोड़ डॉलर का यह व्यवहार भारत और अमरीका के रक्षासंबंधित साझेदारी के हिसाब से ‘गेम चेंजर’ होगा, ऐसा भरोसा अमरीका द्वारा जताया जा रहा है| अमरीका भारत को यह ड्रोन्स ना दें, ऐसी माँग पाकिस्तान ने की थी|

पिछले साल अमरीका ने भारत को ‘प्रमुख सामरिक सहकारी देश’का दर्जा दिया था| इसके बाद अतिप्रगत तकनीक से बने ये ड्रोन भारत को बेचना अमरीका के लिए आसान हुआ| भारत को ‘प्रिडेटर गार्डियन ड्रोन’ देने का फैसला किया गया है, ऐसी जानकारी अमरीका के विदेश मंत्रालय ने भारत सरकार को दी है, ऐसा अमरीका के सरकारी सूत्रों ने बताया| भारत के प्रधानमंत्री अमरीका यात्रा पर जा रहे है| २६ जून को दोनो देशों के राष्ट्रप्रमुखों में द्विपक्षीय चर्चा संपन्न होगी| ट्रम्प ने अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष का पदभार स्वीकारने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली अमरीकी यात्रा है| उनकी इस मुलाक़ात से पहले अमरीका ने किये इस फैसले का महत्त्व बढ़ा है|

अमरीका वर्तमान में इस ‘प्रिडेटर गार्डिय ड्रोन’ का इस्तेमाल अफगानिस्तान में कर रही है| लेकिन भारत को दिये जा रहे ये ड्रोन्स हथियारों से लैस नहीं होंगे| यह इस ड्रोन विमान का ‘प्रिडेटर बी’ संस्करण है| लेकिन ऐसा होने के बावजूद भी इन ड्रोन विमानों का तकनीक बहुत ही संवेदनशील है| यह विमान किसी भी आबोहवा में निगरानी के लिए बहुत उपयोगी साबित होता है| ५० हजार फीट ऊॅँचाई से ये विमान लगातार २७ घंटो तक मँडरा सकते हैं|

हिंद महासागर क्षेत्र में रक्षासंबंधित चुनौतियों को मद्देनज़र रखते हुए, प्रदीर्घकाल निगरानी कर सकनेवाले इस प्रकार के बहुउद्देशीय ड्रोन की ज़रूरत भारतीय नौसेना को लग रही है| उस हिसाब से भारतीय नौसेना ने इस ड्रोन विमान की माँग की थी| पीछले साल भारतीय प्रधानमंत्री की अमरीका यात्रा में अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा के साथ हुई चर्चा के बाद ‘प्रिडेटर ड्रोन’ मामले में ‘लेटर ऑफ रिक्वेस्ट’ (एलओआर) दिया गया था| भारत की इस माँग पर अमरीका विचार कर रही है, ऐसी खबर कुछ महीने पहले आयी थी| लेकिन ओबामा के कार्यकाल में इसपर फैसला नहीं हुआ था|

लेकिन ट्रम्प प्रशासन ने पिछले कुछ दिनों में ही इस मामले में तेज़ी से कदम उठाकर यह फैसला किया है, ऐसा दिख रहा है| इससे पहले अमरीका ने भारतीय नौसेना को ‘बोईंग पी-८’ यह निगरानी विमान दिये थे| ‘प्रिडेटर गार्डियन ड्रोन’ बेड़े में आने के बाद भारतीय नौसेना की रक्षासिद्धता में और भी बढ़ोत्तरी होने वाली है|

पिछले साल अमरीका ने भारत को ‘प्रमुख सामरिक सहकारी देश का दर्जा दिया था| अमरीका द्वारा ऐसा दर्जा मिलने वाला भारत एकमात्र देश साबित हुआ है| इस वजह से अमरीका के कई संवेदनशील तकनीक भारत को मिल सकते हैं, ऐसा दावा किया जाता है| भारत को ‘प्रिडेटर गार्डियन ड्रोन’ देने का फैसला करके अमरीका ने इस दिशा में कदम बढाया है| पहले की ओबामा प्रशासन की तुलना में, ट्रम्प प्रशासन भारत को अतिप्रगत तकनीक से जुड़ी रक्षासामग्री देने के लिए अधिक सकारात्मक रवैय्या अपना रहा है यह बात साफ हो रही है| इसके सुपरिणाम दोनो देशों के संबंधों पर होंगे, ऐसा भरोसा जानकार व्यक्त कर रहे थे|

अमरीका ने हालाँकि भारत को संवेदनशील और अतिप्रगत तकनीक देने के लिए मंज़ुरी दी थी, मग़र फिर भी इससे पहले वास्तव में भारत के पलडे में कुछ खास मिला नहीं था| लेकिन ट्रम्प प्रशासन का अनुभव कुछ अलग हो सकता है, ऐसा दावा कुछ भारतीय विश्‍लेषक कर रहे हैं|

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